Gyanvapi Mosque Case Hearing: मुस्लिम पक्ष की मांग पर पहले होगी सुनवाई, कोर्ट ने दोनों पक्षों से सर्वे रिपोर्ट पर मांगी आपत्तियां

May 25, 2022 0 Comments

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली तारीख दे दी है। अब इस मामले पर 26 मई को सुनवाई होगी। मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट मुस्लिम पक्ष की मांग ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन पर इस दिन सुनवाई करेगी।

इसके अलावा कोर्ट ने दोनों पक्षों से सर्वे आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए भी कहा है। इसके लिए दोनों पक्षों को सात दिनों का समय दिया गया है। वहीं मंगलवार को सुनवाई के दौरान हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वाराणसी जिला न्यायालय में एक अभियोग आवेदन दिया। जिसमें मांग की गई कि ज्ञानवापी मस्जिद को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए और भगवान शिव के भक्तों को पूजा के लिए मस्जिद परिसर दे दिया जाए।

क्या है ऑर्डर 7 रूल 11- इसका मतलब होता है कोर्ट किसी मामले को तथ्यों की मेरिट पर सुनवाई करने की जगह उस याचिका के बारे यह फैसला लेता है कि वह सुनने लायक है या नहीं? साथ ही याचिकाकर्ता जो मांग कर रहा है, वो दी जा सकती है या नहीं? अगर कोर्ट को लगता है कि राहत नहीं दी जा सकती है तो बिना ट्रायल के ही मांग खारिज कर दी जाती है। इसके अलावा रूल सात के तहत कई वजहें हैं जिसके आधार पर मुकदमा खारिज किया जा सकता है।

सोमवार को क्या हुआ- इससे पहले कोर्ट ने सोमवार को दोनों पक्षों की मांगों को सुना था। जिसपर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को सुनवाई के बाद हिंदू याचिकाकर्ताओं के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा- “हमने अदालत से अनुरोध किया कि हमें आयोग की रिपोर्ट और सर्वेक्षण के दौरान लिए गए वीडियो की जांच करने की अनुमति दी जाए क्योंकि यह मामले में सबूत है। इस संबंध में, हमने आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने की अनुमति देने के लिए अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया है।

वहीं मुस्जिद की तरफ से अंजुमन इंतेजामिया के वकील अखलाक अहमद ने कहा- “हमने आज अदालत में एक आवेदन दायर किया जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, वाराणसी की अदालत को पहले मुकदमे की स्थिरता पर फैसला करना चाहिए।

https://ift.tt/bM4Sk09

Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

0 Comments: