शेतकऱ्याचा मुलगा बनला आयएएस अधिकारी; या अगोदर आयपीएससाठीही झाली होती निवड

साताऱ्यातील जावळी तालुक्यातील सनपाने गावचा सुपुत्र ओंकार मधुकर पवार यानं युपीएससीमध्ये देशात गुणवत्ता यादीत १९४ वा क्रमांक मिळवून तर माण तालुक्यातील अमित लक्ष्मण शिंदे (भांडवली, तेलदरा ता. माण) हा गुणवत्ता यादीत ५७० क्रमांक मिळवून उत्तीर्ण झाले आहेत.

आयएएस व्हायचं स्वप्न पूर्ण केलंय. दोन वर्षांपूर्वी ओंकारची यूपीएससीमधून पॅरामिल्ट्री फोर्समध्ये अधिकारी, तर त्यानंतर त्याची आयपीएससाठी देखील निवड झाली होती. परंतु आयएएस व्हायचं स्वप्न त्याला गप्प बसून देत नव्हतं. अथक परिश्रम आणि कष्टातून ओंकारनं देशात गुणवत्ता यादीत १९४ वा क्रमांक मिळवला. ओंकारचं प्राथमिक शिक्षण प्राथमिक सनपाने इथं तर माध्यमिक न्यू इंग्लिश स्कूल, हुमगांव (ता जावळी) इथं झालं. त्यानंतर कराड व पुणे येथून इंजिनिअरिंगचं शिक्षण पूर्ण केलंय. ओंकारचे वडील हे शेतकरी असून अतिशय कष्ट आणि मेहनतीनं त्यानं आपलं स्वप्न पूर्ण केलंय. त्याचं संपूर्ण परिसरातून कौतुक होत आहे.

आयोगानं १७ मार्च रोजी नागरी सेवा मुख्य परीक्षा २०२१ आयोजित केली होती. मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण झालेल्या उमेदवारांच्या मुलाखती ५ एप्रिल ते २६ मे २०२२ या कालावधीत घेण्यात आल्या. या परीक्षेच्या माध्यमातून नागरी सेवेतील ७१२ पदं भरली जाणार आहेत. दरम्यान यूपीएससी’त च्या निकालात सातारा जिल्ह्यानं देखील बाजी मारली असून जावळीच्या ओंकार पवारनं यूपीएससीत देशात गुणवत्ता यादीत १९४ वा क्रमांक मिळाली असून माण तालुक्यातील अमित लक्ष्मण शिंदे (भांडवली, तेलदरा ता. माण) हे गुणवत्ता यादीत ५७० क्रमांक मिळवून उत्तीर्ण झाले आहेत.

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पाकिस्तान : अब भस्मासुर बन गया ‘टीटीपी’

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में अफगानिस्तान आधारित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से पाकिस्तान की सुरक्षा को लगातार खतरे की ओर ध्यान आकर्षिक किया गया है और कहा गया है कि खूंखार आतंकी संगठन के साथ चल रही शांति प्रक्रिया के सफल होने की संभावनाएं क्षीण हैं।

तालिबान प्रतिबंध समिति 1988 की निगरानी टीम की वार्षिक रिपोर्ट में अफगान-तालिबान के साथ टीटीपी के संबंधों का उल्लेख किया गया है और यह बताया गया है कि पिछले साल गनी शासन के पतन से इस समूह को कैसे फायदा हुआ और इसने अफगानिस्तान से संचालित अन्य आतंकवादी समूहों के साथ अपने संबंध कैसे जोड़े।

पाकिस्तान के डान अखबार के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधित टीटीपी में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी इलाकों में 4,000 लड़ाके हैं तथा वहां इसने विदेशी लड़ाकों का सबसे बड़ा समूह बना लिया है। पिछले साल अगस्त में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से समिति के लिए टीम की यह पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में तालिबान की आंतरिक राजनीति, उसके वित्तीय मामलों, अलकायदा, दाएश और अन्य आतंकवादी समूहों के साथ इसके संबंधों तथा सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय प्रकाशित हुई जब पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच तीसरे दौर की बातचीत की शुरुआत हुई है। पिछले साल नवंबर में हुई पहले दौर की वार्ता के परिणामस्वरूप एक महीने का संघर्षविराम हुआ था, लेकिन बाद में टीटीपी ने पाकिस्तान पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए संघर्षविराम खत्म कर दिया था। टीटीपी ने बाद में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले फिर से शुरू कर दिए।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट आफ पीस स्टडीज द्वारा सारणीबद्ध किए गए आंकड़े बताते हैं कि इस साल, आतंकवादी समूह ने लगभग 46 हमले किए, जिनमें ज्यादातर कानून प्रवर्तन कर्मियों के खिलाफ थे और इनमें 79 लोग मारे गए। टीटीपी 2008 में अपनी स्थापना के बाद से ही पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष कर रहा है, ताकि देश में शरिया कानूनों को लागू करने के लिए दबाव डाला जा सके।

हालांकि, संघर्ष समाप्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत के लिए अफगान तालिबान द्वारा समूह पर दबाव डाला जा रहा है। वार्ता के नवीनतम दौर में पाकिस्तान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता 30 मई को समाप्त हो रहे संघर्षविराम को आगे बढ़ाने की है। हालांकि पाकिस्तानी पक्ष ने बातचीत पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि समूह (टीटीपी) पाकिस्तान सरकार के खिलाफ एक दीर्घकालिक अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसका अर्थ है कि संघर्षविराम समझौतों की सफलता की सीमित संभावना है।

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम (एमटी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान द्वारा बार-बार इनकार करने के बावजूद, पाकिस्तान से संबंध रखने वाले इन आतंकवादी समूहों ने अफगानिस्तान में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति बना रखी है। तालिबान सीधे तौर पर आठ में से तीन आतंकी शिविरों को नियंत्रित कर रहा है।

जैश ए-मोहम्मद (जेईएम) अभी भी अपना शिविर अफगानिस्तान के नंगरहार में चला रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर ए-तैयबा ने कुनार और नंगरहार में ऐसे तीन कैंप बनाए हुए हैं। निगरानी टीम की यह 13वीं रिपोर्ट है और पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद से यह पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में जो निष्कर्ष निकाला गया है वह सदस्य-राज्यों के परामर्श पर आधारित है।

तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता वतर्मान में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति कर रहे हैं। दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख, सुहैल शाहीन ने पिछले हफ्ते बताया था कि काबुल की सरकार किसी को भी किसी भी पड़ोसी और क्षेत्रीय देश के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी है। हालांकि, भारत अफगानिस्तान में पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की गतिविधियों और तालिबान के साथ उनके संबंधों को लेकर चिंतित है।

कैसे पनपा टीटीपी

पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमनी उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी सेना की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे। ऐसे में दिसंबर 2007 को बेयतुल्लाह मेहसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया और संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया।यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से पूरी तरह अलग है, लेकिन इरादे एक जैसे हैं।

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कोल्हापुरातील दोन राजकीय मल्लांमध्ये राज्यसभेसाठी लढत; धनंजय महाडिक-संजय पवार आमनेसामने!

राज्यसभेच्या सहा जागेतील तिसरा उमेदवार निवडून आणण्यासाठी भाजपाने व्यूहरचना सुरू केली आहे. धनंजय महाडिक यांची उमेदवारी जाहीर केली असून त्यांनी विरोधकांची मते फुटतील, असा विश्वास व्यक्त केला आहे. यातून भाजपाची लढत शिवसेनेचे दुसरे उमेदवार संजय पवार यांच्याशी होण्याची चिन्हे आहेत. धनंजय महाडिक विरुद्ध संजय पवार असा कोल्हापुरातील दोन राजकीय मल्लांमध्ये सामना रंगण्याची चिन्हे दिसत आहेत.

PHOTOS : भाजपासोबतच महाविकास आघाडीच्याही उमेदवारांकडून निवडणूक अर्ज दाखल

राज्यसभा निवडणुकीचा विषय सुरू झाल्यापासून या ना त्या कारणाने कोल्हापूर सतत चर्चेत राहिले आहे. संभाजीराजे छत्रपती यांनी निवडणूक लढवणार असल्याचे जाहीर केल्यावर कोल्हापूर चर्चेत आले. तर शिवसेनेने अनपेक्षितपणे कोल्हापूरचे जिल्हाप्रमुख संजय पवार यांना मैदानात उतरवले. शिवसेनेच्या या राजनीतीला शह देण्यासाठी भाजपानेही कोल्हापुरचाच उमेदवार आखाड्यात उतरण्याचा निर्णय घेतला. त्यानुसार धनंजय महाडिक यांचा उमेदवारी अर्ज आज दाखल करण्यात आला आहे.

मैत्री आणि सामना –

महाडीक यांना विजयासाठी पक्षाशिवाय १२ मतांची आवश्यकता आहे. विरोधकांची १० मते फुटणार असल्याचा दावा करीत महाडिक यांनी आपला विजय होईल असा विश्वास व्यक्त केला आहे. दावे – प्रतिदावे पाहता राज्यसभेच्या सहाव्या जागेसाठी कोल्हापुरातीलच या दोन राजकीय मल्लांमध्ये लढत होण्याची चिन्हे दिसत आहेत. विशेष म्हणजे पवार व महाडिक हे एकमेकांशी अंतर राखून असलेल्या पक्षात असले, तरी व्यक्तिगत पातळीवर मैत्रीचे संबंध आहेत. त्यामुळे वेगळ्या अर्थाने मैत्रीपूर्ण सामना पाहायला मिळणार आहे.

खासदारकीसाठी महाडिक चौथ्यांदा रिंगणात –

धनंजय महाडिक यांनी विधानसभा, लोकसभा अशा दोन्ही निवडणुका लढवल्या आहेत. पण ते प्रामुख्याने लोकसभा निवडणुकीच्या निमित्ताने चर्चेत राहिले आहेत. २००४ साली त्यांनी प्रथम शिवसेनेकडून लोकसभा लढताना सदाशिवराव मंडलिक यांच्याशी टक्कर घेतली होती. या निवडणुकीत ते पराभूत झाले. त्यानंतर त्यांनी राष्ट्रवादी काँग्रेसमध्ये प्रवेश करून २०१४ साली लोकसभा निवडणुकीत विजय मिळवला. दिल्लीत ते शरद पवार समर्थक म्हणून ओळखले जात असले तरी गल्लीत मात्र त्यांचे भाजपा नेते चंद्रकांत पाटील यांच्याशी सख्य राहिले. गेल्या लोकसभा निवडणुकीत पराभूत झाल्यानंतर पुढे त्यांच्यासह महाडिक परिवाराने भाजपामध्ये प्रवेश केला. त्यांची लोकसभा निवडणुकीची तयारी सुरू असतानाच भाजपाने राज्यसभेचा तिसरा उमेदवार म्हणून घोषित केले आहे. भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष असलेले धनंजय महाडिक आणि शिवसेनेचे जिल्हाप्रमुख संजय पवार अशा कोल्हापूरच्या दोन राजकीय मल्लांतील नवी दिल्लीला नेणाऱ्या आखाड्यात कोण बाजी मारणार हे लक्षवेधी ठरले आहे.

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दिल्ली में आंधी ने मचाई तबाही, जामा मस्जिद की गुंबद को नुकसान, हवाई यातायात पर भी असर; मंगलवार को भी हो सकती है बारिश

30 मई को देश की राजधानी दिल्ली में तेज हवा के साथ हुई बारिश से कई इलाकों में पेड़ टूटकर गिर पड़े। इसके साथ ही कई जगहों पर जलभराव की भी स्थिति देखी गई। वहीं दिल्ली की जामा मस्जिद को तेज आंधी-तूफान के चलते नुकसान पहुंचा है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक जामा मस्जिद के गुंबद पर लगा कलश(बुर्ज) टूट गया। वहीं गुंबद से पत्थर गिरने के कारण कई लोग घायल भी हो गए।

बता दें कि सोमवार को तेज़ बारिश और आंधी के चलते जामा मस्जिद के बीच में स्थित गुंबद का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस ने जानकारी दी कि ओलावृष्टि और बारिश के बाद छज्जा गिरने से 50 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। वहीं जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बताया कि तेज़ बारिश और आंधी में जामा मस्जिद के बीच में स्थित गुंबद का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, उसके 2-3 टुकड़े हुए हैं जो ज़मीन पर गिरे हैं।

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नई दिल्ली के दरियागंज में तूफान और भारी बारिश के कारण जामा मस्जिद को नुकसान पहुंचा है(फोटो सोर्स: एक्सप्रेस/अमित मेहरा)।

उन्होंने कहा कि अगर इसे तुरंत नहीं हटाया गया तो ये अपने सामने स्थित दीवार और बीच के पूरे गुंबद को क्षति पहुंचाएगा। बुखारी ने कहा कि इसके अलावा भी आज की बारिश में मस्जिद के पत्थर तहस-नहस हुए हैं। इस दौरान 2-3 लोग भी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की मदद से मस्जिद की तत्काल मरम्मत करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा।

वहीं दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी कि उत्तरी दिल्ली इलाके में ओलावृष्टि के बाद एक 65 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई। और तेज हवा के चलते रात 8 बजे तक दिल्ली में 294 पेड़ गिरे हैं। बता दें कि दिल्ली में खराब मौसम के कारण 8 फ्लाइट को भी डायवर्ट किया गया है।

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तेज हवा के झोंकों से दिल्ली में कई जगहों पर पेड़ टूटकर गिर पड़े(फोटो सोर्स: एक्सप्रेस/अमित मेहरा)।

बता दें कि सोमवार को हुई बारिश से पहले दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में रविवार की शाम को भी बारिश और आंधी-तूफान देखा गया था। तूफान की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक दर्ज की गई। वहीं सोमवार दोपहर के बाद मौसम विभाग ने दिल्ली- एनसीआर के कई क्षेत्रों के लिए भी बारिश का अलर्ट जारी किया था।

वहीं सोमवार को हुई बारिश और तेज हवा के झोकों के बाद अब मौसम विभाग ने मंगलवार को लेकर भी आगाह किया है। अनुमान के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को भी बारिश हो सकती है। आसमान में बादल छाए रहेंगे और मध्यम तीव्रता वाली बारिश देखने को मिलेगी।

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जिस तरह से आपका पेट बढ़ रहा है…TMC नेता का मोटापा देख सीएम ममता ने पूछ डाले सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता को उसके मोटापे पर नसीहत दे रही हैं। वीडियो में ममता बनर्जी कार्यकर्ता के वजन को लेकर कहती दिख रही हैं कि आखिर तुम्हारा मध्य प्रदेश(पेट) क्यों बढ़ रहा है। जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की सीएम ने एक कार्यक्रम में स्थानीय नगर पालिका के एक नेता को यह सब बातें कहीं।

दरअसल कार्यक्रम में जब वह नेता अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ तो उसके बोलने के बीच में ही ममता बनर्जी ने टोकते हुए कहा, “जिस तरह से आपका पेट बढ़ रहा है, आप किसी भी दिन गिर सकते हैं। क्या आप अस्वस्थ हैं?”

इसपर टीएमसी कार्यकर्ता ने कहा कि उसे न तो शुगर और न ही ब्लड प्रेशर की बीमारी है, वह एकदम फिट है। उसने अपनी बात को रखते हुए टीएमसी प्रमुख से कहा कि वह पार्टी कामों में लगा हुआ है। वहीं ममता बनर्जी ने मोटापे को लेकर आगे कहा कि जरूर कोई समस्या है, आपके पास इतना विशाल मध्य प्रदेश(शरीर का मध्य भाग) कैसे हो सकता है?”

इसके बाद ममता बनर्जी ने पूछा कि टहलते हो? इसपर कार्यकर्ता ने कहा कि हर दिन टहलता हूं। वहीं ममता ने कहा कि खाना ज्यादा खाते हो? नेता ने बताया कि वह रोज सुबह पकौड़े खाता है, इसलिए पेट बढ़ गया है। इसके बाद ममता बनर्जी ने पूछा आखिर तुम रोज पकौड़ी क्यों खाते हो? ऐसे तो कभी भी अपना वजन कम नहीं कर सकते।

इसपर कार्यकर्ता ने जोर देकर कहा कि मैं तो हर दिन तीन घंटे व्यायाम करता हूं। शख्स ने कहा कि रोजाना एक हजार कपालभाति प्राणायाम करता हूं। ममता ने कहा, “संभव नहीं है, अगर आप मुझे 1,000 कपालभाति करके दिखाओगे तो मैं आपको 10,000 रुपए दूंगी।

बता दें कि टीएमसी प्रमुख कार्यक्रम के दौरान ही कार्यकर्ता से एक्सरसाइज करने को कहती हैं। वहीं ममता बनर्जी और टीएमसी कार्यकर्ता के बीच हुई इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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हरियाणाः मैंने किसी को बेवकूफ नहीं बनाया, बेवकूफों ने मुझे बनाया, शिक्षा को लेकर केजरीवाल के दावों पर लोगों ने ऐसे कसे तंज

29 मई को दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक रैली के दौरान खट्टर सरकार पर जुबानी हमला बोला। हालांकि उनके बयानों पर सोशल मीडिया पर लोग तंज भी कस रहे हैं। दरअसल उन्होंने राज्य की शिक्षा, चिकित्सा व्यवस्था को लेकर खट्टर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “इनसे नये स्कूल नहीं बनते, इनसे नौकरियां नहीं निकलती और न ही इनसे अस्पताल बनते हैं।”

बता दें कि रविवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कुरुक्षेत्र में ‘अब बदलेगा हरियाणा’ रैली में भाग लेने पहुंचे थे। केजरीवाल ने लोगों से कहा कि हमें एक मौका दे दीजिए हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा। उन्होंने कहा कि मुझे मौका दो, मैं हरियाणा के सरकारी स्कूलों में सुधार करूंगा। दिल्ली में सरकारी स्कूल इसके सबूत हैं। अब गरीब के बच्चे भी इंजीनियर और डॉक्टर बनेंगे। हमने दिल्ली के निजी स्कूलों को पिछले 7 सालों में फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी।

केजरीवाल के इन दावों पर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मोहित(@manni_1986) नाम के एक यूजर ने लिखा, “इसे कोई नया कंटेंट राइटर दे दो यार, हर रैली में एक ही तरह की बात।” इसके अलावा एक अन्य यूजर ने केजरीवाल की एक फोटो शेयर कर लिखा, “मैंने किसी को बेवकूफ नहीं बनाया, बल्कि बेवकूफों ने मुझे बनाया।” एक और यूजर ने लिखा, हरियाणा के स्कूल पहले से ही दिल्ली से बेहतर हैं।

भाजपा दंगाईयों का सम्मान करती है: केजरीवाल ने रैली में भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनकी पार्टी में दंगाई हैं। देश में कहीं भी दंगा हो ये वहां जाकर दंगाईयों का सम्मान करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि कुछ गुंडों ने अभी कुछ दिन पहले मेरे घर में हमला कर दिया था। इन्होंने अगले दिन सारे गुंडों का सम्मान किया।

खट्टर सरकार पर हमला: केजरीवाल ने सवाल पूछा कि मैंने 7 साल में 12 लाख नौकरियां दी हैं। अगले 5 साल में 20 लाख नौकरियां देने की हमारी योजना है। खट्टर साहब ने हरियाणा में कितनी नौकरियां दी? ये नौकरी नहीं देंगे। ये आपके बच्चों को गुंडई और दंगा करना सिखाएंगे और अपने बच्चों को पढ़ने विदेश भेजेंगे।

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“शरद पवार आणि फडणवीस यांच्यात काय संबंध आहेत हे…”; शाहू महाराजांचा उल्लेख करत नाना पटोलेंचं विधान

श्रीमंत शाहू महाराज छत्रपती यांच्या वक्तव्याचा फटका पश्चिम महाराष्ट्रात कोणाला बसेल हे सांगायची गरज नाही, असे राष्ट्रवादीचे नाव न घेता विरोधी पक्ष नेते देवेंद्र फडणवीस म्हणाले आहेत. त्यावर काँग्रेसचे प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले यांनी प्रतिक्रिया देत भाजपावर टीका केली आहे. शरद पवार आणि फडणवीस यांच्यात काय संबंध आहे मला माहित नाही, असेही नाना पटोले म्हणाले आहेत.

“श्रीमंत शाहू महाराज छत्रपती यांचे वक्तव्य स्पष्ट असून त्यांनी भाजपाकडे बोट दाखवले आहे. त्यामुळे त्यांच्या वक्तव्याचा तोटा किंवा फायदा कोणाला होणार हे भविष्यात स्पष्ट होईलच. भाजपाचे नुकसान व्हायला लागले म्हणून फडणवीस श्रीमंत शाहू महाराज छत्रपती यांच्या वक्तव्यावर टीका करीत आहेत,” असे नाना पटोले म्हणाले आहेत.

मोठी घडामोड! शाहू महाराजांनी बाजू घेतल्यानंतर उद्धव ठाकरेंनी फोनवरुन केली चर्चा; आश्वासन देत म्हणाले “मी तुम्हाला…”

“काही लोकांनी महाराजांना स्क्रिप्ट तयार करुन…”; शाहू महाराजांच्या दाव्यानंतर देवेंद्र फडणवीसांची प्रतिक्रिया

“संभाजी महाराजांच्या कोंडीसाठी त्यांचे वडील भाजपकडे बोट दाखवत आहेत. फडणवीस पवारांचे नाव घेत आहेत तर पवार फडणवीस यांचे नाव घेत आहेत. शरद पवार आणि फडणवीस यांच्यात काय संबंध आहे मला माहीत नाही,” असेही पटोले म्हणाले. “भाजपाकडून समाज माध्यमाद्वारे देशातील वास्तविक स्थिती लपवली जात आहे. वास्तवात श्रीलंकेत जशी परिस्थिती आहे तशी परिस्थिती भारतातही निर्माण झाली आहे,” असेही पटोले म्हणाले.

फडणवीसांनी काय म्हटलं आहे?

“शाहू महाराज आमचे छत्रपती आहेत त्यामुळे त्यांनी कोणतेही मत व्यक्त केले असले तरी त्या संदर्भात मी बोलणार नाही. त्यासंदर्भात संभाजीराजे छत्रपतींनी स्पष्टपणे ट्विट करुन सांगितले आहे की, मी छत्रपती शिवाजी महाराजांना स्मरून सांगतो मी जे बोललो ते सत्य बोललो. मला असं वाटतं की प्रतिक्रिया बोलकी आहे. मला एकाच गोष्टीचे दुःख आहे की काही किडक्या डोक्याच्या लोकांनी महाराजांना स्क्रिप्ट तयार करुन चुकीची माहिती दिली आहे. त्या लोकांना समजत नाही की अशी माहिती महाराजांना देऊन ते संभाजीराजेंना खोटं ठरवतं आहेत. दुसरीकडे शाहू महाराज आणि संभाजीराजेंमध्ये काहीतरी अंतर आहे असं दाखवण्याचा प्रयत्न करत आहेत. असं काम करणाऱ्यांबद्दल मला प्रचंड दुःख आहे,” असे देवेंद्र फडणवीस म्हणाले आहेत.

“युवराज संभाजीराजे छत्रपती यांचे नेतृत्व गेल्या सहा वर्षांमध्ये चांगल्या प्रकारे तयार होत होते आणि सध्या ही होत आहे. मराठा समाज आणि बहुजन समाजामध्ये त्यांच्याबद्दल एक आपुलकी निर्माण झाली आहे आणि अशा परिस्थितीमध्ये अशा प्रकारचा नेतृत्व तयार झाल्यानंतर आणि तेही पश्चिम महाराष्ट्रात तयार झाल्यानंतर त्याचा कुठलाही नुकसान भाजपाला नाही. त्याचे नुकसान कोणाला आहे हे मी सांगण्याची आवश्यकता नाही. म्हणून संभाजीराजे यांचे नेतृत्व तयार होऊ नये या प्रकारचे प्रयत्न कोण करणार हे ज्याला कोणाला राजकारण कळते त्याला समजू शकते,” असेही फडणवीस म्हणाले.

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तहखानों में तलाश कर रहे हैं PM मोदी की डिग्री, ताजमहल के 22 कमरों को खोलने के विवाद पर ओवैसी का तंज

AIMIM चीफ और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधकर बीजेपी नेताओं से पूछा कि वो ताजमहल के नीचे पीएम की डिग्री की तलाश कर रहे हैं क्या? उनका तंज उस याचिका को लेकर था जिसमें अयोध्या के बीजेपी नेता ने कोर्ट में याचिका दायर करके 22 कमरों को खुलवाने की मांग की थी। उसका दावा था कि नीचे के कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। कमरों को खोलने के बाद सर्वे कराया जाए तो ताजमहल का काला सच सामने आ जाएगा।

महाराष्ट्र के भिवंडी में ओवैसी ने कहा कि बीजेपी के नेता बेवजह देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने ताजमहल से जुड़े मामले की याचिका पर कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया। ध्यान रहे कि यह याचिका बीती 12 मई को इलाहाबाद HC ने याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी चीजों को इतिहासकारों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। आगरा में ताजमहल में 22 बंद कमरों के पीछे सच्चाई का पता लगाने के लिए एक भाजपा नेता द्वारा याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि समाधि एक पुराना शिव मंदिर है।

ओवैसी ने कहा कि भाजपा मुगलों को भारत से बाहर का बताती है लेकिन क्या उसके पास इस बात का कोई जवाब है क्या कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई अन्य समुदायों के लोग भी भारत में आए। उन्होंने कहा कि केवल द्रविड़ और आदिवासी ही भारत से हैं। अगर भारत किसी का है तो वह द्रविड़ और आदिवासी हैं। भारत का गठन अफ्रीका, ईरान, मध्य और पूर्वी एशिया से लोगों के पलायन के बाद हुआ था।

शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर तंज कस ओवैसी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में एनसीपी नेता ओवैसी को वोट देने के लिए कह रहे थे, जिससे बीजेपी और शिवसेना को रोका जा सके। चुनाव के बाद एनसीपी ने शिवसेना से निकाह कर लिया। लेकिन उन्हें ये बात आज तक पता नहीं चल पा रही कि तीनों दलों में से दुल्हन कौन है। उनका कहना था कि एमवीए गठबंधन ने बड़े-बड़ों को चक्कर में डाल दिया है। एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टी सत्ता के लिए एक साथ आ गई हैं।

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अमरावतीमधील स्वागत मिरवणूक राणा दांपत्याला पडली महागात!; पोलिसांनी केले गुन्हे दाखल

खासदार नवनीत राणा आणि आमदार रवी राणा यांच्या अमरावती आगमनाच्या निमित्ताने काढण्यात आलेल्या स्वागत मिरवणुकीनंतर पोलिसांनी गुन्हे दाखल केले आहेत. वाहतुकीला अडथळा निर्माण करणे, रात्री उशिरापर्यंत ध्वनिप्रदूषण यासह विविध कलमांन्वये राणा दांपत्यासह १५ कार्यकर्त्यांच्या विरोधात राजापेठ पोलिसांनी गुन्हे दाखल केले आहेत.

तब्बल ३६ दिवसांनंतर राणा दांपत्याचे शनिवारी रात्री अमरावतीत आगमन झाले. नागपूर ते अमरावती या प्रवासादरम्यान, त्यांचे ठिकठिकाणी स्वागत करण्यात आले. येथील इर्विन चौकातील डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या पुतळ्याला हारार्पण केल्यानंतर राणा दांपत्याची स्वागत मिरवणूक राजकमल चौकात पोहचली.‍ इर्विन चौकात राणा दांपत्याला विरोध करण्यासाठी भीम ब्रिगेडचे कार्यकर्ते जमले होते, पण पोलिसांनी त्यांना ताब्यात घेतले.

राणा दाम्पत्याचे नागपुरात ‘हनुमान चालीसा’ पठण

मिरवणूक राजकमल चौकात पोहोचल्यावर युवा स्वाभिमान पक्षाच्या कार्यकर्त्यांनी जल्लोष केला. राणा दांपत्याचे स्वागत भल्या मोठ्या हाराने करण्यात आले. यावेळी नवनीत राणा यांनी गदा फिरवून कार्यकर्त्यांच्या जल्लोषाला प्रतिसाद दिला. राणा दांपत्याने रवीनगर परिसरातील हनुमान मंदिरात पोहचून हनुमान चालिसाचे पठण आणि आरतीत सहभाग घेतला. रात्री १० वाजेनंतरही या ठिकाणी भोंग्यांचा वापर सुरू होता, असा आक्षेप आहे.

“मुख्यमंत्र्यांनी दिखाव्यासाठी का होईना, पण एकदा…”, नवनीत राणांचा उद्धव ठाकरेंवर निशाणा!

राणा दांपत्य शंकरनगर परिसरातील निवासस्थानी पोहचल्यानंतर त्यांचा दुग्धाभिषेक करण्यात आला. राणा दांपत्याच्या स्वागतासाठी कार्यकर्त्यांची गर्दी जमली होती.‍ या स्वागत मिरवणुकीदरम्यान रस्ता अडवणे, वाहतुकीला अडथळा निर्माण करणे आणि ध्वनिप्रदूषणासाठी कारणीभूत ठरणे, यासह विविध कलमांन्वये नवनीत राणा, रवी राणा आणि इतर १५ जणांच्या विरोधात राजापेठ पोलिसांनी गुन्हे दाखल केले आहेत, अशी माहिती पोलीस आयुक्त डॉ. आरती सिंह यांनी दिली.

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यूपीः विधान परिषद में सपा से छिन सकता है नेता प्रतिपक्ष का तमगा, जानें सदन में किस तरह तेजी से बदल रहे समीकरण

यूपी में लगातार दो चुनावों में सत्ता से बाहर रहने वाली समाजवादी पार्टी को अब एक और झटका लग सकता है। बता दें कि राज्य की विधान परिषद में सपा से विपक्षी की कुर्सी छिन सकती है। मौजूदा स्थिति में विधान परिषद में भाजपा के पास 66 सदस्य हैं। वहीं सपा के पास 11 सदस्य हैं। इस बीच 6 जुलाई को विधान परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। जिसके लिए 20 जून को चुनाव प्रस्तावित है।

इन 13 सीटों पर माना जा रहा है कि भाजपा 9 और सपा 4 सीटें हासिल कर सकती हैं। बता दें कि विधानसभा में भाजपा गठबंधन के पास 273 और सपा व उसके सहयोगी दलों की कुल 124 सीट हैं। गौरतलब है कि 10 साल पहले भाजपा के पास विधान परिषद के सिर्फ 7 सदस्य थे। लेकिन अब माना जा रहा है कि उसी सदन में बीजेपी 81 की संख्या तक पहुंच सकती है।

दरअसल, 20 जून को प्रस्तावित चुनाव में अगर भाजपा 9 सीटें जीतती है उसके पास विधान परिषद में कुल 81 सीटें हो जाएंगी। विधान परिषद में 4 दशक में इस तरह पहली बार है, जब बीजेपी बहुमत के पार जा सकती है। इसी के साथ विधान परिषद में सपा के पास से विपक्षी दल होने का तमगा भी छिनने का खतरा है।

दरअसल सपा के सदस्यों की संख्या 10 फीसदी से कम हो कर 9 हो जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा के पास से विधान परिषद में विपक्ष की कुर्सी जा सकती है। हालांकि जानकारों की राय है कि इस स्थिति में सभापति, सपा को नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए कह सकते हैं।

इस बीच बीते शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को अपना नेता प्रतिपक्ष घोषित किया।

10 जून को राज्यसभा चुनाव: बता दें कि जहां विधान परिषद का चुनाव 20 जून को प्रस्तावित है तो वहीं उससे पहले 15 राज्यों में 10 जून को 57 राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होना है। इस दौरान उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर चुनाव होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद संख्या बल पर गौर करें तो भाजपा सात और सपा तीन सदस्यों को राज्यसभा आसानी से भेज सकती है। हालांकि भाजपा सात के अलावा एक और सांसद चुन सकती है लेकिन इसके लिए गणित बिठाना होगा।

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दो साल बाद भारत और बांग्लादेश के बीच दौड़ेगी पैसेंजर ट्रेनें, जानिए कब से शुरू हो रही सेवा और क्या है अहमियत

भारत और बांग्लादेश के बीच दो साल बाद पैसेंजर ट्रेनों की बहाली होने जा रही है। बता दें साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते एहतियात के तौर पर यह सेवा बंद कर दी गई थी। इस संबंध में पूर्वी रेलवे के चीफ पीआरओ एकलव्य चक्रवर्ती ने जानकारी दी कि बांग्लादेश और भारत के बीच यात्री ट्रेन सेवाएं 29 मई से फिर से शुरू होंगी।

उन्होंने बताया, “कोविड -19 महामारी के कारण 2 साल से अधिक के लंबे ब्रेक के बाद बांग्लादेश और भारत के बीच यात्री ट्रेन सेवाएं कल(29 मई से) फिर से शुरू होंगी।” उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश मैत्री एक्सप्रेस 29 मई से और बंधन एक्सप्रेस 30 मई से फिर से शुरू होंगी।

चक्रवर्ती ने जानकारी दी, “भारत-बांग्लादेश के बीच तीसरी ट्रेन सेवा मिताली एक्सप्रेस भी 1 जून को न्यू जलपाईगुड़ी से ढाका के लिए शुरू होने वाली है। तीनों ट्रेनों के टिकट बुक हो चुके हैं। इस ट्रेन सेवा के फिर से जारी होने की घोषणा के बाद दोनों देशों के लोग खुश हैं।” बता दें कि ‘मिताली एक्सप्रेस’ के संचालन से आने वाले समय में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

भारत और बांग्लादेश के राजनयिक और व्यवसायिक संबंधों को देखते हुए इस सेवा की बहाली काफी अहम माना जा रही है। इसके जरिए कारोबार और दोनों देशों के लोगों को आने-जाने में काफ़ी सहूलियत मिलेगी। इसके चलते दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ मिताली एक्सप्रेस पर्यटन को फलने-फूलने में मदद करेगी।

जानकारी के मुताबिक ट्रेन संख्या 13132 न्यू जलपाईगुड़ी- ढाका छावनी मिताली एक्सप्रेस एक सप्ताह में दो दिन रविवार और बुधवार को चलेगी। नियमित सेवा के दौरान ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी से भारतीय समयानुसार 11 बजकर 45 मिनट पर रवाना होगी। और हल्दीबाड़ी (भारत) 12.55 बजे पहुंचेगी। इसके बाद हल्दीबाड़ी से यह ट्रेन 13 बजकर 5 मिनट पर प्रस्थान करेगी।

रेलवे द्वारा जारी टाइम टेबल के अनुसार यह ट्रेन बांग्लादेश के समयानुसार 13.55 पर चिलाहाटी पहुंचेगी और चिलाहाटी से 14.25 बजे रवाना होकर 22:30 बजे ढाका छावनी पहुंचेगी। वहीं वापसी में सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को ट्रेन संख्या 13131 ढाका छावनी- न्यू जलपाईगुड़ी मिताली एक्सप्रेस दौड़ेगी।

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कर्नाटकः कहां नेहरू और कहां मोदी, PM पर निशाना साध बोले सिद्धरमैया तो सीएम बोम्मई ने ऐसे किया पलटवार

कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने शनिवार ( 28 मई, 2022) कहा कि पीएम ने देश की सुरक्षा, अखंडता और एकता को लेकर कड़े और बड़े कदम उठाए हैं। जिसका उदाहरण सभी के सामने है। उनकी तुलना के देश के पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू से नहीं की जा सकती।

बता दें, 27 मई को नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने नेहरू की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि मोदी और नेहरू की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा था, ‘कहां नेहरू, कहां मोदी। यह जमीन और आसमान की तुलना करने जैसा है, इसकी कोई तुलना नहीं है। पीएम मोदी ने नेहरु के सभी अच्छे कामों पर पानी फेर दिया, जैसे पंचवर्षीय योजनाएं और अन्य।’

सिद्धारमैया ने पूछा था, ‘क्या आरएसएस के लोग भारत के मूल निवासी हैं? क्या आर्य इस देश के मूल निवासी हैं? यह द्रविड़ हैं जो मूल रूप से इस देश के हैं। मुगलों के 600 साल के शासन के लिए कौन जिम्मेदार है? यदि भारतीय एकजुट रहे, तो क्या उनके लिए हम पर शासन करना संभव था?’
सिद्धारमैया ने ये भी कहा कि हिजाब पर विवाद करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। सभी को कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, 99.9 फीसदी छात्र कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा व एकता को लेकर मोदी ने नेहरू की तुलना में मजबूत कदम उठाए हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘स्वाभाविक है, पीएम मोदी की तुलना नेहरू से नहीं की जा सकती, क्योंकि चीन ने जब सन 1962 में भारत पर आक्रमण किया तो नेहरू ने उचित कदम उठाए बिना सीमावर्ती क्षेत्रों को चीन को दे दिया, जबकि नरेंद्र मोदी मजबूती से खड़े रहे हैं और उन्होंने हाल में सीमा पर हुई झड़पों में हमारे सीमा क्षेत्रों की रक्षा की।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा पीएम मोदी ने पाकिस्तान से कभी समझौता नहीं किया। फिर चाहे वो कोई भी मुद्दा क्यों न हो। उन्होंने भारत की एकता और अंखडता के लिए काम किया। इसके उदाहरण देश के सामने हैं। सिद्धरमैया कि आरएसएस के बारे की गई टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं पूछता हूं कि सिद्धरमैया कहां से आए, वह द्रविड़ हैं

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PM मोदी ने कहा किसानों को 3,500 का यूरिया बैग 300 रुपए में देती है सरकार, जानें आपको कैसे मिलेगा इस सब्सिडी का लाभ

गुजरात के गांधीनगर में एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 50 किलो के एक यूरिया बैग की कीमत 3,500 रुपए है, लेकिन यह किसानों को सिर्फ 300 रुपए में में दिया जाता है। इसका मतलब है कि एनडीए सरकार प्रति बैग 3,200 रुपए का खर्च वहन करती है।

वहीं आधिकारिक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, आयातित यूरिया के लिए उर्वरक सब्सिडी में यूरिया की 100% आयात लागत का भुगतान, 98% अग्रिम दावा और जमा किए गए यूरिया की आयात लागत का 2% शेष दावा भुगतान केंद्र की ओर से किया जाता है। प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य यह गारंटी देना है कि सभी योजना लाभों का पूरी तरह से उपयोग हो रहा है या नहीं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान चला रही है कि योजनाएं नागरिकों के लिए शत-प्रतिशत सुलभ हों। उन्‍होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में COVID-19 महामारी और युद्ध के कारण उर्वरकों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश में किसानों को यूरिया और अन्य आदानों की कमी का सामना न करना पड़े।

अगर आप भी खेती करते हैं तो आपको बता दें कि पीएम मोदी द्वारा बताए गए उर्वरक पर सब्सिडी का लाभ आप भी उठा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कुछ काम करना होगा, जिससे आप यूरिया खाद या अन्‍य उर्वरक पर सब्सिडी पा सकते हैं।

क्‍या है उर्वरक सब्सिडी योजना
केंद्र सरकार की ओर से किसानों पर उर्वरक का भार कम करने के लिए सब्सिडी योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत किसानों को कम दाम पर उर्वरक उपलब्‍ध कराया जाता है। सब्सिडी के मिलने से किसानों को उर्वरक बाजार से बेहद सस्‍ती कीमत में पड़ती है।

कैसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ
सब्सिडी सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत दी जाती है। उर्वरक डीबीटी प्रणाली के तहत खुदरा विक्रेताओं द्वारा लाभार्भियों को उर्वरक दी जाती है। किसानों और क्रेताओं को राजसहायता प्राप्‍त सभी उर्वरकों की बिक्री प्रत्‍येक खुदरा बिक्री दुकान पर लगी प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्‍यम से की जाती है तथा आधार कार्ड, केसीसी, मतदाता पहचान पत्र आदि के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाती है। सब्सिडी पाने के लिए किसानों को अपने खाते से बैंक को लिंक करना होगा। बाद में किसान आपके खाते में उर्वरक की सब्सिडी भेजेगी।

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PM मोदी ने कहा किसानों को 3,500 का यूरिया बैग 300 रुपए में देती है सरकार, जानें आपको कैसे मिलेगा इस सब्सिडी का लाभ

गुजरात के गांधीनगर में एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 50 किलो के एक यूरिया बैग की कीमत 3,500 रुपए है, लेकिन यह किसानों को सिर्फ 300 रुपए में में दिया जाता है। इसका मतलब है कि एनडीए सरकार प्रति बैग 3,200 रुपए का खर्च वहन करती है।

वहीं आधिकारिक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, आयातित यूरिया के लिए उर्वरक सब्सिडी में यूरिया की 100% आयात लागत का भुगतान, 98% अग्रिम दावा और जमा किए गए यूरिया की आयात लागत का 2% शेष दावा भुगतान केंद्र की ओर से किया जाता है। प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य यह गारंटी देना है कि सभी योजना लाभों का पूरी तरह से उपयोग हो रहा है या नहीं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान चला रही है कि योजनाएं नागरिकों के लिए शत-प्रतिशत सुलभ हों। उन्‍होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में COVID-19 महामारी और युद्ध के कारण उर्वरकों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश में किसानों को यूरिया और अन्य आदानों की कमी का सामना न करना पड़े।

अगर आप भी खेती करते हैं तो आपको बता दें कि पीएम मोदी द्वारा बताए गए उर्वरक पर सब्सिडी का लाभ आप भी उठा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कुछ काम करना होगा, जिससे आप यूरिया खाद या अन्‍य उर्वरक पर सब्सिडी पा सकते हैं।

क्‍या है उर्वरक सब्सिडी योजना
केंद्र सरकार की ओर से किसानों पर उर्वरक का भार कम करने के लिए सब्सिडी योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत किसानों को कम दाम पर उर्वरक उपलब्‍ध कराया जाता है। सब्सिडी के मिलने से किसानों को उर्वरक बाजार से बेहद सस्‍ती कीमत में पड़ती है।

कैसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ
सब्सिडी सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत दी जाती है। उर्वरक डीबीटी प्रणाली के तहत खुदरा विक्रेताओं द्वारा लाभार्भियों को उर्वरक दी जाती है। किसानों और क्रेताओं को राजसहायता प्राप्‍त सभी उर्वरकों की बिक्री प्रत्‍येक खुदरा बिक्री दुकान पर लगी प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्‍यम से की जाती है तथा आधार कार्ड, केसीसी, मतदाता पहचान पत्र आदि के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाती है। सब्सिडी पाने के लिए किसानों को अपने खाते से बैंक को लिंक करना होगा। बाद में किसान आपके खाते में उर्वरक की सब्सिडी भेजेगी।

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लातूरमध्ये लग्नाला आलेल्या वऱ्हाडावर कोसळला दुःखाचा डोंगर, सख्ख्या भावांसह तिघांचा बुडून मृत्यू

लातूर : लग्नाच्या वऱ्हाडासोबत आलेल्या दोन सख्ख्या भावांसह तीन मुलांचा अंघोळीसाठी उतरलेल्या पाण्यात बुडून मृत्यू झाला. ही घटना शुक्रवारी (२७ मे) सकाळी जळकोट तालुक्यातील लाळी खुर्द गावात कोल्हापुरी बंधाऱ्यावर घडली. संगमेश्वर बंडू तेलंगे (वय १३), चिमा बंडू तेलंगे (वय १५) व एकनाथ हनुमंत तेलंगे (वय १५) अशी मृत मुलांची नावे आहेत.

संगमेश्वर व चिमा हे दोघे सख्खे भाऊ कर्नाटकातील कमालनगर तालुक्यातील चिमेगाव येथील, तर एकनाथ हा उदगीर तालुक्यातील निडेबन येथील रहिवासी होता. लाळी खुर्द गावातील तुळशीदास तेलंगे यांच्या मुलीचा विवाह शुक्रवारी नियोजित होता. त्यासाठी गुरुवारी रात्रीच पाहुणेमंडळी तेलंगे यांच्याकडे दाखल झाली होती.

शुक्रवारी पाहुण्यांमधील तीन मुले गावातील तिरु नदीवरील कोल्हापुरी बंधाऱ्यावर अंघोळीसाठी गेले. आंघोळीसाठी उतलेल्यापैकी एकाचा पाय घसरून तो पाण्यात पडला. त्याला वाचवण्यासाठी इतर दोघे जणही पाण्यात उतरले. तिघांनाही पाण्याच्या खोलीचा अंदाज आला नाही. अखेर तिघांचाही बुडून मृत्यू झाला.

हेही वाचा : सांगलीत पाणवठ्यात पोहणाऱ्या दोन सख्ख्या बहिणी बुडाल्या, एकीला बचावण्यात यश, मात्र दुसरीचा दुर्दैवी मृत्यू

या घटनेचे वृत्त समजताच गावकऱ्यांनी प्रारंभी या मुलांना बाहेर काढण्याचा प्रयत्न केला. मात्र, पाणी खोल असल्यामुळे ते प्रयत्न विफल ठरले. घटनेची माहिती तहसीलदार सुरेखा स्वामी यांना देण्यात आली. त्यांनी उदगीर येथील अग्निशामक दलाला पाचारण केले. त्यानंतर अग्निशामक दलाच्या जवानांनी तीनही मुलांचे मृतदेह बाहेर काढले. या घटनेमुळे तेलंगे परिवारातील विवाहावर व लाळी खर्द गावावर शोककळा पसरली आहे.

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संभाजीराजेंनी निवडणुकीतून माघार घेतल्यानंतर शिवेंद्रराजेंचा गंभीर आरोप; म्हणाले “त्यांचा ठरवून…”

संभाजीराजे छत्रपतींचा ठरवून गेम करण्यात आला. त्यांच्या बाबतीत जे काही घडलं, कोणी घडवलं, हे सर्व संभाजीराजांना माहिती आहे. सर्वांनी छत्रपती संभाजी राजांचा ठरवून गेम केला,” अशी खरमरीत टीका आमदार शिवेंद्रसिंहराजे भोसले यांनी केली. यातून त्यांनी शिवसेनेसह संभाजीराजेंना पाठिंबा न देणाऱ्या पक्षांवर नाव न घेता निशाणा साधला. छत्रपती संभाजीराजेंनी सर्व राजकीय पक्षांना पाठिंब्याचं आवाहन केलं होतं. मात्र, सर्व पक्षांकडून त्यांना डावलले जात असल्याबाबत पत्रकारांनी विचारले असता आमदार शिवेंद्रसिंहराजे यांनी साताऱ्यात ही प्रतिक्रिया दिली.

शिवेंद्रराजे भोसले म्हणाले, “मराठा समाजाने संभाजीराजेंच्या पाठीशी खंबीर उभे राहावे आणि छत्रपती संभाजीराजेंनीं मराठा समाजाच्या माध्यमातून राज्याचे नेतृत्व करावे. छत्रपती संभाजीराजे हे आमच्या छत्रपती कुटुंबातील आहेत. मी त्यांच्यापेक्षा छोटा आहे. मात्र, संभाजीराजांचं मराठा क्रांती मोर्चा आणि मराठा आरक्षण यामध्ये फार मोठे काम आहे. त्यांनी समाजाला एकत्र ठेवण्याचे काम केले. यावेळी त्यांची खासदारकी गेली असेल, पण योग्य वेळी काय निर्णय घ्यायचा ते पारखून निर्णय त्यांनी घ्यावा.”

“छत्रपती संभाजीराजे यांनी पश्चिम महाराष्ट्र, विदर्भ, मराठवाडा, खानदेश येथे पोहोचून त्यांनी मराठा समाजात जागृती केली. समाजाला एकत्र ठेवण्याचे काम केले. संभाजीराजांच्या पुढील कारकिर्दीत मराठा समाजाने त्यांच्यासोबत रहावे. समाजासाठी स्थापन केलेल्या सकल मराठा संस्थेनेही त्यांच्या पाठीशी राहावे. कारण त्यांचे समाजासाठी फार मोठे योगदान आहे. छत्रपती संभाजीराजेंनी मराठा समाजाच्या माध्यमातून राज्याचे नेतृत्व करावे,” असं मत शिवेंद्रराजे भोसले यांनी व्यक्त केलं.

हेही वाचा : “जेव्हा जेव्हा आमच्या छत्रपतींना सन्मान देण्याची वेळ येते त्या प्रत्येक वेळी शिवसेनेने…”, आशिष शेलार यांचा हल्लाबोल

संभाजीराजेंनी स्वतंत्र पक्ष स्थापन केल्यास त्या पक्षात जाणार का? शिवेंद्रराजे म्हणाले…

संभाजीराजे छत्रपतींनी स्वतंत्र पक्ष स्थापन केल्यास तुम्ही त्यांच्या पक्षात जाणार का? असा प्रश्न विचारला असता, शिवेंद्रराजे म्हणाले, “मी आत्ता भाजपचा आमदार आहे. ज्या पक्षाबरोबर मी आहे त्यांच्याबरोबर राहणे चांगले. उगाच या पक्षातून त्या पक्षात, त्या पक्षातून त्या पक्षात जाणे योग्य ठरणार नाही.”

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अनिल देशमुखांच्या छातीत दुखू लागले; केईएमच्या ICU मध्ये केलं दाखल

महाराष्ट्राचे माजी गृहमंत्री अनिल देशमुखांना छातीत दुखू लागल्यामुळे केईएम रुग्णालयातील आयसीयूमध्ये दाखल करण्यात आले. तसेच त्यांचा रक्तदाब वाढला असून त्यांची लवकरच वैद्यकीय चाचणी केली जाणार असल्याची माहिती अधिकाऱ्यांनी दिली आहे. अनिल देशमुख १०० कोटी वसूली प्रकरणी सध्या सीबीआय कोठडीत आहेत.

खांद्याची शस्त्रक्रिया करण्यासाठी परवानगी

नोहेंबर २०२१ मध्ये मनी लॉन्ड्रिंग प्रकरणी सीबीआयने त्यांना अटक केली होती. देशमुखांनी या महिन्याच्या सुरुवातीला आपल्या खांद्याची शस्त्रक्रिया करण्यासाठी परवानगी मागणारी याचिका दाखल केली होती. मात्र, न्यायालयाने ती याचिका फेटाळून लावली होती. याचिकेत त्यांनी खासगी रुग्णालयात शस्त्रक्रिया करण्याची परवानगी मागितली होती. परंतु न्यायालयाने त्यांना शहरातील जेजे रुग्णालयात उपचार करण्याचे आदेश दिले होते.

काय आहे भ्रष्टाचाराचे प्रकरण?

मुंबईचे माजी पोलीस आयुक्त परमबीर सिंह यांनी भ्रष्टाचाराचे आरोप लावले होते. त्यानंतर देशमुखांना गृहमंत्रीपद सोडावे लागले होते. नंतर सीबीआयने त्यांच्यावर भ्रष्टाचारावरुन गुन्हा दाखल केला होता.

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अजमेर शरीफ दरगाह में मंदिर होने का दावा कर महाराणा प्रताप सेना ने जारी की फोटो, चैनल का दावा- ये तस्‍वीर ढाई दिन के झोपड़े की है

अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच एक न्यूज चैनल ने बड़ा दावा किया है। महाराणा प्रताप सेना ने एक फोटो जारी कर सर्वे की मांग की है। अब एबीपी न्यूज चैनल ने दावा किया है कि संगठन ने जो तस्वीर साझा की है, वो असल में अजमेर शरीफ दरगाह की है ही नहीं। चैनल का कहना है कि यह तस्वीर ढाई दिन का झोपड़ा है, जो अब खंडहर बन चुका है और यह सैकड़ों साल पुराना है।

बता दें कि देशभर में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब अजमेर शरीफ दरगाह में शिवालय होने का दावा किया जा रहा है। महाराणा प्रताप सेना ने दरगाह की जगह मंदिर होने का दावा कर दरगाह के सर्वे की मांग की है। हिंदू संगठन ने फोटो जारी करते हुए कहा कि दरगाह के दरवाजों और जालियों में स्वास्तिक के निशान बने हैं।

हिंदू संगठन के राजवर्धन सिंह परमार ने कहा कि दरगाह की दीवारों व खिडकियों में हिन्दू धर्म से संबंधित चिह्न हैं। उन्होंने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की ओर से दरगाह का सर्वे करवाया जाये।

वहीं, दरगाह पर सेवकों की कमिटी ने हिंदू संगठने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वहां इस तरह का कोई चिन्ह नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समाज के लोग दरगाह में आते हैं। उन्होंने कहा कि दरगाह 850 सालों से है। इस तरह का कोई सवाल आज तक उठा ही नहीं हैं। आज देश में एक विशेष तरह का माहौल है जो पहले कभी नहीं था।

दरगाह पर सवाल उठाना करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है
वहीं, उन्होंने कमिटी ने कहा कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सवाल उठाने का मतलब उन करोड़ो लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है, जो अपने-अपने धर्म को मानने वाले हैं और यहां आते हैं। कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन चिश्ती ने कहा कि ऐसे सभी तत्वों को जवाब देना सरकार का काम है। देश में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवाद को लेकर उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश का आरोप लगाया है।

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ADR Report: पांच क्षेत्रीय दलों को इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड के जरिए मिला 250 करोड़ का चंदा

चुनाव अधिकार समूह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार, पांच क्षेत्रीय दलों ने घोषणा की है कि उन्हें 2020-21 में चुनावी बांड (Electoral Bonds) के माध्यम से 250.60 करोड़ रुपये का चंदा मिला है।

31 क्षेत्रीय दलों की कुल आय 529.416 करोड़ रुपए: एडीआर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में 31 क्षेत्रीय दलों की कुल आय 529.416 करोड़ रुपए थी और उनका कुल घोषित खर्च 414.028 करोड़ रुपए था। साल 2020-21 में सबसे ज्यादा खर्च करने वाली पांच पार्टियों में डीएमके (218.49 करोड़ रुपए), टीडीपी (54.769 करोड़ रुपए), अन्नाद्रमुक (42.37 करोड़ रुपए), जनता दल यूनाइटेड (24.35 करोड़ रुपए) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (22.35 करोड़ रुपए) शामिल हैं।

इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड के जरिए 250.60 करोड़: रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष पांच दलों की कुल आय 434.255 करोड़ रुपए है, जो विश्लेषण किए गए राजनीतिक दलों की कुल आय का 82.03 प्रतिशत है। स्वैच्छिक योगदान के तहत, राजनीतिक दलों ने इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड के जरिए अपनी आय का 250.60 करोड़ (47.34 प्रतिशत) दान से एकत्र किया। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए दूसरे दान और योगदान 126.265 करोड़ रुपए (23.85 प्रतिशत) थे।

29 पार्टियों की आय में गिरावट: जिन 31 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल पांच ने इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड के जरिए चंदे की घोषणा की। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 31 क्षेत्रीय दलों की कुल आय में से 84.64 करोड़ रुपए (15.99 प्रतिशत) ब्याज से कमाई गयी आय थी। 31 पार्टियों में से 29 की कुल आय वित्त वर्ष 2019-20 में 800.26 करोड़ रुपए से घटकर वित्त वर्ष 2020-21 में 520.492 करोड़ रुपए हो गई, जो कि 34.96 प्रतिशत की गिरावट है।

एडीआर ने कहा कि 17 क्षेत्रीय दल हैं जिन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उनकी आय का एक हिस्सा शेष है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट फिलहाल ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं थी।

2019-20 में बीजेपी की 4847.78 करोड़ रुपए की संपत्ति: एडीआर के अनुसार, भाजपा ने वित्त वर्ष 2019-20 में 4,847.78 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की, जो सभी राजनीतिक दलों में सर्वाधिक है। इसके बाद बसपा ने 698.33 करोड़ रुपए और कांग्रेस ने 588.16 करोड़ रुपए की संपत्ति की घोषणा की है। वित्त-वर्ष 2019-20 में एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष के दौरान सात राष्ट्रीय और 44 क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल संपत्ति क्रमश: 6,988.57 करोड़ रुपए और 2,129.38 करोड़ रुपए थी।

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ज्ञानवापी में शिवलिंग या फव्‍वारा? 30 मई को जारी होंगे वीडियो-फोटो, देवकीनंदन ठाकुर बोले- सबूत सही साबित हुए तो क्‍या शोएब जमई हिंदू बन जाएंगे, शिव की पूजा करेंगे?

उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी मस्जिद में वाराणसी कोर्ट के आदेश पर कराए गए सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंग मिलने के दावे से जुड़े वीडियो और फोटो 30 मई को मुस्लिम और हिंदू पक्ष को जारी किए जाएंगे। जिला कोर्ट ने सर्वे के वीडियो और फोटो जारी करने का आदेश दे दिया है।

इस मामले को लेकर चल रही एक टीवी डिबेट में धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर ने आईएमएफ अध्यक्ष शोएब जमई पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सर्वे की फोटो और वीडियो को सार्वजनिक करने के लिए ये मना क्यों कर रहे हैं। देवकीनंद ठाकुर ने कहा कि योगी सरकार से प्रार्थना है कि सर्वे की फोटो और वीडियो को सार्वजनिक कर दें, ताकि सच्चाई सबके सामने आ जाए और दुनिया को पता चले कि झूठ कौन बोल रहा है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा, “अगर ये सुबूत सच्चे हुए तो शोएब जमई अपना धर्म छोड़कर हिंदू धर्म स्वीकार करेंगे फिर शिवजी की पूजा करेंगे?”

वहीं, हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, “आज वीडियोग्राफी की सर्टिफाइड कॉपी मिलनी थी लेकिन सूचना मिली कि टेक्निकल कमी के कारण सीडी नहीं बनी है। उन्होंने कहा है कि 30 मई को सभी अधिवक्ताओं को कोर्ट में सीडी मिलेगी।”

पीएफआई ने किया आह्वान, मुसलमान एक होकर मस्जिदों पर एक्शन का करें विरोध
देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने मुसलमानों से अपील की है कि एक होकर मस्जिदों पर एक्शन का विरोध करें। इस सिलसिले में पीएफआई ने एक प्रेस रिलीज जारी कर देशभर के मुसलमानों से मस्जिदों पर किए जा रहे दावों का विरोध करने की अपील की है।

केरल के पुत्थनथानी में संगठन ने 23 और 24 मई को राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक बुलाई थी, जिसमें प्रस्ताव पारित करते हुए मुसलमानों से अपील की गई कि वह मस्जिदों के खिलाफ जारी कार्रवाई का व‍िरोध करें। इसके साथ ही, पीएफआई ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं को कोर्ट की ओर से स्वीकारने पर निराशा जताई है।

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“पंढरपूर, तिरुपती ही मंदिरं नसून पूर्वीची बौद्ध विहारेच, आम्ही हजारोंच्या संख्येनं तिथे…”, भीम आर्मीनं दिला इशारा!

डॉ. आंबेडकर चरित्र साधने प्रकाशन समितीचे सदस्य सचिव आणि ज्येष्ठ साहित्यिक डॉ. प्रदीप आगलावे यांनी दोनच दिवसांपूर्वी जगन्नाथपुरी (ओरिसा), तिरुपती बालाजी( आंध्र प्रदेश), पंढरपूर, कांचीपुरम (तामिळनाडू), महाकाली( उज्जैन) इत्यादी असंख्य प्रसिद्ध मंदिरे ही पूर्वीची बौद्ध विहारे, बौद्ध स्तूप असल्याचा दावा केला आहे. या मुद्द्यावरून सध्या संमिश्र प्रतिक्रिया उमटत असतानाच भीम आर्मीचे राष्ट्रीय महासचिव अशोक कांबळे यांनी पंढरपूरला हजारोंच्या संख्येने बुद्धवंदना घ्यायला जाणार असल्याचा इशारा दिला आहे. काही दिवसांपूर्वी राज ठाकरेंच्या औरंगाबाद सभेमध्ये नियमांचं उल्लंघन झाल्यास तिथेच घोषणाबाजी करण्याचा देखील इशारा अशोक कांबळे यांनी दिला होता. तेव्हा ते चर्चेत आले होते.

डॉ. आगलावे यांचा नेमका दावा काय?

डॉ. आगलावे यांनी भारतातील प्रसिद्ध मंदिरे ही पूर्वीची बौद्ध विहार आणि स्तूप असल्याचा दावा केला आहे. “संशोधकांनी भारतातील अनेक प्रसिद्ध मंदिरे ही पूर्वीची बौद्ध विहारे होती हे सिद्ध केले आहे. प्रबोधनकार केशव ठाकरे यांनी ‘देवळाचा धर्म आणि धर्माची देवळे’ (१९२९) या पुस्तकात स्पष्टपणे नमूद केले आहे की, ‘ठिकठिकाणच्या बौद्ध विहारांतल्या पवित्र वास्तूंचा आणि बौद्धमूर्तींचा उच्छेद केला गेला आणि तेथे शंकराच्या पिंडी तयार करण्यात आल्या”, असे आगलावे म्हणाले आहेत.

तसेच, “कित्येक ठिकाणी तर अशा रीतीने बौद्ध विहारांचे रुपांतर शंकराच्या देवळात झाले. लोणावळ्याजवळची कार्ला लेणी पाहा. ही वास्तविक बौद्धांची. तेथे एक देवी प्रकट झाली. तिचे नाव एकविरा. ही म्हणे पांडवांची बहीण”, असे डॉ. आगलावे यांनी लोकसत्ताला पाठवलेल्या निवेदनात म्हटले आहे.

“पंढरपूरसह देशातील अनेक प्रसिद्ध मंदिरे पूर्वीची बुद्ध विहारे, स्तूप”; प्रबोधनकार, आंबेडकरांचा संदर्भ देत डॉ. आगलावेंचा दावा

“हजारोंच्या संख्येनं पंढरपूरला जाणार”

दरम्यान, यासंदर्भात बोलताना भीम आर्मीने मुख्यमंत्र्यांनी पंढरपूर हे बौद्ध विहार असल्याचं घोषित करावं, अशी मागणी केली आहे. “डॉ. आगलावे यांनी जी भूमिका मांडली तिला आमचं समर्थन आहे. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनी लिहिलेल्या रिडल्स इन हिंदुइजम या पुस्तकात लिहिलं आहे की तिरुपती बालाजी इथली मूर्ती तथागत गौतम बुद्धांची आहे आणि ते विहार आहे. पंढरपूरच्या मंदिरात गौतम बुद्धाची मूर्ती असून तेही विहार आहे. त्यामुळे उद्धव ठाकरे, तुम्ही महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री आहात. आपण पंढरपूरचं मंदिर विहार आहे असं घोषित करावं. तिथे हजारोंच्या संख्येनं आम्ही बुद्धवंदना घ्यायला जाणार आहोत”, असं अशोक कांबळे म्हणाले आहेत. “आम्ही कुणाच्या धर्माच्या विरोधात नाही. आम्ही द्वेषाचं राजकारण करत नाही”, असं देखील अशोक कांबळे म्हणाले आहेत.

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पाच दिवसांच्या रखडपट्टीनंतर मोसमी पावसाची पुन्हा आगेकूच ;  केरळमधून भारतातील प्रवेशाबाबत आता उत्सुकता

पुणे : दक्षिण अरबी समुद्र आणि बंगालच्या उपसागरामध्ये गेली पाच दिवस रखडलेल्या नैऋत्य मोसमी वाऱ्यांनी अखेर सहाव्या दिवशी भारताच्या दिशेने आगेकूच सुरू केली आहे. पुढील ४८ तासांत मोसमी वारे आणखी प्रगती करतील, असा अंदाज भारतीय हवामानशास्त्र विभागाने व्यक्त केली आहे. मोसमी वाऱ्यांचा प्रवास पुन्हा सुरू झाला असल्याने आता ते केरळमधून भारतात कधी प्रवेश करणार, याबाबत उत्सुकता निर्माण झाली आहे.

यंदा सर्वसाधारण वेळेपेक्षा तब्बल सहा दिवस आधी म्हणजे १६ मे रोजी मोसमी पाऊस अंदमानात दाखल झाला. मोसमी वारे मोठ्या प्रमाणावर बाष्य घेऊन आल्याने मोसमी पावसाची प्रगती वेळेआधीच झाली होती. मात्र, त्यानंतर मोसमी वाऱ्यांचा प्रवास दिवसाआड होऊ लागला. बंगालच्या उपसागरात १७ आणि १९ मे रोजी मोसमी वाऱ्यांनी प्रगती केली होती. मात्र, अरबी समुद्रात त्यांचा प्रवेश झाला नव्हता. अखेर २० मे रोजी दक्षिण अरबी समुद्रात मोसमी वारे पोहोचले. त्यामुळे ते केरळच्या दिशेने वेगाने येतील, अशी शक्यता निर्माण झाली असतानाच वातावरणात बदल झाला. पोषक स्थिती दूर झाली आणि मोसमी वाऱ्यांचा प्रवास रखडला. दक्षिण अरबी समुद्रात २० मे रोजी दाखल झालेल्या मोसमी वाऱ्यांचा प्रवास २५ मेपर्यंत थांबला. याच कालावधीत बंगालच्या उपसागराच्या दिशेनेही मोसमी वाऱ्यांनी कोणतीही प्रगती केली नाही. त्यामुळे त्यांच्या प्रवासाबाबत चिंता व्यक्त केली जात असतानाच हवामान विभागाने मोसमी वाऱ्यांच्या प्रवासाला पोषक वातावरणाचा अंदाज व्यक्त केला. त्यानुसार २६ मे रोजी दक्षिण अरबी समुद्रात मोसमी वाऱ्यांनी मोठी प्रगती केली. या भागात वारे मालदिव आणि कोमोरीनजवळ पोहोचले आहेत. बंगालच्या उपसागरातही त्यांनी प्रगती केली आहे. पुढेही मोसमी वाऱ्यांच्या प्रवासाला पोषक वातावरण असल्याने पुढील ४८ तासांमध्ये ते मालदिवसह, लक्षद्विप परिसराजवळ दाखल होऊ शकतात, असे हवामान विभागाने स्पष्ट केले आहे. या सर्वांचा परिणाम म्हणून सध्या केरळसह दक्षिणेकडील बहुतांश भाग आणि मध्य तसेच उत्तर-पूर्व भागात पाऊस होतो आहे.

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ईडी कारवाई करणार हे अगोदरच कसं कळतं? खुद्द किरीट सोमय्या यांनीच दिलं उत्तर; म्हणाले…

शिवसेना नेते तथा परिवहनमंत्री अनिल परब यांच्या मुंबईतील निवासस्थानवर ईडीने छापा टाकल्यानंतर राजकीय वातवरण चांगलेच तापले आहे. शिवसेनेकडून भाजपावर टीकेचे आसूड ओढण्यात येत आहेत. तर भाजपाकडूनही शिवसेनेला जशास तसे उत्तर दिले जात आहे. याआधीही महाविकास आघाडीच्या अनेक नेत्यांमागे ईडी आणि आयकर विभागाच्या चौकशीचा ससेमिरा लागलेला आहे. यातील अनेक नेत्यांवर भाजप नेते किरीट सोमय्या यांनी अगोदर आरोप केलेले आहेत. नंतरच महाविकास आघाडीच्या नेत्यांवर कारवाई करण्यात आलेली आहे. याच कारणामुळे ईडी आणि आयकर विभागाच्या कारवाईची माहिती सोमय्या यांना सर्वप्रथम कशी मिळते, असा प्रश्न नेमही विचारला जातो. या प्रश्नाचे उत्तर आता खुद्द किरीट सोमय्या यांनीच दिले आहे.

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“जेव्हा तक्रार दाखल करण्यात येते तेव्हा सुनावणीदरम्यान कमिटमेंट मिळते. मी या प्रकरणात पूर्णपणे लक्ष घातलेलं असतं. त्यामुळे मला हे लगेच समजू शकतं. दापोली कोर्टात अनिल परब यांच्याविरोधात दाखल करण्यात आलेली तक्रार नीट वाचली तर लक्षात येतं की या तक्रारीत बनावट कागदपत्रे, फसवणूक असं भारत सरकारने लिहिलेलं आहे. आयकर विभगाची धाड पडली. सदानंद कदम यांच्या ऑडिटरने लिखित स्वरुपात जबाब दिला की सात कोटी रुपये सदानंद कदम यांच्या अकाऊंटमधून गेले आहेत. मात्र अनिल परब यांनी चौकशीत शून्य रुपये गेल्याचे सांगितले. त्यामुळे अनिल परब यांना तुरुंगात जावं लागेल, हे स्पष्ट आहे, असे किरीट सोमय्या म्हणाले.

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तसेच ईडी आणि आयकर विभागाची कारवाई अगोदर कशी समजते या प्रश्नाचे उत्तर देताना, “ईडी असेल आयकर विभाग असेल यांचा मी पाठवुरावा करतो. तुरुंगात जावं लागतंय हा त्यांचा प्रश्न आहे. महाराष्ट्राच्या जनतेला कोण अगोदर सांगतंय कोण नंतर सांगतंय याबद्दल काही देणघेणं नाही. ज्यांनी महाराष्ट्राला लुटलं ते तुरुंगात जात आहेत, याचा महाराष्ट्रातील जनतेला आनंद आहे,” असे स्पष्टीकरण किरीट सोमय्या यांनी दिले.

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Video : ..आणि वाद टाळण्यासाठी अजित पवारांनी गुरुज्योत सिंग यांना म्यानातून तलवार काढूच दिली नाही; डोक्याला मारला हात!

गेल्या काही महिन्यांमध्ये राजकीय कार्यक्रमांमध्ये मोठ्या नेत्यांना तलवारी भेट देणं आणि त्यांनी त्या तलवारी म्यानातून काढून उंचावून दाखवणं हे प्रकार सामान्य झाल्याइतके नियमितपणे घडू लागले आहेत. त्यावरून प्रसंगी वाद देखील ओढवले असून याचसंदर्भात मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे यांच्याविरोधात पाडवा मेळाव्यानंतर गुन्हा देखील दाखल झाला आहे. या पार्श्वभूमीवर अशा प्रकारे म्यानातून तलवार काढून दाखवणं वादाला आमंत्रण देण्यासाठी कारण ठरत असल्याचं गेल्या काही दिवसांत घडलेल्या प्रकरणांवरून समोर आलं आहे. त्यामुळेच की काय, आज मुंबईत राष्ट्रवादी काँग्रेसच्या एका कार्यक्रमात पक्षाचे नेते आणि राज्याचे उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी चक्क भेट मिळालेली तलवार म्यानातून काढायला नकार दिला! या प्रकाराचे व्हिडीओ आणि फोटो व्हायरल होऊ लागले आहेत.

नेमकं झालं काय?

भाजपाचे मुलुंडमधील दिवंगत नेते आणि माजी आमदार सरदार तारासिंग यांचे नातू गुरुज्योत सिंग यांनी आज अजित पवारांच्या उपस्थितीत राष्ट्रवादी काँग्रेसमध्ये प्रवेश केला. यावेळी त्यांच्यासोबत काही कार्यकर्त्यांनी देखील प्रवेश केला. यावेळी स्टेजवर अजित पवारांच्या शेजारी येताच गुरुज्योत सिंग यांनी अजित पवारांना भेट म्हणून द्यायला आणलेली तलवार पुढे केली. अजित पवारांनी समोर आलेली भेट म्हणून तलवार हातात घेत तिचा स्वीकार देखील केला, पण पुढे घडू पाहात असलेल्या प्रसंगामुळे अजित पवार लागलीच सतर्क झाले आणि त्यांनी गुरुज्योत सिंग यांना तिथल्या तिथेच अडवलं!

..आणि अजित पवारांनी डोक्याला हात मारला!

गुरुज्योत सिंग यांनी अजित पवारांच्या हातात तलवार देऊन ती म्यानातून बाहेर काढण्याची तयारी केली होती. त्यांनी तलवारीच्या मुठीला हात घालताच अजित पवारांनी लागलीच सतर्क होत गुरुज्योत सिंग यांना आवर घातला. डोक्याला हात मारत त्यांनी गुरुज्योत सिंग यांना कानात काहीतरी सांगितलं आणि पुढचा प्रसंग टाळला.

तलवारीमुळे अनेकदा निर्माण झाले वाद!

याआधी देखील तलवारीमुळे अनेकदा वाद निर्माण झाल्याचे प्रसंग घडले आहेत. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरेंना देखील पाडवा मेळाव्यात अशा प्रकारे तलवार भेट दिल्यानंतर त्यांनी ती हवेत उंचावून दाखवल्याप्रकरणी त्यांच्याविरोधात गुन्हा दाखल करण्यात आला होता. या कारवाईनंतर मनसे नेते संदीप देशपांडे यांनी सोनिया गांधी, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, शरद पवार, संजय राऊत यांचे अशाच प्रकारे तलवार घेतलेले फोटो एकत्र केलेला एक व्हिडीओ ट्वीट करत “उद्धवा अजब तुझे सरकार” अशी कॅप्शन दिली होती.

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“…पण गृहिणी होणं हे कोल्हापूर सोडून पुण्याला येण्याइतकं सोपं नसतं”; सुप्रिया सुळेंवरील चंद्रकांत पाटलांच्या टीकेला रोहित पवारांचं प्रत्युत्तर

भाजपाचे प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील यांनी राष्ट्रवादी काँग्रेसच्या खासदार सुप्रिया सुळेंवर केलेल्या वादग्रस्त टीकेवर राष्ट्रवादीचे आमदार रोहित पवार यांनी प्रत्युत्तर दिलंय. “गृहिणी होणं हे कोल्हापूर सोडून पुण्याला येण्याइतकं सोपं नसतं,” असं म्हणत रोहित पवार यांनी चंद्रकांत पाटील यांच्यावर हल्लाबोल केला. रोहित पवार यांनी ट्वीट करत चंद्रकांत पाटलांना लक्ष्य केलंय. यात त्यांनी भाजपा नेत्यांकडून नेहमीच महिलांचा द्वेष केला जातो, असा आरोपही त्यांनी केला.

रोहित पवार म्हणाले, “गृहिणींचा अभिमान असावा, पण भाजपा नेत्यांकडून महिलांचा नेहमीच द्वेष केला जातो आणि चंद्रकांत पाटील यांचं वक्तव्यही याच द्वेषातून आलेलं आहे. म्हणूनच राजकारणी व यशस्वी गृहिणी असलेल्या सुप्रिया सुळेंबद्दल त्यांचा राग असावा! पण गृहिणी होणं हे कोल्हापूर सोडून पुण्याला येण्याइतकं सोपं नसतं!”

चंद्रकांत पाटील नेमकं काय म्हणाले होते?

मध्य प्रदेशचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यांच्याशी संपर्क केला पण त्यांनी दिल्लीत जाऊन काय केले हे आम्हाला सांगितले नाही असे सुप्रिया सुळे म्हणाल्याचे पत्रकारांनी सांगितले. त्यावर चंद्रकांत पाटील यांनी आक्रमक होत प्रतिक्रिया दिली. “तुम्ही राजकारणामध्ये कशासाठी राहता, घरी जा आणि स्वयंपाक करा. तुम्ही खासदार आहात ना. एका मुख्यमंत्र्यांची भेट कशी घ्यायची हे तुम्हाला कळत नाही. तुम्ही दिल्लीत जा नाहीतर मसणात जा. शोध घ्या आणि आरक्षण द्या,” असे चंद्रकांत पाटील म्हणाले.

हेही वाचा : पत्नीला ‘मसणात जा’ म्हणणाऱ्या चंद्रकांत पाटलांवर सदानंद सुळे संतापले; म्हणाले “मला नेहमीच वाटत होतं हे…”

सुप्रिया सुळे काय म्हणाल्या होत्या?

“ओबीसी आरक्षणासंदर्भात आपण एकत्र लढायचे असे ठरले होते. मध्य प्रदेशचे मुख्यमंत्री दिल्लीला गेले. दोन दिवसांत असं काय त्या सरकारने केले आणि दिल्लीत बैठक झाली आणि त्यांना न्याय मिळाला आणि आपल्यावर अन्याय झाला. याचं उत्तर मी केंद्र सरकारला विचारणार आहे. मध्य प्रदेश बाबत जो निर्णय दिला आहे तो अंतिम निर्णय नाही. त्यामुळे हे जे सांगत आहे की मध्य प्रदेशला जमले आणि तुम्हाला जमले नाही यातही खोटेपणा आहे,” असे सुप्रिया सुळे म्हणाल्या.

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आधी राऊत म्हणाले आमच्याकडेही पुरावे आहेत; आता सोमय्यांचा पलटवार, म्हणाले “बोलती बंद झाली, ते…”

शिसवेना नेते तथा परिवहनमंत्री अनिल परब यांच्याशी संबंधित सात ठिकाणांवर ईडीने छापेमारी केली आहे. त्यांच्या वांद्रे येथील निवासस्थानी तसेच पुणे आणि रत्नागिरी येथे ईडीची कारवाई सुरु आहे. या कारवाईनंतर राजकीय वातावरण तापले असून आरोप प्रत्यारोप केले जात आहेत. शिवसेना खासदार संजय राऊत यांनी आमच्याकडेही भाजपाच्या असंख्य लोकांविरोधात सबळ पुरावे आहेत, असे वक्तव्य करत भाजपावर निशाणा साधला होता. त्यानंतर आता भाजपा नेते किरिट सोमय्या यांनी राऊतांवर पलटवार केला आहे. महाराष्ट्रातील जनतेला अशा वक्तव्यांची सवय झाली आहे, अशी खोचक टीका सोमय्या यांनी राऊतांवर केलीय.

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“आजच मेधा सोमय्या यांनी संजय राऊत यांच्यावर दाखल केलेल्या १०० कोटी रुपयांच्या अब्रुनुकसानीच्या दाव्याची शिवडी कोर्टात सुनावणी झाली. मेधा सोमय्या यांचा जबाब नोंदवण्यात आला. संजय राऊत यांची बोलती बंद झाली. १०० कोटींच्या शौचालय घोटाळ्याबद्दल १०० पैशांचे कागदपत्रं ते दाखवू शकलेले नाहीत. संजय राऊत आणि उद्धव ठाकरेंना महाराष्ट्रातील जनतेला लुटायचं आहे. मंत्र्यांचे घोटाळे उघड झाले की अशा प्रकारचे वक्तव्य करण्याची त्यांना सवय आहे. महाराष्ट्रातील जनतेलाही याची सवय झाली आहे,” असा टोला सोमय्या यांनी राऊतांना लगावला.

हेही वाचा >>> अनिल परब यांच्यावरील कारवाईनंतर किरीट सोमय्या यांचे मोठे वक्तव्य; म्हणाले, “त्यांनी कपड्यांची बॅग…”

तसेच पुढे बोलताना त्यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांच्यावर निशाणा साधला. “उद्धव ठाकरे हे माफीया सेनेचे सरदार आहेत. लुटेरोंका सरदार तो डाकू होता आहे. म्हणून उद्धव ठाकरे आपल्या बाकीच्या सरदारांना वाचवायचा प्रयत्न करत आहेत. मी स्वत: उद्धव ठाकरे यांच्या पत्नीच्या बंगल्यांचा घोटाळा बाहेर काढला आहे. उद्धव ठाकरे याविषयी एक शब्द बाहेर काढत नाहीत. ते अनिल परब यांना काय वाचवतील,” अशा शब्दांत सोमय्या यांनी उद्धव ठाकरे यांच्यावर टीका केली.

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संभाजीराजेंच्या उमेदवारीवरुन राजकारण रंगलेलं असताना पुत्र शहाजीराजेंची पहिली प्रतिक्रिया; राऊतांना म्हणाले “मावळ्यांना…”

संभाजीराजेंच्या राज्यसभेच्या उमेदवारीवरुन राज्यात सध्या आरोप प्रत्यारोपाच्या फैरी झाडल्या जात आहेत. संभाजीराजेंनी शिवसेनेत प्रवेश करण्यास नकार दिल्याने त्यांच्या उमेदवारीचा विषय मागे पडला. राज्यसभेच्या सहा जागांसाठी होणाऱ्या द्वैवार्षिक निवडणुकीत संभाजीराजे हे अपक्ष म्हणून लढण्यावर ठाम असल्याने ही निवडणूक बिनविरोध होण्याची शक्यता मावळली आहे. या सर्व घडामोडींदरम्यान संभाजीराजेंनी फेसबुकवर छत्रपती शिवाजी महारांना वाकून नमस्कार करताना स्वत:चा एक फोटो भावनिक मजकुरासहीत पोस्ट केलाय. तर दुसरीकडे त्यांचे पुत्र शहाजीराजे छत्रपती यांनी यावर प्रतिक्रिया दिली आहे.

शहाजीराजे छत्रपती सोलापुरात असताना प्रसारमाध्यमांशी संवाद साधला. यावेळी त्यांनी वडिलांच्या उमेदवारीवरुन सुरु असलेल्या घडामोडींवर भाष्य केलं. राजकारणाचा चिंता रोजच्या जीवनात आणणं हे मला पटत नाही असं यावेळी त्यांनी सांगितलं.

Rajya Sabha Election: शिवरायांसमोर नतमस्तक होणाऱ्या फोटोसहीत संभाजीराजेंची पोस्ट; म्हणाले, “महाराज, तुमच्या…”

“चालू असलेल्या घडामोडींमुळे आमच्या आजुबाजूचे लोक चिंतेत आहेत. राजेंचं काय होणार? राजे काय करणार आहेत? राजे माघार घेणार की काय? पण आमच्या घरात तणावाचे वातावरण नाही. काल रात्रीदेखील मी आणि आई घरात काय साहित्य खरेदी करावे यावर चर्चा करत होतो. आम्ही कोणत्याही प्रकारच्या तणावात नाही. आमचं नेहमीप्रमाणे सगळं सुरु आहे,” असं त्यांनी सांगितलं.

Maharashtra Breaking News Live: दिवसभरातील महत्वाच्या घडामोडी एकाच क्लिकवर, जाणून घ्या क्षणोक्षणीचे अपडेट

“सगळ्या घडामोडींवरुन संभाजीराजेंबद्दल जनतेच्या मनात किती प्रेम आहे हे लक्षात येतं. पण राजकारणाची चिंता रोजच्या जीवनात आणणं मला पटत नाही. आम्ही जर खूश नसलो तर लोकांसाठी कसं काम करणार,” असं शहाजीराजे छत्रपती म्हणाले.

राज्यसभा निवडणूक; संजय राऊत आणि संजय पवार यांचा उमेदवारी अर्ज दाखल

मावळ्यांमुळेच राजे होतात या संजय राऊतांच्या वक्तव्यावर बोलताना ते म्हणाले की, “बरोबरच आहे, त्यात चुकीचं काही नाही. शिवाजी महाराजांना ताकद कोणी दिली तर मावळ्यांनी दिली. पण मावळ्यांना शिवाजी महाराजांनीच घडवलं. संभाजीराजेंच्या मागी इतक्या संघटना का आहेत? संभाजीराजेंनी मावळ्यांना दिशा दिली आणि त्यांनी ताकद परत दिली. हे एक नातं आहे”.

“महाराष्ट्रातून संभाजीराजेंना, छत्रपती घराण्याला मोठा पाठिंबा मिळत आहे. मागील तीन दिवसातील घडामोडी पाहिल्या तर इतका पाठिंबा कुठून मिळतोय याचं आश्चर्य वाटतं. हे पाहून चांगलं वाटतं आणि यामुळे जबाबदारी वाढते,” असं शहाजीराजेंनी सांगितलं. यावेळी त्यांनी जास्त राजकीय भाष्य करणं टाळलं.

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कपिल सिब्बल ने भी छोड़ी कांग्रेस: जानें बीते पांच महीने कौन-कौन से पांच बड़े चेहरे कह गए पार्टी को बाय

कांग्रेस को अलविदा कहने वाले पार्टी के दिग्गज नेताओं में अब कपिल सिब्बल का भी नाम जुड़ गया है। उन्होंने सपा के समर्थन से राज्यसभा जाने का फैसला किया है। कपिल सिब्बल समेत एक के बाद एक कई नेताओं का जाना पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका है। आईए जानते हैं पिछले पांच महीनों में कौन-कौन से बड़े चेहरों ने पार्टी को कर दिया टाटा बाय-बाय..

कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल के पिछले कुछ समय से पार्टी आलाकमान के साथ रिश्ते काफी खराब चल रहे थे। उन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठाए। उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद लगा था कि रिश्ते बेहतर होंगे, लेकिन सिब्बल और कांग्रेस के बीच की कमजोर डोर टूट गई। सिब्बल “जी -23” के एक प्रमुख सदस्य थे और वे लगातार पार्टी की स्थिति को सुधारने और नेतृत्व को लेकर आवाज उठाते रहे। आखिरकार, एक लंबा सफर तय करने के बाद उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया, जो कभी कांग्रेस का मजबूत स्तंभ हुआ करते थे।

सुनील जाखड़
कांग्रेस की पंजाब इकाई के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ने से पहले फेसबुक लाइव आकर इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी हाईकमान चापलूसों और चुगलखोरों से घिरा हुआ है। जाखड़ ने एक तीखे संदेश में कहा था कि शीर्ष नेताओं को दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करने की जरूरत है। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।

हार्दिक पटेल
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। चुनाव से पहले पटेल का चले जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका है। पार्टी छोड़ते वक्त उन्होंने राज्य में पार्टी नेतृत्व और राहुल गांधी को लेकर निशाना साधते हुए कहा था कि जब वे उनसे मिले तो शीर्ष नेता मोबाइल फोन में ज्यादा व्यस्त थे। उन्होंने यह भी कहा था कि वे गुजरात कांग्रेस के मुद्दों से ज्यादा उनका ध्यान चिकन सैंडविच पर था। इससे पहले भी हार्दिक पटेल ने उन्हें पार्टी के भीतर दरकिनार करने की बात कही थी।

अश्विनी कुमार
पूर्व कानून मंत्री ने चार दशक के जुड़ाव के बाद फरवरी में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी को लिखे अपने त्याग पत्र में उन्होंने कहा कि यह कदम “मेरी गरिमा के अनुरूप है”।

आरपीएन सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए। मीडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि वह 32 साल से कांग्रेस में थे लेकिन “पार्टी अब वह नहीं रही जो पहले हुआ करती थी”।

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Yasin Malik Case: NIA ने यासीन मलिक के लिए मांगी सजा ए मौत, आज फैसला सुनाएगा कोर्ट

एनआईए की विशेष अदालत बुधवार (25 मई, 2022) को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की सजा का एलान करेगी। सजा को लेकर कोर्ट की सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब सजा का एलान होना है। जानकारी के मुताबिक, यासीन मलिक ने कहा कि वे सजा को लेकर कुछ नहीं बोलेंगे, अदालत को जो सही लगता है, वो सजा दीजिए। बताया जा रहा है कि एनआईए ने यासीन मलिक को मौत की सजा की मांग की है।

बता दें कि यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया है। सुनवाई के दौरान यासीन ने कबूल किया था कि वे कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल थे। यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और कश्मीर में अशांति फैलाने की धाराओं में आरोप तय किए गए थे। यासीन मलिक ने कोर्ट में इन आरोपों को कबूल किया था, जिसके बाद 19 मई को मलिक को दोषी ठहराया गया।

अदालत ने उस पर यूएपीए (UAPA) की धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) , 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) एवं 124-ए (देशद्रोह) के तहत आरोप तय किए थे। उसने कोर्ट के सामने इन आरोपों को स्वीकार कर लिया था और इन्हें चुनौती देने से इनकार किया था।

यासीन मलिक की सजा को लेकर क्या बोलीं महबूबा मुफ्ती
यासीन मलिक की सजा को लेकर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, “फांसी देने से कश्मीर का मसला हल नहीं होगा, उल्टा खराब ही होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक सियासी मसला है, यहां पहले भी कई लोगों को फांसी दी गई, उम्र कैद हो गई, लेकिन उससे तो कश्मीर मसला हल नहीं हुआ। मुझे लगता है कि भारत सरकार की जो राजनीति है इसके अंजाम अच्छे नहीं होंगे, बल्कि इससे हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। सुलझने के बजाय मसला उलझ रहा है।”

बौखलाया पाकिस्तान
यासीन मलिक को लेकर पाकिस्तान बौखला गया है। पाक क्रिकेट टीम के खिलाड़ी शाहिद अफरीदी ने यासीन मलिक के लिए संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक पर लगे आरोप झूठे हैं और यूएन को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए। वहीं, भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने भी यासीन के पक्ष में आवाज उठाई है और इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की बात कही।

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140 पुराने रेवेन्‍यू रिकॉर्ड में 31 बिस्‍वा थी ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन, ताजा सर्वे में सिर्फ 14 बिस्‍वा मिली, कमेटी पर लगे घोटाले के आरोप

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई से पहले बड़ा विवाद सामने आया है। मस्जिद की जमीन मे घोटाले की बात सामने आई है। मस्जिद कमेटी पर घोटाले का आरोप लगा है। एक खबर के मुताबिक ज्ञानवापी से जुड़ा 140 साल पुराना रेवेन्यू रिकॉर्ड मिला है जिससे केस का गणित बदलता नजर आ रहा है। 40 साल पुराने खसरे में मस्जिद की जमीन 31 बिस्वा बताई गई है जबकि कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में सिर्फ 14 बिस्वा जमीन बताई गई थी। पूरे मामले में ही घोटाला दिख रहा है।

एबीपी की खबर के मुताबिक मुख्तार अहमद अंसारी ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए अर्जी दाखिल की है। वो इस मामले में सूट फाईल करने की भी तैयारी में हैं। मुख्तार के मुताबिक खसरे की ये कॉपी 5 दिन पहले निकलवाई गई है। ये रिकॉर्ड 140 साल पुराना है। अंसारी का कहना है कि वो सारे दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश करेंगे। जो भी घोटाला हुआ है वो सामने आना चाहिए। मस्जिद की जमीन कैसे कम हुई इसके बारे में भी पड़ताल कर दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

अंसारी का कहना था कि मस्जिद कमेटी को जमीन कम होने से जुड़ा सारा सच जनता के सामने रखना चाहिए था। एक सवाल पर उनका कहना था कि जमीन कैसे कम हुई ये जवाब मस्जिद कमेटी ही दे सकती है। लेकिन उन्हें लगता है कि ये सच लोगों के सामने आना चाहिए। वो हर हाल में मामले को कोर्ट के सामने ले जाएंगे। फिलहाल वो पीछे हटने वाले नहीं हैं।

वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में दाखिल किया गया नया केस अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला गया है। सिविल जज रवि दिवाकर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में स्पेशल जज मयंक पांडे सुनवाई करेंगे। फास्ट ट्रैक में मामला जाने पर जल्दी-जल्दी सुनवाई होती है या फिर रोजाना भी सुनवाई हो सकती हैं। इस मामले पर अब अगली सुनवाई सोमवार को की जाएगी। नए मामले में याचिकाकर्ता ने उस जगह पूजा की इजाजत मांगी है जहां शिवलिंग के मिलने का दावा किया गया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहां है कि ज्ञानवापी मस्जिद में जहां पर शिवलिंग मिला है वहां पर हिन्दू धर्म के लोगों को पूजा की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि भगवान विश्वेश्वर की पूजा रोजाना होती हैं ऐसे में जल्द से जल्द वहां हिंदू धर्म के लोगों को पूजा की अनुमति मिलनी चाहिए।

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मुंबईः बाइक पर पीछे बैठ सवारी करने वालों के लिए हेलमेट जरूरी, उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना, DL भी होगा सस्पेंड

मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने दोपहिया वाहन पर पीछे बैठने वालों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य कर दिया। यह नियम 15 दिनों के बाद लागू होगा। पुलिस का कहना है कि नियम तोड़ने वाले लोगों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ अगले तीन माह के लिए उनका ड्राईविंग लाईसेंस भी रद्द किया जाएगा।

ANI की खबर के मुताबिक पुलिस ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि शहर में ज्यादातर दोपहिया सवार हेलमेट नहीं पहनते हैं और यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं। कानून कहता है कि ट्रैफिक पुलिस बिना हेलमेट के सवारियों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाती है या उनके लाइसेंस निलंबित कर देती है। पुलिस का कहना है कि ये नियम 15 दिनों बाद से अमल में लाया जाएगा। हेलमेट न पहनने की वजह से शहर में हादसों में जख्मी या फिर जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ रहा है। इसी वजह से नियम को लागू किया जा रहा है। 15 दिन बाद से मुंबई की यातायात पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगी।

क्या कहता है नियम

कोई व्यक्ति अगर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 129 का उल्लंघन करता है। यानि बिना हेलमेट पहने टू व्हीलर चलाता है या पीछे बैठकर सवारी करता है, तब ऐसे व्यक्ति पर एक हजार रुपए जुर्माना एवं तीन माह की अवधि तक लाइसेंस जब्त या रद्द किया जा सकता है। पगड़ी धारण करने वाले सिख समुदाय के व्यक्तियों को इस नियम से छूट प्राप्त है। वाहन चालक के पास ड्राइविंग करते वक्त ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानि आरसी, इंश्योरेंस सर्टिफिकेट और पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट होना जरूरी है। ड्राइविंग लाइलेंस और पॉल्यूशन सर्टिफिकेट ओरिजनल होने चाहिए। जबकि आरसी और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट की कॉपी भी हो तो पर्याप्त है।

हालांकि दोपहिया वाहन पीछे बैठी सवारी के लिए हेलमेट को कुछ और राज्यों की पुलिस ने अनिवार्य कर रखा है। ड्राईव चलाकर ऐसे लोगों के चालान भी काटे जाते हैं। लेकिन मुंबई पुलिस इसे सक्रिय तौर पर अमल में ला रही है। यानि कहीं भी पीछे वाली सवारी बगैर हेलमेट के दिखी तो एक्शन होगा।

पहनना अनिवार्य होता है. अगर किसी एक ने भी हेलमेट नहीं पहना तो चालान कटना तय है. लेकिन नए ट्रैफिक नियमों के मुताबिक हेलमेट पहनने के बाद भी आपका चालान काटा जा सकता है. हेलमेट के बिना वाहन चलाना ट्रैफिक नियम का उल्लंघन है लेकिन यदि आपने हेलमेट लगाया है तब भी एक छोटी सी गलती पर 2000 रुपये का चालान भरना पड़ सकता है।

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काँग्रेसच्या एक व्यक्ती, एक पद धोरणाचा नसीम खान यांना फटका; मुंबई काँग्रेस प्रचार समिती अध्यक्षपदाचा राजीनामा

उदयपूर नवसंकल्प शिबिर घोषणापत्रातील एक व्यक्ती एक पद या घोषणेच्या अंमलबजावणीला महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेसमध्ये सुरुवात करण्यात आली आहे .या धोरणानुसार प्रदेश काँग्रेसचे कार्याध्यक्ष, माजी मंत्री नसीम खान यांना मुंबई काँग्रेसच्या प्रचार समितीच्या अध्यक्षपदाचा राजीनामा द्यावा लागला आहे.

नसीम खान यांच्याकडे प्रदेश काँग्रेसचे कार्याध्यक्ष आणि मुंबई काँग्रेसच्या प्रचार समितीचे अध्यक्ष अशी दोन पदे होती. प्रभारी एच के पाटील यांच्या उपस्थितीत मुंबई काँग्रेसच्या बैठकीत नसीम खान यांच्या राजीनाम्याची घोषणा करण्यात आली. एक व्यक्ती एक पदाच्या निर्णयानंतर महाराष्ट्रातून राजीनामा देणारे नसीम खान पहिले पदाधिकारी आहेत.

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जापान में घोषणा हुई QUAD चीन के खिलाफ है तो BRICS में भारत क्‍या कर रहा है? सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने पीएम मोदी पर फिर कसा तंज

चीन को लेकर बीजेपी सांसद सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने पीएम मोदी पर फिर तंज कसा है। उनका सरकार से सवाल था कि बीते दिन जापान में घोषणा की गई कि QUAD का गठन चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करने के लिए हुआ है। लेकिन भारत सरकार को ये तो बताना चाहिए कि अगर ये संगठन चीन के विरोध में बना है तो हम BRICS में क्या कर रहे हैं।

ये पहली बार नहीं है जब स्वामी मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इससे पहले BRICS को लेकर उन्होंने पीएम मोदी पर भारत के स्वाभिमान को कम करने का आरोप लगाया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि दुनिया कानाफूसी कर कह रही है कि ब्रिक्स में वास्तव में तीन लोग हैं – साहेब, बीबी और गुलाम। मोदी ने साहेब चीन और बीबी रूस के साथ बैठने की सहमति देकर भारत के स्वाभिमान को कम किया है।

क्या है QUAD और BRICS

QUAD की औपचारिक शुरुआत 2004 में हिंद महासागर में आई विनाशकारी सुनामी के बाद एक अनौपचारिक साझेदारी के रूप में हुई थी। तब चार देश प्रभावित क्षेत्रों को मानवीय एवं आपदा प्रबंधन सहायता मुहैया कराने के लिए साथ आए थे। हालांकि संगठन लगभग एक दशक तक यह निष्क्रिय रहा। 2017 में इसे फिर से जीवित किया गया। ये चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर इस क्षेत्र में बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है। क्वाड नेताओं ने 2021 में अपना पहला औपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया था।

उधर, BRICS दुनिया की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका के इस आर्थिक समूह से जुडने से पहले इसे ब्रिक ही कहा जाता था। ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की आधिकारिक बैठक 16 जून 2009 को रुस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई। हालांकि, इससे पहले ब्रिक देशों के विदेश मंत्री मई 2008 में एक बैठक कर चुके थे।

संयुक्त वक्तव्य में चीन पर निशाना

ध्यान रहे कि टोक्यो में चल रही क्वाड देशों की बैठक आज समाप्त हो गई है। यह बैठक लगभग दो घंटे तक चली। बैठक में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल रहे। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर चीन की तानाशाही के मुद्दे उठाए गए। सभी देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्रों में शांति बहाल करने की बात कही। क्वाड के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि हम किसी भी जबरदस्ती, उत्तेजक या एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हैं जो यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की कोशिश करता है। चीन को निशाने पर लेकर इसमें कहा गया कि हम पूर्व और दक्षिण चीन सागर में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में परिलक्षित अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करेंगे।

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ज्ञानवापी केस: वहां मंदिर नहीं था, वो शिवलिंग नहीं है… भावनाएं भड़काने के मामले में अखिलेश, ओवैसी बंधुओं के खिलाफ क्रिमिनल सूट फाइल

ज्ञानवापी मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। अभी मंदिर और मस्जिद को लेकर अदालती विवाद चल रहा था। लेकिन अब इसमें नेताओं की भी एंट्री हो गई है। सोमवार को एक एडवोकेट ने बनारस के सीजेएम की अदालत में याचिका दायर की है। इसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी व उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन समेत सात लोगों केस खिलाफ नामजद मुकदमा दायर करने की गुहार कोर्ट से लगाई गई है। याचिका में दो सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की अपील की गई है।

एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने अपनी याचिका में अखिलेश व ओवैसी के अलावा मुफ्ती ए बनारस अब्दुल बातिन नोमानी, ज्ञानवापी मस्जिद के अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन को भी आरोपी बनाया है। उनका कहना है कि अखिलेश, ओवैसी समेत इन सात लोगों ने ज्ञानवापी विवाद पर बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। जबकि अज्ञात लोगों पर कोर्ट कमीशन कार्यवाही के दौरान विरोध, बाधा पहुंचाने और वुजूखाने में गंदगी फैलाने का आरोप है। अदालत इस अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।

पांडेय का कहना है कि छह मई को सर्वे टीम ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कमीशन की कार्यवाही करने गई थी। वहां जुमे की नमाज के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम पक्ष के लोग मौजूद थे। नमाजियों ने वुजूखाने में हाथ-पैर धोए और गंदगी फैलाई। जबकि वो हमारे आराध्य भगवान शिव का स्थान है। यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है। इन पर एक्शन जरूरी है।

ध्यान रहे कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी-सर्वे के दौरान वजूखाने में कथित रूप से शिवलिंग मिलने के बाद मंदिर मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद ने तूल पकड़ लिया है। सुप्रीम कोर्ट के मामले में दखल देने के बाद ये विवाद और तूल पकड़ गया है। हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि दरअसल मस्जिद के भीतर से शिवलिंग मिला है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है।

AIMIM चीफ ओवैसी लगातार खुलकर अपनी राय रख रहे हैं। वो मुस्लिम पक्ष को सही बता रहे हैं। उनका दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में जो आकृति मिली है, वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है। ओवौसी ने न्यू यॉर्क टाइम्स का एक पुराना आर्टिकल शेयर कर 2700 साल पुराने फव्वारे की कहानी बताई गई है। उनका कहना है कि संघी जीनियस पूछ रहे हैं कि बिना बिजली के फव्वारा कैसे था? इसे ग्रेविटी कहते हैं। ओवैसी ने शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्ष के दावे के बीच कहा था कि बनारस की ज्ञानवापी कयामत तक मस्जिद ही रहेगी।

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सांगलीत विधवा महिलांसाठीच्या निर्णयाचं पुढचं पाऊल, इनामधामणी गावाचा पुनर्विवाहासोबत विधवांच्या पुनर्वसनाचा ठराव

विधवा महिलांना सौभाग्यालंकार कायम ठेवण्याचा ठराव विविध ठिकाणी होत आहे. असं असताना सांगली जिल्ह्यात मिरज तालुक्यातील इनामधामणी ग्रामपंचायतीने विधवांच्या पुनर्विवाहाला पाठिंबा देत पुनर्वसनाची जबाबदारी घेण्याचा ठराव मंजूर केला आहे. कोल्हापूर जिल्ह्यातील हेरवाडचा आदर्श समोर ठेवत जिल्ह्यातील काही ग्रामपंचायतींमध्ये विधवा महिलांना सन्मान देण्यासाठी पुढाकार घेण्यात आला. याचबरोबर सांगली महापालिकेच्या महासभेसमोरही हा प्रस्ताव पुढील बैठकीत घेण्यात येणार आहे.

विधवा महिलांना सौभाग्यालंकार कायम ठेवण्याचा ठराव केले जात असताना मिरज तालुक्यातील इनामधामणी ग्रामपंचायतीने विधवा महिलांच्या पुर्नविवाहाच्या हक्काला पाठिंबा देऊ केला आहे. याचबरोबर या महिलांना संसारोपयोगी साहित्य देऊन महिलांना पुर्नवसनासाठी मदत करण्यात येणार आहे. सरपंच आश्विनी कोळी यांच्या अध्यक्षतेखाली झालेल्या बैठकीत उपसरपंच अनिता पाटील यांनी विधवांना पुर्नविवाह करण्यास सहमती देण्याचा ठराव मांडला.

हेही वाचा : बलगवडे गावचा विधवा प्रथेविरुद्ध ठराव, सांगलीतील पहिली, तर राज्यातील चौथी ग्रामपंचायत

या ठरावाला सदस्या राजमती मगदूम यांनी अनुमोदन दिले. पुनर्विवाह करणाऱ्या विधवा महिलांचे पुनर्वसन करण्याची जबाबदारी ग्रामपंचायत घेणार आहे. जिल्हा परिषदेच्या महिला व बालकल्याण विभागाकडून मिळणाऱ्या अनुदानासह ग्रामपंचायत स्वनिधीतून संसारोपयोगी साहित्य देणार आहे. या बैठकीला ग्रामविकास अधिकारी रविंद्र शिंदे यांच्यासह सुहास पाटील, महावीर पाटील, अमोल कोळी उपस्थित होते. विधवांना पुनर्विवाह करण्यासाठी प्रोत्साहन देणारी इनाम धामणी पहिली ग्रामपंचायत ठरली.

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Gyanvapi Mosque Case Hearing: मुस्लिम पक्ष की मांग पर पहले होगी सुनवाई, कोर्ट ने दोनों पक्षों से सर्वे रिपोर्ट पर मांगी आपत्तियां

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली तारीख दे दी है। अब इस मामले पर 26 मई को सुनवाई होगी। मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट मुस्लिम पक्ष की मांग ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन पर इस दिन सुनवाई करेगी।

इसके अलावा कोर्ट ने दोनों पक्षों से सर्वे आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए भी कहा है। इसके लिए दोनों पक्षों को सात दिनों का समय दिया गया है। वहीं मंगलवार को सुनवाई के दौरान हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वाराणसी जिला न्यायालय में एक अभियोग आवेदन दिया। जिसमें मांग की गई कि ज्ञानवापी मस्जिद को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए और भगवान शिव के भक्तों को पूजा के लिए मस्जिद परिसर दे दिया जाए।

क्या है ऑर्डर 7 रूल 11- इसका मतलब होता है कोर्ट किसी मामले को तथ्यों की मेरिट पर सुनवाई करने की जगह उस याचिका के बारे यह फैसला लेता है कि वह सुनने लायक है या नहीं? साथ ही याचिकाकर्ता जो मांग कर रहा है, वो दी जा सकती है या नहीं? अगर कोर्ट को लगता है कि राहत नहीं दी जा सकती है तो बिना ट्रायल के ही मांग खारिज कर दी जाती है। इसके अलावा रूल सात के तहत कई वजहें हैं जिसके आधार पर मुकदमा खारिज किया जा सकता है।

सोमवार को क्या हुआ- इससे पहले कोर्ट ने सोमवार को दोनों पक्षों की मांगों को सुना था। जिसपर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को सुनवाई के बाद हिंदू याचिकाकर्ताओं के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा- “हमने अदालत से अनुरोध किया कि हमें आयोग की रिपोर्ट और सर्वेक्षण के दौरान लिए गए वीडियो की जांच करने की अनुमति दी जाए क्योंकि यह मामले में सबूत है। इस संबंध में, हमने आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने की अनुमति देने के लिए अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया है।

वहीं मुस्जिद की तरफ से अंजुमन इंतेजामिया के वकील अखलाक अहमद ने कहा- “हमने आज अदालत में एक आवेदन दायर किया जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, वाराणसी की अदालत को पहले मुकदमे की स्थिरता पर फैसला करना चाहिए।

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PM Kisan Yojana: क्‍या आपके खाते में आएंगे 2000 रुपये? 2 मिनट में इस तरह करें चेक

प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत 11वीं किस्‍त के 2000 रुपये किसानों के खाते में भेजे जाने हैं। इस संबंध में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संकेत भी दिया है कि किसानों की अगली किस्‍त 31 मई के बाद जारी की जा सकती है। वहीं मीडिया रिपोर्ट में भी किसानों के खाते में पीएम किसान योजना की किस्‍त 31 मई के बाद जारी करने की बात कही जा रही है। ऐसे में सिर्फ 2 मिनट में चेक कर सकते हैं कि आपके खाते में योजना के 2000 रुपये आएंगे या नहीं?

पीएम किसान योजना के पोर्टल पर जानकारी दी गई है कि किसानों को केवाईसी कराना जरुरी है। इसे दो तरीके, ऑनलाइन पोर्टल के माध्‍यम से या फिर सीएससी सेंटर जाकर पूरा करना होगा। ऑनलाइन ईकेवाईसी कराने के लिए आपको pmkisan.gov.in पर जाना होगा। दाईं ओर फॉर्मर कॉनर में जाकर ई-केवाईसी विकल्‍प में जाएं। नया पेज ओपेन होने पर आधार और कैप्‍चा भरकर ओटीपी पर क्लिक करें। रजिस्‍टर्ड नंबर पर आए ओटीपी को दर्ज कर सब्मिट कर दें।

कैसे चेक करें खाते में आएंगे कि नहीं 2000 रुपये?

  • लिस्‍ट चेक करने के लिए सबसे पहले आपको pmkisan.gov.in की वेबसाइट पर जाना होगा।
  • फॉर्मर वाले सेक्‍शन में Beneficiary List वाले विकल्‍प में जाएं।
  • नया पेज खुलने के बाद आपको प्रदेश, जिला, सब जिला, ब्‍लॉक और गांव की जानकारी देनी होगी।
  • सभी जानकारी भरने के बाद गेट रिपोर्ट पर क्लिक करें।
  • अब आपके सामने नामों की एक‍ लिस्‍ट होगी, जिसमें आप अपना नाम ढूंढ सकते हैं।

अगर इस लिस्‍ट में आपका नाम दिखाई देता है, इसका मतलब है कि आपके खाते में पीएम किसान योजना की 11वीं किस्‍त भेजी जाएगी। वहीं अगर लिस्‍ट में नाम नहीं दिखाई दे रहा है तो आप इसका मतलब है कि आपने केवाईसी नहीं कराया है या फिर आपके आवेदन में कोई गड़बड़ी है, जिसे आप ग्राम प्रधान और अधिकारियों की मदद से ऑफलाइन तरीके से ठीक करा सकते हैं।

बता दें कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सहायता राशि देती है। इस योजना के तहत किसानों को चार माह पर दो हजार रुपये सीधे खाते में भेजे जाते हैं। किसानों को साल में तीन बार दी जाती है, यानी कि किसानों को सालाना 6000 रुपये भेजे जाते हैं। अभी तक इस योजना के तहत किसानों को 10वीं किस्‍त भेजी जा चुकी है।

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