BJP नेता ने कंधे में फिट कराई गोली और बना दिया फर्जी केस, पुलिस को आरोपियों के साथ तमंचा भी मिल गया, अब खुली पोल

September 08, 2024 0 Comments

उत्तर प्रदेश के चंदौसी में बीजेपी नेता को गोली मारने के केस में पुलिस ने पहले बड़ी गलती कर दी थी। पुलिस ने नामजद निर्दोषों को गिरफ्तार कर कर जेल भेज दिया था। मामले की गूंज जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तक पह़ुंची तो पुलिस की नींद टूटी। जांच में बीजेपी नेता खुद गोलीकांड का षडयंत्रकारी निकला। पुलिस ने अब बीजेपी नेता और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, निर्दोषों को न्यायिक अभिरक्षा से बरी कराया है।



29 जुलाई को चंदौसी कोतवाली इलाके में बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के नगर अध्यक्ष प्रेमपाल ने 112 नंबर पर फोन कर सूचना दी थी कि मौहल्ले के लोगों ने गोली मार कर उन्हें घायल कर दिया है। पुलिस ने आनन-फानन घायल बीजेपी नेता को इलाज के लिए भेजा, जहां से उसे मुरादाबाद रेफर कर दिया गया। एसपी ने भी मौके का मुआयना किया। पुलिस ने आनन-फानन में कार्रवाई कर मोहल्ले के ही दो भाइयों समेत तीन लोगों को घटना में प्रयुक्त तमंचे और डंडे के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।



पुलिस ने नहीं सुनी विधवा मां की फरियाद





घटना के तुरंत बाद अपराधियों को पकड़ने और कार्रवाई करने को लेकर युपी पुलिस की खूब वाहवाही हुई। इस बीच जेल गए दो भाइयों की विधवा मां अधिकारियों को बताती रही कि उसके लड़कों समेत जेल भेजे गए तीनों लोग निर्दोष हैं। आरोप है कि पुलिस ने मां की एक नहीं सुनी और आरोपियों को गिरफ्तार कर ले गई।



केशव प्रसाद मौर्य से शिकायत के बाद खुला मामला





जेल में बंद दोनों भाइयों की मां ने डिप्टी सीएम के केशव प्रसाद मौर्य से फरियाद की तब पुलिस को अपनी गलती का अहसास हुआ। पुलिस ने केस की पुनर्विवेचना की तो पता चला कि गोलीकांड का षडयंत्रकारी बीजेपी नेता ही है। पुलिस ने घटना का दोबारा खुलासा करते हुए बताया कि बीजेपी नेता ने दो कंपाउंडरों से कंधे में गोली फिट कराई फिर पुलिस को सूचना दी पुलिस ने बीजेपी नेता और दो कंपाउंडरों समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है। एक आरोपी की गिरफ्तारी बाकी है, वहीं पहले गिरफ्तार किए गए तीन निर्दोषों को पुलिस ने न्यायिक अभिरक्षा से बरी कराया है।



कहां से आया डंडा और तमंचा





अब बड़ा सवाल ये है कि जिन निर्दोषों से पुलिस ने डंडा और तमंचा बरामद किए वह कहां से आए। कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि इस मामले की न्यायिक जांच हो तो पुलिस के कई अधिकारी कर्मचारियों की गर्दन फंस सकती है।







(संभल से रोहित व्यास की रिपोर्ट)


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Amol Kote

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