'काका-पुतण्यांच्या हाती सत्ता आली की धनगरांवर अन्याय होतो'

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--- ट्विटर पर FIR का NCPCR ने दिया आदेश, कहा- बच्चों के यौन शोषण कंटेट को लेकर बोला झूठ लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने माइक्रो ब्लॉगिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के खिलाफ FIR दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को पत्र लिखा है। ट्विटर पर आरोप है कि उसने आयोग को झूठी जानकारी दी। कानूनगो ने बताया कि ट्विटर पर कुछ ऐसे व्हाट्सएप्प ग्रुप्स के लिंक्स उपलब्ध हैं, जहाँ बच्चों के यौन शोषण (चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज) की सामग्रियाँ भरी पड़ी हैं।
उन्होंने बताया कि इन आपत्तिजनक वीडियो की खरीद-बिक्री भी हो रही है। इसी तरह ‘डार्क वेब’ के टूलकिट भी उस पर उपलब्ध हैं। NCPCR के अध्यक्ष ने उस घटना का भी जिक्र किया, जब AltNews वाले जुबैर ने एक बच्ची की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी थी, जिसके बाद लोगों ने उसे बलात्कार की धमकी दी थी। कानूनगो ने कहा कि ट्विटर पर बच्चे असुरक्षित हैं और यहाँ बच्चों का यौन शोषण करने वाले (Pedofile) और इसकी धमकी देने वाले लोग मौजूद हैं।
प्रियंक कानूनगो ने कहा, “ट्विटर पर डार्क वेब और डीप वेब जैसी इंटरनेट की घातक दुनिया में जाने की व्यवस्था उपलब्ध हो, वो जगह बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हो सकती। आयोग ने इस सम्बन्ध में ट्विटर को समन किया था। ट्विटर ने आयोग को गलत जानकारी दी। पॉक्सो एक्ट की धारा-11,15,19 का उल्लंघन किया। IPC की धारा-199 का उल्लंघन किया। इसीलिए हमने दिल्ली पुलिस को इस मामले के बारे में सूचित कर ट्विटर के खिलाफ FIR दर्ज करने को कहा है।”
उन्होंने ये भी जानकारी दी कि NCPCR ने भारत सरकार के IT मंत्रालय को भी लिखा है कि जब तक ट्विटर बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हो जाता, तब तक बच्चों को इस साइट के एक्सेस से प्रतिबंधित किया जाए। दरअसल, जब ट्विटर को ऐसे मामलों को भारतीय कानून के तहत पुलिस को रिपोर्ट करने को कहा गया तो उसने कहा कि ये अमेरिकी कंपनी का काम है, उनका काम नहीं है। ये बातचीत ‘ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ से हुई थी।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग @NCPCR_ के अध्यक्ष @KanoongoPriyank ने कमिशन को झूठी जानकारी देने के आरोप में @Twitter के ख़िलाफ़ कारवाई करने के लिये लिखा है। pic.twitter.com/xguZHjxwvZ
— Jitender Sharma (@capt_ivane) May 30, 2021</blockquoteNCPCR अध्यक्ष के अनुसार, जब आयोग ने अधिक जानकारी खँगाली तो पता चला कि ‘ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया’ के पास 10,000 शेयर्स हैं, जिनमें से 9999 शेयर्स का मालिक ट्विटर इंक था, लेकिन ट्विटर इंडिया कह रहा था कि उससे इस कंपनी का कोई वास्ता नहीं। उन्होंने बताया कि ट्विटर इंडिया के 3 निदेशकों में से 2 ट्विटर इंक के अधिकारी हैं। इससे पता चलता है कि इन्होंने आयोग के समक्ष झूठ बोला।
..@kanoongopriyank जी ने RSS के अख़बार पाँचजन्य से बात करते हुए ट्विटर पर FIR दर्ज करने की बात कही।
— गरिमा तिवारी (@Garima1907) May 30, 2021
सरकार से बच्चों के Twitter अकाउंट बंद करने की भी अपील कीpic.twitter.com/29B3vpdJKH
जब तक ट्विटर अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से यौन शोषण और इसकी धमकियों के मामलों को भारतीय उच्चाधिकारियों के समक्ष रिपोर्ट नहीं करता, तब तक बच्चों को इस प्लेटफॉर्म से दूर रखने की बात की गई है। ट्विटर कॉन्ग्रेस के बताए जाने वाले टूलकिट को ‘छेड़छाड़ किया हुआ कंटेंट’ बता कर पहले ही फँसा हुआ है। इस सम्बन्ध में उसके गुरुग्राम और दिल्ली के दफ्तरों में दिल्ली पुलिस ने जाकर नोटिस भी दिया था
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--- राजस्थान के 8 जिलों में डस्टिबन में मिले कोरोना के टीके, राज्य में 11.50 लाख डोज बर्बाद: रिपोर्ट लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। जहाँ एक तरफ राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस की सरकार कह रही है कि केंद्र सरकार राज्य की ज़रूरत के हिसाब से एक चौथाई कोरोना वैक्सीन भी नहीं दे रही है और टीके की किल्लत के कारण कई सेंटर्स बंद करने पड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आँकड़ों से राज्य की शासन-व्यवस्था की पोल खुल रही है।
केंद्र सरकार रोज इसका हिसाब देती है कि प्रतिदिन कितने राज्यों को कितनी संख्या में वैक्सीन दी जा रही है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वैक्सीन की बर्बादी का आँकड़ा 11.50 लाख दिया है। बता दें कि वैक्सीन के एक वायल में 10 रोज होते हैं और इतने लोग नहीं मिले तो बाकी के बर्बाद हो जाते हैं। ‘दैनिक भास्कर’ की पड़ताल के अनुसार, 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल में करीब 2500 से भी ज्यादा डोज तो केवल डस्टबिन में मिले हैं।
मीडिया संस्थान ने अपनी पड़ताल के हिसाब से बताया कि कूड़े के साथ मिले कोरोना वैक्सीन के 500 से अधिक वायल 20-75% तक भरे हुए थे। वहीं आँकड़ों की मानें तो 2021 में 16 जनवरी से लेकर 17 मई तक राज्य में 11.50 लाख से भी अधिक कोविड-19 वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई है। हालाँकि, इस पर राज्य सरकार के आँकड़े अलग ही हैं। उसने कहा है कि राजस्थान में महज 2% वैक्सीन ही बर्बाद हुए।
राहुल गाँधी जी पूछ रहे थे हमारे बच्चों के #Vaccine कहाँ हैं ?@RahulGandhi जी,कचरे के डिब्बों में हैं हमारे बच्चों के वैक्सीन
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) May 31, 2021
आकर देखिये राजस्थान मेंpic.twitter.com/5NussFjPjg
जबकि केंद्र सरकार के आँकड़े कहते हैं कि जहाँ अप्रैल 2021 में राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी का प्रतिशत 7 है। ‘दैनिक भास्कर’ की पड़ताल कह रही है कि राज्य में जिन भी कोविड-19 टीकाकरण केंद्रों पर पड़ताल की गई, वहाँ 25% वैक्सीन बर्बाद हो गए। मीडिया संस्थान ने कहा कि उसके पास ये वायल अभी भी मौजूद हैं और इन्हें राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सौंपा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा ने जाँच का आश्वासन दिया है।
सबसे ज्यादा खराब स्थिति तो राजस्थान के चूरू की है। जिले में 39.7% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई। जयपुर प्रथम में 4.67% और द्वितीय में 1.31% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई। हनुमानगढ़ में 24.60 प्रतिशत वैक्सीन खराब कर दी गई। भरतपुर में 17.13%, कोटा में 16.71%, चित्तौरगढ़ में 11.81%, जालौर में 9.63%, सीकर में 8.83%, अलवर में 8.32% और चौलपुर में 7.89% वैक्सीन बर्बाद हो गई।
आजकाल ब्रॅण्डचा जमाना आहे. खाण्यापिण्याच्या गोष्टी, कपडे, गाड्या, मोठमोठ्या वस्तू घेताना प्रत्येकजण ब्रॅण्डच पाहतो. पणं कोणत्याही प्रकारात ब्रॅण्ड बननं इतकं सोपं नसतं, तो ब्रॅण्ड बनण्यामागं मेहनत असते, अनेक प्रोत्साहीत करणारी किस्से असतात.
दरम्यान, कोणत्याही उत्पादनासाठी सगळ्यात महत्त्वाची गोष्ट म्हणजे बाजारात टिकून राहणं. जितकी जास्त वर्ष तूम्ही चालता, तसा विश्वास तुमच्याबद्दल वाढत जातो. कारण एकच प्रकारची उत्पादन खूप असतात. त्यात ब्रॅण्ड तर ढिगाणं पडलीत. पण या स्पर्धेत जे आपल्या ध्येयावरुन मागे हटत नाही, आणि टिकून राहतात. त्याच ब्रॅण्ड्सना मेडल मिळतं.
असाच वर्षानुवर्षे टिकून राहिलेला ब्रॅण्ड म्हणजे जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सन. जो तब्बल १३२ वर्ष जुना आहे. ज्यांनी बॅण्ड एड, जॉन्सन बेबी, क्लीन अॅण्ड क्लीअर या उत्पादनांच्या माध्यामातून घराघरात प्रवेश केलाय.
१८८० च्या दरम्यान अमेरिकेतल्या न्यू जर्सीत रॉबर्ट वुड जॉन्सन, जेम्स वुड जॉन्सन आणि एडवर्ड मिड जॉन्सन हे तीन भाऊ मिळून सिबरी अॅण्ड जॉन्सन अशी कंपनी चालवत होते. या कंपनीत या भावंडाबरोबर अन्य व्यावसायिकांची देखील भागीदारी होती.
१८८५ मध्ये या तिन्ही भावांनी जोसेफ लिस्टर यांचं जंतुनाशक उपचारांबद्दलचं भाषणं ऐकलं. ज्यानं प्रभावित होऊन या तिघांनी वैद्यकीय व्यवसायासाठी तयार सर्जिकल ड्रेसिंगचं उत्पादन करण्याचा निर्णय घेतला. सिबरी अॅण्ड जॉन्सनमधून बाहेर पडून त्यांनी ‘जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सन’ कंपनी स्थापन झाली. जुन्या व्यवसायातील काही करारांमुळे रॉबर्ट जॉन्सन उशिरा दोन्ही भावांना येऊन मिळाले.
जेम्स आणि एडवर्ड या दोघांनी कंपनीसाठी जागा शोधायला सुरुवात केली. त्या वेळी बून्सविक या छोट्या शहरातली एक रिकामी फॅक्टरी त्यांना मिळाली. तिथंच सुरुवात झाली जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सनच्या उद्योगाची.
या कंपनीत सुरुवातीला ८ स्त्रिया आणि ६ पुरुष अशी केवळ १४ कर्मचारी होते . त्या काळाचा विचार करता महिलांना नोकरीत प्राधान्य देण्याचा कंपनीचा निर्णय अर्थातच गौरवास्पद वाटतो. त्यामागची त्यांची भूमिका अशी होती की, हेल्थकेअर उत्पादनांच्या कंपनीत सगळ्या घराच्या आरोग्याची काळजी घेणाऱ्या स्त्रियांचा समावेश जास्तीत जास्त असलाच पाहिजे.
१८८६ मध्ये कंपनीचं सर्जिकल ड्रेसिंगचं पहिलं उत्पादन बाहेर आलं. त्यानंतर बदलता काळ आणि मागणी पाहता कंपनीने एकापेक्षा एक उत्पादनं बाजारात आणली. तो काळ असा होता, जेव्हा स्त्रियांची बाळंतपणं घरीच व्हायचं. त्यात स्वच्छता नसल्यामूळं अनेक जणींचा बाळंतपणात मृत्यू व्हायचा . हेच डोक्यात ठेवून जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सनचं मॅटर्निटी किट बाजारात आलं. त्याचबरोबर यूजर अँड थ्रोची डायपर्स आली.
१८९२ ची घटना आहे, एक दिवस जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सनमधील उत्पादन तज्ज्ञ डॉ. फेड्रिक किल्म यांना ओळखीच्या एका डॉक्टरांचं पत्र आलं. छोटय़ा बाळांच्या नाजूक त्वचेवर उठणाऱ्या पुरळ वा चट्ट्या विषयी त्यांनी चिंता व्यक्त केली. डॉ. किल्म यांनी त्यावर टॅल्कम पावडर वापरण्याचा तात्पुरता सल्ला दिला. पण त्यातून नवजात शिशूसाठी खास एखादी पावडर तयार करता येईल, असा विचार त्यांच्या डोक्यात आला आणि १८९३ मध्ये जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सनची सुप्रसिद्ध जॉन्सन बेबी पावडर समोर आली.
सुरुवातीला ही जॉन्सन बेबी पावडर पिवळ्या आणि लाल डब्यात मिळायची. नंतर कंपनीने पांढरा, गुलाबी रंग निवडला. त्यानंतर बेबी लोशन, साबण, तेल अशी उत्पादनं येत गेली. १९५४ मध्ये जॉन्सन बेबीच्या बेबी शाम्पूला खूप लोकप्रियता मिळाली.
कंपनीच्या जाहिरातीतली पहिली जॉन्सन बेबी होती रॉबर्ट जॉन्सन यांची नात मेरी ली जॉन्सन-रिचर्ड. त्यानंतर वेगवेगळ्या उत्पादनांसाठी अनेक जाहिरात काढल्या गेल्या. त्यात बदलही करण्यात आले,पहिल्यांदा जाहिरातीत दाखवणारी ‘जॉन्सन कान्ट बर्न आईज’ ही टॅग लाइन बदलून ‘नो मोअर टीअर्स’ अशी करण्यात आली.
१९२० मध्ये कंपनीने नवजात मुलांसोबतच धावत्या-पळत्या वयोगटातील मुलांचा विचार करता सर्वात यशस्वी उत्पादन आणलं ते म्हणजे बॅण्ड एड. त्यामागचा किस्साही गमतीशीर आहे.
अल्रे डिक्सन हा कंपनीचाच एक कर्मचारी. रोजच्या कामात त्याच्या बायकोचा हात कापायचा तरी नाहीतर भाजायचा तरी. त्यामुळं डिक्सनने विचार केला की, अशी एखादी तयार मलमपट्टी करावी, जेणेकरून सतत होणाऱ्या या त्रासापासून सुटका होईल. तीच कल्पना त्याने जॉन्सन बंधूंना सांगितली. त्यानंतर सतत धडपडणारा छोटय़ा मुलांचा वर्ग समोर ठेवत जॉन्सन बॅण्ड एड आलं.
सुरुवातीला बॅण्ड एड हाताने बनवले जाई. १९२४ पासून ते यंत्रावर बनू लागले. दुसऱ्या महायुद्धाच्या काळात जॉन्सन बॅण्ड एड मोठ्या प्रमाणावर खपलं. पट्टीवर कार्टूनचा वापर करत हक्काचा बालवर्ग कंपनीने मिळवलाय.
जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सन सर्वात जुन्या आणि विस्तारलेल्या कंपन्यांपैकी एक आहे. कंपनीच्या २५० सबसिडी कंपन्या ६० देशांत कारभार करतात आणि या कंपन्यांची उत्पादनं जगभरातील १७५ देशांत पोहोचतात.
कंपनीची टॅग लाइन प्रत्येक उत्पादनानुसार बदलते. मात्र त्यांचा लोगो मात्र कायम तोच आहे. या लोगोचं वैशिष्ट्य म्हणजे जॉन्सन बंधूंपैकी जेम्स वुड जॉन्सन यांच्या सहीशी हा लोगो मिळताजुळता आहे.
ब्रॅण्ड म्हंटल की, काही ना काही चर्चा उटतेचं. मध्यंतरी अशीच अटकळं समोर आली होती. पण या सगळ्यावर मात करत हा ब्रॅण्ड ठामपणे उभा आहे. जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सनच्या अनेक उत्पादनांसारखी उत्पादनं बाजारात आली, पण जॉन्सन सारखी पकडं कोणीच बसवू शकलं नाही. आजही नवजात शिशूला पहिल्यांदा पाहायला जाताना जॉन्सनचा गिफ्ट बॉक्सच नेला जातो.
एवढंच नव्हे तर सध्याच्या कोरोना विरूध्दच्या लढाईत सुध्दा कंपनी लस घेऊन समोर आलीये. युके सरकारनं नुकताच जॉन्सन अॅण्ड जॉन्सनच्या सिंगल शॉट कोरोना लसीला परवानगी दिलीये. त्यामुळे युकेत आताही लस दिली जाणार आहे. अमेरिकेत झालेल्या लसीच्या ट्रायल्समध्ये लस 72 टक्के प्रभावी असल्याचं म्हटलं गेलंय.
ग्राहकाच्या अगदी लहान सहान गरजांचा विचार केल्यामुळं तब्बल १३२ वर्षानंतरही हा ब्रॅण्ड टिकून आहे. अनं सतत काहीतरी नवीन देण्याचा प्रयत्न करतयं.
हे ही वाच भिडू.
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बॉलिवूड अभिनेता सुशांतसिंग राजपूत यांचे निधन झालेलं आता एक वर्ष होणार आहे. सुशांतचे चाहते आतापर्यत त्याच्यासाठी न्यायाची मागणी करत आहेत. दरम्यान, चित्रपट निर्माते-दिग्दर्शक अनुभव सिन्हा यांनी सुशांतसिंग राजपूत यांच्यावर अशीच एक प्रतिक्रिया केली. जे पाहून त्यांचे चाहते संतापले आहेत.
अभिनेता सुशांतसिंग राजपूत यांचे गेल्या वर्षी १४ जून २०२० रोजी निधन झाले. अभिनेत्याच्या निधनानंतरपासूनच त्याचे चाहते त्याच्यासाठी न्यायाची मागणी करत आहेत. ही घटना प्रथमच आत्महत्या केल्याची नोंद झाली आहे. पण कुटुंबीयांनी आणि सुशांतच्या चाहत्यांच्या मागणीनंतर हे प्रकरण वेगळ्या दृष्टीकोनातून पाहिले गेले. मात्र, सीबीआय प्रकरणात अद्याप कोणताही निर्णय झालेला नाही. आता यावर्षी १४ जूनला अभिनेत्याच्या मृत्यूला एक वर्ष पूर्ण होईल. या दरम्यान, अनुभव सिन्हा यांनी असे एक ट्विट केले. ज्यामुळे तो सुशांतच्या चाहत्यांच्या निशाण्याखाली आला.
अनुभव सिन्हा यांनी आपल्या अधिकृत इन्स्टाग्राम अकाऊंटवरून नुकतेच एक ट्विट केले. या ट्विटमध्ये त्यांनी सुशांतच्या मृत्यूबद्दल भाष्य केले आहे. अनुभवने ट्विटमध्ये लिहिले की, ‘एसएसआर सीझन 2 लवकरच येणार आहे.’ अनुभवच्या या ट्वीट सुशांतच्या चाहत्यांना अजिबात आवडले नाहीत आणि त्यांनी ट्विटच्या संदर्भात अनुभव सिन्हाचा क्लास सादर केला.
Are you making fun of somebody's death?
— megha tushar (@megha_tushar) May 28, 2021
सुशांतच्या अनेक चाहत्यांनी अनुभवाच्या या ट्विटवर भाष्य केले आणि त्यांची टिंगल केली. एका चाहत्याने टिप्पणी दिली, ‘तुम्ही एखाद्याच्या मृत्यूची चेष्टा करत आहात का?’ तर दुसर्या वापरकर्त्याने लिहिले की, ‘एसएसआरचे नाव केवळ प्रसिद्धी आणि पैशासाठी वापरले जात आहे. देव तुम्हाला कधी आणि कसे त्रास देईल ते पाहा. ‘ दुसर्या वापरकर्त्याने लिहिले, ‘हो, इतकी ईर्ष्या, तुमचीही वेळ येईल.
Hawww! Itna jalan? Tumhara baari bhi aayega, patience toh rakh lo!
— Varshu
(@VarshuuS) May 28, 2021
मागील वर्षी सुशांतसिंग राजपूत हे १४ जून रोजी मुंबईतील त्यांच्या घरी मृत अवस्थेत आढळले होते. सुशांतच्या निधनाच्या बातमीने सर्वांनाच आश्चर्य वाटले. अभिनेत्रीच्या कुटुंबीयांनी त्याची मैत्रीण आणि अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती यांच्यावर उशिरा अभिनेत्याचे पैसे हिसकावून घेऊन त्याला आत्महत्या करायला भाग पडल्याचा आरोप केला. या घटनेनंतर सुमारे तीन महिन्यांनंतर सुशांतचा खटला सीबीआयकडे सोपविण्यात आला. सीबीआय अद्याप या प्रकरणाचा तपास करत आहे.
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‘इंडियन आयडल १२’ मध्ये किशोर कुमार स्पेसिअल भाग चर्चेचा विषय ठरला होता. या भागात किशोर कुमार यांचा मुलगा अमित कुमार पाहुणा म्हणून गेला होता. शोचा एक भाग झाल्यानंतर अमितने सांगितले होते की तो शो मला अजिबात आवडत नाही आणि निर्मात्यांनी सर्वांचे कौतुक करण्यास सांगितले. अमितच्या विधानानंतर बरेच वाद-विवाद झाले होते.
अमितच्या या वादानंतर या प्रकरणातील अनेक मुद्दे पुढे आले. आणि त्यागोष्टीवरूनही पुन्हा वाद निर्माण झालेले. अभिजीत सावंत यांनी यापूर्वी निर्मात्यांविरूद्ध बोलताना सांगितले होते की ते स्पर्धकांच्या कौशल्यापेक्षा त्यांच्या गरिबीला जास्त महत्व देतात.
आता या प्रकरणावर मियांग चैंग यांनी आपली प्रतिक्रिया दिली आहे. स्वत: मियांगने इंडियन आयडॉलच्या ५ व्या सीझनमध्ये भाग घेतला होता. मियांगने सांगितले की तो शोच्या टीमशी बर्याच दिवसांपासून संपर्कात नव्हता, म्हणूनच त्याला या उल्लंघनाबद्दल माहिती नव्हती. मियांग चैंग सध्या आपल्या मित्रांसमवेत वेळ घालवत आहे.
मियांग म्हणाला, ‘मी ऐकलं आहे की या सिजनमधील गायक खूप प्रशिक्षित आहेत. हे गायक बर्यापैकी शक्तिशाली आहेत. आमचा सिजनअगदी सोपा होता आणि आमच्यापैकी कोणीही ग्लॅमरस जगाचे नव्हते. तसेच सोशल मीडियावर कोणताही एक्सपोजर नव्हता. त्यावेळेस काम अत्यंत सुरळीतरित्या केले जात होते.
मियांंग पुढे म्हणाले, ‘तसे तर सर्वानाच माहित आहे की रियलिटी शोमध्ये थोडा फार ड्रामा केला जातो. आमच्या वेळेस सर्व काही अगदी सोपे होते कारण त्यावेळी ग्लॅमर नव्हता.’ तसेच सगळ्यांचा भर कलेला महत्व देण्याकडे होता.
पूर्वी या विषयावर बोलताना अभिजीत म्हणाला होता, आजकाल मेकर्स टॅलेंट पाहत नाहीत. निर्मात्यांना सर्वात महत्वाच TRP वाटत असते. या सगळ्याचा परिणाम ते स्पर्धकांच टॅलेंट न पाहता त्यांची गरिबी तसेच उणीवांवर भर देतात.
अभिजीत पुढे म्हणाले, प्रेक्षकांना पार्श्वभूमीबद्दल काही माहिती नसलेले प्रादेशिक रिअॅलिटी शो तुम्ही पाहायला हवे. त्यांचे लक्ष फक्त गाण्यावर आहे, परंतु केवळ हिंदी रिअॅलिटी शोमध्ये स्पर्धकांची दु: खद कथा दाखविली जाते. त्यांचे लक्ष फक्त यावर आहे.
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‘तारक मेहता का उल्टा चष्मा’ ही छोट्या पडद्यावरील मालिका सगळ्यात लोकप्रिय ठरली आहे. या मालिकेचे अनेक चाहते आपल्याला पाहायला मिळतात. तसेच ही मालिका कोणत्याना कोणत्या कारणाला घेऊन सतत चर्चेत असते.
‘तारक मेहता का उल्टा चष्मा’ मालिकेतील सर्वच कलाकार मुरलेले आहेत त्यामुळे त्यांचा अभिनय अतिशय योग्य रित्या प्रेक्षकांपर्यंत पोहचतो. तसेच या मालिकेची टीम खूप मोठी असून या मालिकेतील सर्वच कलाकारांना प्रचंड प्रमाणात लोकप्रियता मिळाली आहे.
या मालिकेतील दयाबेन आणि जेठालाल सगळ्यांनाच खूप आवडतात. दयाबेंची भूमिका दिशा वाकानी साकारत होत्या. तसेच जेथालालच्या भूमिकेत आपल्याला दिलीप जोशी पाहायला मिळत आहे. दिलीप जोशींनी या मालिकेच्या आधी अनेक मालिकांमध्ये आणि चित्रपटांमध्ये काम केलेलं पाहील. परंतु जेठालाल या भूमिकेमुळे त्यांना खरी प्रसिद्धी मिळाली.
तारक मेहता… मालिकेतील अनेक कलाकार चर्चेचा विषय ठरलेले आहेत. तसेच या मालिकेमध्ये एकमेकांमध्ये खूप प्रेम असेलेले किवा सर्वजण एकाच परिवाराचा भाग असलेले पाहायला मिळतात. परंतु आता एक नवीनच गोष्ट समोर आली. या मालिकेतील कलाकारांमध्ये कुरघोडी होताना दिसतायेत.
मालिकेत जेथालालच्या मुलाच्या म्हणजेच टप्पूच्या भूमिकेत आपल्याला राज अंदकतला पाहायला मिळत आहे. मालिकेत वडील आणि मुलामध्ये खूप चांगले नाते दाखवण्यात आले आहे. पण खऱ्याआयुष्यात दिलीप जोशी आणि राज यांच्यात आजिबात पटत नसल्याचे समजत आहे.
राज अनेक वेळा सेटवर उशिरा येतो. तसेच त्याचे स्क्रिप्ट तो योग्यप्रकारे पाठ करत नाही. त्यामुळे शुटींग करण्यास विलंब होतो आणि याचाच त्रास दिलीप जोशी यांना होत असल्याचे समजते. यांचा वाद इतका विकोपाला गेला आहे की दोघांनीही एकमेकांना सोशल मिडिया अकाऊंटवरून अनफॉलो केल आहे.
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--- सिविल डिफेंस की ‘वर्दी’ में फिर गुंडई, अब रेहड़ी वाले को पीटा; दिल्ली पुलिस कर रही तलाश लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
दिल्ली में सिविल डिफेंस के कर्मियों की गुंडई का एक और मामला सामने आया है। ताजा घटना में इसके दो कर्मियों ने एक रेहड़ी वाले को बुरी तरह पीटा है। सिविल डिफेंस के कर्मचारियों पर विपक्षी दल वसूली का आरोप लगाते रहे हैं। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा तो पिछले दिनों इन्हें केजरीवाल के ‘वसूली भाई’ बता चुके हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सिविल डिफेंस के लोगों की गुंडागर्दी का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें सिविल डिफेंस से जुड़े दो लोग फल की रेहड़ी लगाने वाले 28 वर्षीय अंकित की बेरहमी से पिटाई करते देखे जा सकते हैं। दिल्ली पुलिस ने बताया है कि घटना शनिवार (29 मई 2021) की है। वीडियो वायरल होने के बाद पीड़ित अंकित ने रविवार (30 मई 2021) को गोकुलपुरी थाने में शिकायत दर्ज कराई।
अंकित के मुताबिक वह नार्थ-ईस्ट दिल्ली के जौहरीपुर पुल से गुजर रहा था। इसी दौरान रास्ता माँगने को लेकर हुई कहासुनी के बाद सिविल डिफेंस के कर्मियों ने उसके साथ मारपीट की। आरोपितों ने वर्दी पहन रखी थी।
दिल्ली सरकार के सिविल डिफेंस स्टाफ ने रेहड़ी लगाने वाले की जमकर की पिटाई..रस्ता पूछने पर हुआ था विवाद..वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने दर्ज की FIR..सिविल डिफेंस स्टाफ की कर रही है तलाश@DelhiPolice pic.twitter.com/1Gz1WeR89e
— Neeraj Gaur (@NeerajGaur_) May 30, 2021
रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित अंकित दिल्ली के ही शिव विहार का रहने वाला है। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मारपीट के दौरान सिविल डिफेंस के स्टाफ के साथ ही दो अन्य लोग भी थे। अंकित को बुरी तरह से चप्पलों से पीटने के बाद आरोपित स्कूटी पर बैठ कर चले जाते हैं। पुलिस ने सिविल डिफेंस कर्मियों के खिलाफ धारा 323, 341 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है।
दिल्ली कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार ने सिविल डिफेंस कर्मियों पर वसूली का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले सिविल डिफेंस के स्टाफ नकली चालान करते गिरफ्तार किए गए थे।
गौरतलब है कि 7 अप्रैल 2021 को दिल्ली सरकार के सिविल डिफेंस स्टाफ लोगों से चालान को लेकर मारपीट करते दिखे थे। घटना दिल्ली के हौज खास की थी, जहाँ सिविल डिफेंस के लोग ग्रीन लाइट पर चालान के लिए कार के सामने कूद गए। फिर कहासुनी के बाद कार ड्राइवर को बेल्ट से पीट दिया। उस समय भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा था कि सिविल डिफेंस केजरीवाल के ‘वसूली भाई’ हैं।
स्त्री-शिक्षणाचा विडा उचललेले आणि मुंबईच्या औद्योगिक विकासात महत्त्वपूर्ण काम करण्यासाठी ओळखलं जाणारं व्यक्तिमत्त्व म्हणजे डॉ. भाऊ दाजी लाड. त्यांच मूळ नाव रामकृष्ण विठ्ठल लाड. मूळ गाव पार्से असल्यानं ते लाड-पार्सेकर हेही नाव लावायचे. त्यांचा जन्म त्यांच्या आजोळी म्हणजे गोव्यातल्या मांजरे/मांद्रे गावी झाला. दहा वर्षाचे असताना आपल्या वडिलांबरोबर ते मुबंईत आले.
बुद्धीबळ खेळात भाऊ चांगलेच पटाईत होते, त्यांच्या या खेळातल्या प्राविण्यामूळे ते मुंबईच्या गव्हर्नरपर्यंत जाऊन पोहोचले. भाऊंची ही हुशारी पाहून गव्हर्नरने त्यांच्या शिक्षणाची सोय केली.
त्यांची भाऊदाजी अशीही एक ओळख होती. त्यांचे प्राथमिक शिक्षण नारायणशास्त्री पुराणिकांच्या मराठी शाळेत, तर पुढचं शिक्षण एल्फिन्स्टन विद्यालयात झालं. त्यांचा संस्कृतावरही चांगला जम होता.
1843 साली त्यांना एल्फिन्स्टन विद्यालयात अध्यापक म्हणून नोकरी लागली. विद्यालयात असताना त्यांनी राजस्थान व गुजरात भागातल्या मुलींना गर्भावस्थेत मारून टाकण्याच्या प्रथेवर परिस्थिती सांगणारा एक निबंध लिहिला. इंग्रजी आणि गुजराती अशा दोन्ही भाषेत हा निंबध होता. या स्पर्धेत त्यांना नंबर पटकावून 600 रूपयांच बक्षीस मिळालं.
त्यानंतर 1845 मध्ये मुंबईत ग्रँट मेडिकल कॉलेजची स्थापना झाली. भारतातील वैद्यकीय शिक्षण देणाऱ्या सर्वात पहिल्या संस्थांपैकी एक म्हणून ग्रँट मेडिकल कॉलेजला ओळखलं जातं. या कॉलेजच्या निर्मितीमध्ये सर जेजे, नाना शंकर शेठ यांचा सिंहाचा वाटा होता. भारतीय डॉक्टरांची पहिली पिढी घडवणाऱ्या ग्रँट मेडिकल कॉलेजच्या सर्वात पहिल्या बॅचचे विद्यार्थी म्हणून भाऊ दाजी लाड यांनी प्रवेश घेतला. तिथे ऍडमिशन घेण्यासाठी त्यांनी आपली चांगली नोकरी देखील सोडून दिली.
कॉलेजमध्ये त्यांनी ग्रंथपाल म्हणूनही काम केले. शिक्षण घेत असतानाच त्यांना परीक्षेत उत्तम गुण मिळाल्याबद्दल फिशर शिष्यवृत्ती मिळाली होती; पण त्यांनी ती नाकारली. जेणेकरून योग्य व्यक्तीला त्याचा फायदा होईल.
1951 मध्ये शिक्षण पूर्ण झाल्यावर त्यांनी डॉक्टरकी सुरू केली. मात्र पैशांच्या मागे न लागता त्यांनी गरिबांची सेवा केली, मोफत औषधोपचार केला. त्यांनी कुष्ठरोगावर खष्ठ नावाच्या वनस्पतीच्या बियांपासून तयार केलेले एक देशी औषध शोधून काढले, जे खूप गुणकारी सिद्ध झाले. वनस्पती गोळा करण्यासाठी ते संपूर्ण देशात फिरत, महाराष्ट्रातल्या रुग्णांवर उपचार करीत. यासोबतच गर्भवतींची सुखरूप सुटका करवण्यात भाऊंची ख्याती होती. देवी टोचण्याची पद्धत त्यांनीच लोकप्रिय केली. भाऊ ‘बॉम्बे असोसिएशन’ या संस्थेचे चिटणीसही होते.
नंतर ते ईस्ट इंडिया असोसिएशन’च्या मुंबई शाखेचे ते अध्यक्षही होते. सामाजिक सुधारणांबरोबर त्यांनी औद्योगिक सुधारणांकडेही लक्ष दिले. मुंबईत कागद व कापूस यांच्या गिरण्या काढण्यात त्यांनी पुढाकार घेतला.
स्त्री शिक्षणासाठी त्यांना अनेक आर्थिक संकटांना सामोरं जावं लागलं. १८६३-७३ साली स्त्रियांना शिक्षण देणाऱ्या स्टुडंट्स लिटररी अँड सायंटिफिक सोसायटी या संस्थेचे ते पहिले भारतीय अध्यक्ष होते. या संस्थेतर्फे मुलींच्या तीन शाळा चालविल्या जात. भाऊंनी विधवाविवाहाच्या चळवळीलाही सक्रिय पाठींबा दिला.
लाहोर चाळीतील कन्याशाळेला त्यांनी अनेक वेळा आर्थिक मदत केली. याच शाळेला पुढे ‘भाऊ दाजी गर्ल्स स्कूल’ हे नाव देण्यात आले.
नाण्यांवरील किंवा जुन्या शिलालेखांवरील व ताम्रपटांवरील एक विशिष्ट चिन्ह एक संख्या दर्शवते. त्या संख्येवरून निश्चित काळ समजून येतो, भाऊंचा हा निष्कर्ष सर्वसामान्य झाला आहे. यासह भाऊंनी अनेक लेखकांना लेख आणि माहिती देऊन मदत केली. म्हणूनच कवी नर्मदाशंकर, शंकर पांडुरंग पंडित, बाजीराव तात्या, रावजी रणजित यांनी आपले ग्रंथ भाऊंना अर्पण केलेत.
भायखळा मधला प्रसिद्ध ‘राणीचा बाग’ म्हणजे आत्ताचे ‘वीर जिजामाता उद्यान’ स्थापन करण्यात भाऊंचा पुढाकार होता.१९७४ साली बागेतील संग्रहालयाचे नामकरण करून ‘डॉ.भाऊ दाजी लाड वस्तुसंग्रहालय’ करण्यात आलं.
भाऊंचे मराठी बरोबर गुजराती आणि इंग्रजी भाषेवरही प्रभूत्व होते. ते या भाषेत उत्तम भाषणं देतं, त्यांनी नाट्यकलेला प्रोत्साहन दिले म्हणूनच आद्य नाटककार विष्णुदास भावे यांनी भाऊंना पहिल्या दर्जाचा रसिक म्हणून मान दिला.
दरम्यान, आयुष्यभर इतरांसाठी खस्ता खाणाऱ्या भाऊंवर १८६५ मध्ये आर्थिक संकट आले. त्यातून ते अखेरपर्यंत सावरले नाहीत. ज्यामूळं त्यांच उर्वरित आयुष्य दु:ख, दैन्यात गेलं. त्यातच पक्षाघाताने त्यांचा मुबईमध्ये अंत झाला.
हे ही वाच भिडू
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देशभरात कोरोनाच्या दुसऱ्या लाटेने धूमाकूळ घातला आहे. अनेक लोकांचा कोरोनामुळे मृत्यु होत आहे. अशात अनेक मराठी कलाकारंचाही मृत्यु होत आहे. त्यामुळे मराठी चित्रपटसृष्टीत सध्या शोककळा पसरली आहे.
असे असतानाच एक धक्कादायक बातमी समोर आली आहे. विनोदी कलाकार भुषण कडू यांची पत्नी कादंबरीचे निधन झाले आहे. वयाच्या ३९ व्या वर्षी कोरोनामुळे कादंबरी यांचे निधन झाले आहे. पत्नीच्या निधनामुळे भुषण कडूवर यांच्यावर दु:खाचा डोंगर कोसळला आहे.
काही दिवसांपुर्वीच कादंबरी यांना कोरोनाची लागण झाली होती. त्यानंतर कादंबरी यांना रुग्णालयात दाखल करण्यात आले होते. पण उपचारादरम्यान त्यांची प्राणज्योत मावळली आहे.
कादंबरी यांना सुरुवातील ठाणाच्या रुग्णालयात दाखल करण्यात आले होते. मात्र त्यानंतर त्यांना केईएम रुग्णालयात उपचारासाठी दाखल करण्यात आले. त्याच रुग्णालयात उपचारादरम्यान त्यांचा मृत्यु झाला आहे. कादंबरी यांच्या जाण्याने भुषण यांना मोठा धक्का बसला आहे.
भुषण कडू यांना ७ वर्षांचा मुलगा आहे. तर कादंबरी या भुषण यांच्या दुसऱ्या पत्नी होत्या. त्यांच्या मुलाचे नाव प्रकिर्थ असे आहे. जेव्हा मराठी बिगबॉसमध्ये भुषण कडू यांनी एँट्री केली होती, तेव्हा त्यांच्या मुलाला आणि पत्नीला एका एपिसोडमध्ये दाखवण्यात आले होते.
दरम्यान, अभिनेता भुषण कडू यांनी नेहमीच त्यांच्या विनोदी शैलीने प्रेक्षकांचे मनोरंजन केले आहे. महाराष्ट्राची हास्य जत्रा, कॉमेडी एक्सप्रेस, कॉमेडीतील बुलेट ट्रेन यांसारख्या शोमध्ये त्यांनी काम केले आहे. मात्र आज कादंबरी यांच्या जाण्याने त्यांच्या पुर्ण कुटुंबावर शोककळा पसरली आहे.
नवी दिल्ली । देशात कोरोना रुग्णसंख्या अजूनही मोठ्या प्रमाणावर आहे. दिवसेंदिवस हा आकडा कमी होत असला तरी अजूनही ही लाट कायम आहे. यावर अजूनही पूर्णपणे प्रभावी असे औषध बाजारात उपलब्ध आले नाही. लसीकरण सुरू असले तरी त्याला हवा तेवढा वेग नाही.
असे असताना डीआरडीओच्या DRDO 2 डीजी अँटी-कोविड 19 हे औषध प्रभावी असल्याचे बोलले जात आहे. याची किंमत देखील आता ठरली आहे. ९९० रुपये प्रति पाऊच अशी याची किंमत ठरली आहे. फार्मा कंपनी, सरकारी हॉस्पिटल, केंद्र आणि राज्य सरकारांना हे औषध सवलतीच्या दरात उपलब्ध करून दिले जाणार आहे.
अँटी कोविड औषध 2-डीजीचा दुसरा साठा जारी केला गेला आहे. अधिकार्यांनी सांगितले की, 2डीजी औषधाच्या १०,००० पाऊचची दुसरी बॅच २७ मे रोजी डॉ. रेड्डीज लॅब जारी करेल. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडियाने कोविड रुग्णांवर या औषधाच्या आपत्कालीन वापराला मंजूरी दिली होती.
हे 2-डीजी औषध पावडरच्या रूपात पॅकेटमध्ये येते, यात पाणी मिसळून प्यायचे आहे. हे औषध सकाळी-संध्याकाळ घ्यावे लागेल, असे सांगितले जात आहे. यामुळे कोरोना रोखला जाऊ शकतो, असेही सांगितले जात आहे. दिल्लीत काही रुग्णांना हे औषध देण्यात आल्याचे सांगितले जात आहे.
हे औषध रूग्णाच्या शरीरात गेल्यानंतर लगेच काम सुरू करते. हे औषध व्हायरसद्वारे संक्रमित पेशींमध्ये जमा होते. ज्यानंतर हे ड्रग व्हायरस सिंथेसिस आणि एनर्जी प्रॉडक्शन करून संसर्गाला वाढण्यापासून रोखते. यामुळे रुग्णांचा जीव वाचू शकतो.
हे औषध थेट संक्रमित पेशींवर परिणाम करते. यामुळे संक्रमित रूग्ण बरे होण्यास मदत होणार आहे. यामुळे कोरोना झाला तरी तो जास्त मोठ्या प्रमाणावर वाढणार नाही. हैद्राबादच्या डॉ. रेड्डी लॅबोरेटरीने हे औषध बनवले आहे. यामुळे एकप्रकारे दिलासा मिळाला आहे.
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देशभरात कोरोनाच्या दुसऱ्या लाटेने धूमाकूळ घातला आहे. अनेक लोकांचा कोरोनामुळे मृत्यु होत आहे. अशात अनेक मराठी कलाकारंचाही मृत्यु होत आहे. त्यामुळे मराठी चित्रपटसृष्टीत सध्या शोककळा पसरली आहे.
असे असतानाच एक धक्कादायक बातमी समोर आली आहे. विनोदी कलाकार भुषण कडू यांची पत्नी कादंबरीचे निधन झाले आहे. वयाच्या ३९ व्या वर्षी कोरोनामुळे कादंबरी यांचे निधन झाले आहे. पत्नीच्या निधनामुळे भुषण कडूवर यांच्यावर दु:खाचा डोंगर कोसळला आहे.
काही दिवसांपुर्वीच कादंबरी यांना कोरोनाची लागण झाली होती. त्यानंतर कादंबरी यांना रुग्णालयात दाखल करण्यात आले होते. पण उपचारादरम्यान त्यांची प्राणज्योत मावळली आहे.
कादंबरी यांना सुरुवातील ठाणाच्या रुग्णालयात दाखल करण्यात आले होते. मात्र त्यानंतर त्यांना केईएम रुग्णालयात उपचारासाठी दाखल करण्यात आले. त्याच रुग्णालयात उपचारादरम्यान त्यांचा मृत्यु झाला आहे. कादंबरी यांच्या जाण्याने भुषण यांना मोठा धक्का बसला आहे.
भुषण कडू यांना ७ वर्षांचा मुलगा आहे. तर कादंबरी या भुषण यांच्या दुसऱ्या पत्नी होत्या. त्यांच्या मुलाचे नाव प्रकिर्थ असे आहे. जेव्हा मराठी बिगबॉसमध्ये भुषण कडू यांनी एँट्री केली होती, तेव्हा त्यांच्या मुलाला आणि पत्नीला एका एपिसोडमध्ये दाखवण्यात आले होते.
दरम्यान, अभिनेता भुषण कडू यांनी नेहमीच त्यांच्या विनोदी शैलीने प्रेक्षकांचे मनोरंजन केले आहे. महाराष्ट्राची हास्य जत्रा, कॉमेडी एक्सप्रेस, कॉमेडीतील बुलेट ट्रेन यांसारख्या शोमध्ये त्यांनी काम केले आहे. मात्र आज कादंबरी यांच्या जाण्याने त्यांच्या पुर्ण कुटुंबावर शोककळा पसरली आहे.
अहमदनगर । राज्यात अनेक ठिकाणी खाजगी सावकारीची अनेक प्रकरणे सध्या उघडकीस येत आहेत. यामध्ये वाटेल तेवढी रक्कम काढायची हा त्यांचा नित्यनेम. मनाप्रमाणे व्याजाचे दर ठरवून अव्वाच्या-सव्वा रक्कम वसुल करायची. यामुळे पैसे घेणाऱ्यांची पूरती दैना उडते.
अशीच एक घटना राशीन येथे घडली आहे. राशीन येथील किराणा दुकानदाराकडून तक्रारदार विजय निंभोरे, रा.राशीन यांनी सन २०१४ साली ५% व्याजदराने १ लाख रुपये घेतले होते. मात्र त्याच्या व्याजाचे पैसे एवढे झाले की त्यांना एकच धक्का बसला.
त्यांनी चेक देखील घेतला होता. तक्रारदाराने प्रतीमहिना ५००० रु. प्रमाणे २ लाख ३० हजार एवढी रक्कम दिली. मात्र तरीही सावकारांनी ऑगस्ट २०१८ साली घेतलेल्या धनादेशावर ३ लाख रुपये टाकून धनादेश वटवला होता. खात्यात रक्कम नसल्याने चेक बाऊन्स झाला. त्यावरून सावकाराने कोर्टात चेक बाऊन्सचा गुन्हा दाखल केला.
ही केस आतापर्यंत न्यायालयात सुरू होती. मात्र तक्रारदार निंभोरे यांनी कर्जत पोलिस ठाण्याकडे धाव घेतली. आणि मग सावकाराची हवाच निघाली. कर्जतचे पोलीस निरीक्षक चंद्रशेखर यादव यांनी या अगोदर अशा प्रकारची अनेक प्रकरणे हाताळली होती.
तसेच त्यांनी पुढे कोणी असे केले तर त्यांना इशारा दिला होता. यामुळे तक्रारदार पोलिसांकडे तक्रार देण्यासाठी आले असता आपल्या विरुद्ध गुन्हा दाखल होणार या धास्तीपोटी संबंधित खटला न्यायालयातून मिटवून घेतला. आणि प्रकरणातून पळ काढण्याचा प्रयत्न केला.
सध्या पोलिसांच्या धास्तीने अनेक प्रकरणे आपापसात मिटवून घेतली जात आहेत. तक्रारदार कुटुंबीयांनी पोलीस निरीक्षक चंद्रशेखर यादव यांचे यामुळे आभार मानले. यामुळे अशी काही प्रकरणे असतील तर पोलिसांशी संपर्क साधण्याचे आवाहन करण्यात आले आहे.
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सुनेवर थुंकल्याचा शिवसेना नेत्याचा व्हिडीओ, भाजपने घरगुती वादाचा फायदा घेऊ नये; सेना नेत्याची विनंती
…म्हणून सलमानच्या राधेमध्ये छोटीशी भुमिका साकारली; चाहत्यांच्या टिकेनंतर प्रविण तरडेंचा खुलासा
--- ‘गलचो#, गंदी नाली के कीड़े’: कॉन्ग्रेस की महिला प्रवक्ता ने लाइव डिबेट में संबित पात्रा को कहे अपशब्द, संजुक्ता बासु ने दी शाबाशी लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
कॉन्ग्रेस पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक न्यूज़ चैनल पर लाइव बहस के दौरान असभ्य भाषा का प्रयोग किया। ‘आज तक’ पर पत्रकार अंजना ओम कश्यप के शो ‘टक्कर’ में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के साथ उनकी बहस हो रही थी, जिस दौरान ये वाकया हुआ। इस दौरान कॉन्ग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने संबित पात्रा को कहा, “तुम दो कौड़ी के गंदी नाली के कीड़े हो। नाली के कीड़े! चुप हो जा नाली के कीड़े, ये क्या बोल रहे हो तुम?”
शो की एंकरिंग कर रहीं अंजना ओम कश्यप के टोकने के बावजूद सुप्रिया श्रीनेत ने 2 बार फिर से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के लिए ‘नाली के कीड़े’ शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने टूलकिट मामले पर बहस के दौरान कहा, “ये साहब (संबित पात्रा) जाँच में सहयोग नहीं करेंगे, क्योंकि इन्हें एक चैनल से दूसरे चैनल कूदना है। अगर ऐसा ही करना है तो जाँच प्रक्रिया का हिस्सा बनिए। जाइए, पुलिस के सवालों का जवाब दीजिए।”
यही दिन देखना बाक़ी रह गया था जब TV डिबेट में “गल**” जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाएगा ..बस अब “माँ” “बहन” की गालियाँ हाई बाक़ी रह गयीं है ..अपने अपने संस्कार है.. https://t.co/bune3F1r55
— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 30, 2021
सुप्रिया श्रीनेत ने आगे कहा, “यहाँ पर बैठ कर ‘गलचो#’ करेंगे आपलोग। यहाँ पर बैठ कर ‘गप्पा’ करेंगे।” इस पर संबित पात्रा ने कहा कि वो तो एक चैनल से दूसरे चैनल कूदते हैं, लेकिन क्या वो साँप की तरह रेंगती हैं? उन्होंने पूछा कि क्या आप साँप की तरह रेंग कर आती हैं? इस पर सुप्रिया ने कहा कि वो झूठ नहीं बोलतीं। संबित पात्रा ने कहा, “आप नागिन की तरह रेंग कर मत आया कीजिए।” इस पर दोनों में तीखी बहस हुई।
लिबरल गिरोह की पत्रकार संजुक्ता बासु ने सुप्रिया श्रीनेत के बयान का समर्थन करते हुए कहा, “‘गंदी नाली के कीड़े’ कहना बहुत सही है। सुप्रिया श्रीनेत को और शक्ति मिले। मैं उनके साथ खड़ी हूँ।” संबित पात्रा ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “याद रखिए, गाँधी परिवार के लिए अंत में हम सब ‘दो कौड़ी के गंदी नाली के कीड़े’ हैं, जबकि वो शाहजादे-शाहजादी हैं। अब लाइव टीवी डिबेट में यही देखना बाकी था। अब बस माँ-बहन की गालियाँ बाकी रह गई हैं।”
Friends do remember one thing ..for the So called “Gandhi Family” at the end of the day we all are “दो कौड़ी के गंदी नाली के कीड़े” while they are the “Sahzade” & “Sahzadis” …
— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 30, 2021
Never Forget & Never Forgive ..
The Dynasts should get it back!! pic.twitter.com/Dlq3qeARsS
संजुक्ता बासु को जवाब देते हुए संबित पात्रा ने लिखा, “क्या हम छोटे शहरों के लोग ‘नाली के कीड़े’ हैं, जबकि आप इलीट लोग सत्ताधारी हैं? आप जिसे पसंद करती हो उसके साथ खड़ी होइए। मैं सामान्य लोगों के साथ खड़ा हूँ।” भाजपा नेता शलभ मणि त्रिपाठी ने भी कहा कि ‘चाटुकार कॉन्ग्रेसियों’ ने देश की जनता को हमेशा ‘गंदी नाली का कीड़ा’ माना है, जबकि राजा-रानी और शाहजादे-शाहजादी, सब इनकी ही पार्टी में हैं।
सुप्रिया श्रीनेत टाइम्स नेटवर्क के बिजनेस चैनल ‘ET Now’ में एग्जीक्यूटिव एडिटर रह चुकी हैं। इस चैनल के साथ उन्होंने एक दशक तक काम करने के बाद कॉन्ग्रेस ज्वाइन किया था। इससे पहले वो NDTV में अस्सिस्टेंट एडिटर के पद पर थीं। ‘विश्व के इतिहास’ विषय में ‘लेडी श्रीराम कॉलेज’ से मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाली सुप्रिया ‘इंडिया टुडे’ से भी जुड़ी रह चुकी हैं। उनके पिता हर्षवर्धन उत्तर प्रदेश के महराजगंज से 1989 और 2009 में सांसद रहे थे।
बता दें कि पिछले दिनों कॉन्ग्रेस का बताया जाने वाला टूलकिट वायरल हुआ था, जिसमें कुंभ, हिन्दू धर्म और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के साथ-साथ ईद के महिमामंडन और कोरोना में लाशों की राजनीति का पूरा खाका था। कॉन्ग्रेस के पत्र के बाद ट्विटर ने संबित पात्रा के ट्ववीट को ‘छेड़छाड़ किया हुआ’ कंटेंट करार दिया। दिल्ली पुलिस ने इस पर जाँच शुरू करते हुए कॉन्ग्रेस नेताओं और ट्विटर को नोटिस दिया।
--- रीवा का देवतालाब मंदिर: महर्षि मार्कण्डेय से जुड़ा वह शिवालय जो एक रात में बना था लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
ऋषि मर्कण्डु की संतान महर्षि मार्कण्डेय जन्म से ही शिवभक्त थे। उन्होंने भारत भर में कई स्थानों पर भगवान शिव के स्वरूप को स्थापित किया। रीवा जिले के देवतालाब नामक स्थान में पवित्र शिव मंदिर की स्थापना के पीछे महर्षि मार्कण्डेय का ही योगदान माना जाता है। मान्यता है कि रीवा का यह मंदिर मात्र एक रात में बन कर तैयार हुआ था।
महर्षि मार्कण्डेय भारतवर्ष में सनातन और शिव भक्ति के प्रचार-प्रसार के लिए भ्रमण किया करते थे। उनकी इसी यात्रा के मध्य उनका आगमन विंध्य के रेवा क्षेत्र में हुआ जो वर्तमान में रीवा के नाम से जाना जाता है। रीवा में देवतालाब नामक स्थान पर जब महर्षि ने विश्राम के लिए अपना डेरा जमाया तब अनायास ही उनके मन में भगवान शिव के दर्शन की अभिलाषा जाग उठी। महर्षि ठहरे शिव भक्त तो उन्होंने अपने आराध्य से कह दिया कि चाहे जिस रूप में दर्शन मिलें किन्तु दर्शन मिलने तक वे यहीं तप करते रहेंगे।
कई दिनों तक महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब में तप करते रहे। उनके तप की तीव्रता को देखकर भगवान शिव ने विश्वकर्मा जी को आदेश दिया कि वो उस स्थान पर एक शिव मंदिर का निर्माण करें। भगवान विश्वकर्मा जी ने एक विशालकाय पत्थर से रातों रात उस स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण कर दिया। तपस्या में लीन महर्षि मार्कण्डेय को इस पूरी घटना का किंचित मात्र भी आभास नहीं हुआ। मंदिर बन जाने के पश्चात भगवान शिव की मानस प्रेरणा से महर्षि ने अपना तप समाप्त किया। शिव मंदिर देखकर महर्षि अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने वहाँ स्थित कुंड में स्नान कर भगवान शिव की आराधना की। तभी से यह मंदिर पूरे विंध्य प्रदेश में पूज्य है।
पूर्वी मध्यप्रदेश में एक मान्यता है कि चार धाम की यात्रा तभी सम्पूर्ण एवं सफल मानी जाती है जब गंगोत्री का जल रामेश्वरम स्थित शिवलिंग के साथ देवतालाब स्थित शिवलिंग पर भी अर्पित किया जाए। इसी कारण तीर्थों की यात्रा पूर्ण करने के पश्चात कई लोग गंगोत्री का जल लेकर देवतालाब आते हैं और अपनी तीर्थ यात्रा को सफल बनाते हैं। इस क्षेत्र में उपस्थित कई पवित्र जल कुंडों के कारण इस क्षेत्र का नाम देवतालाब हुआ।
मंदिर के विषय में एक और मान्यता है कि यहाँ मुख्य मंदिर के नीचे जमीन के अंदर एक और मंदिर है जहाँ चमत्कारिक मणि मौजूद है। कई दिनों तक मंदिर के नीचे से लगातार साँप बाहर निकलते रहे। श्रद्धालुओं को समस्या होने पर अंततः जमीन के नीचे स्थित इस मंदिर के दरवाजे को हमेशा के लिए बंद करा दिया गया।
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा प्रयागराज में है। रीवा की प्रयागराज से दूरी लगभग 125 किमी है। इसके अलावा रीवा, वाराणसी और जबलपुर से भी समान दूरी पर है जहाँ हवाईअड्डे हैं। इन दोनों शहरों की रीवा से दूरी लगभग 250 किमी है। दिल्ली, राजकोट, इंदौर, भोपाल और नागपुर जैसे शहरों से रीवा सीधे रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। देवतालाब मंदिर, रीवा रेलवे स्टेशन से मिर्जापुर मार्ग पर लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग से भी यहाँ पहुँचने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं है। वाराणसी से मिर्जापुर होते हुए जबलपुर जाने वाले यात्रियों के लिए देवतालाब स्थित भगवान शिव के दर्शन सुलभ हो सकते हैं, क्योंकि यह मंदिर मुख्यमार्ग में ही स्थित है।
--- 5-6 साल तक लैब में काम, वुहान में ट्रायल, फिर पूरी दुनिया में तबाही: चीनी वैज्ञानिक ने खोली कोरोना वायरस पर अपने देश की पोल लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। कोरोना के नए-नए म्यूटेंट सामने आ रहे हैं, जो लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं। इन चिंताओं के बीच कोरोना महामारी की शुरुआत जिस चीन से हुई थी, वह एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरता नजर आ रहा है।
कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने इसकी जानकारी को दुनिया से छिपाया है। वहीं, एक बार फिर कोरोना को लेकर चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने आया है। चीनी वायरोलॉजिस्ट डॉ ली-मेंग येन ने दावा किया है कि कोरोना वायरस को सरकार के नियंत्रण वाले एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया था और ‘चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस को दुनिया में फैलाया है।’ चीनी व्हिसिल ब्लोअर और वायरोलॉजिस्ट ली-मेंग यान ने चीन से फरार होने के बाद एक बार फिर दावा किया है कि कोविड-19 को चीन की वुहान की लैब में ही बनाया गया था।
#EXCLUSIVE | Dr Li-Meng Yan, Chinese Virologist says, “This #COVID19 virus is from China & it was intentionally leaked by China’s CCP.”
— News18 (@CNNnews18) May 29, 2021
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दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ में कुछ कागजात लगे हैं, जिसमें कहा गया है कि पाँच साल पहले से ही चीन कोरोना वायरस को तैयार कर रहा था और चीन तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी में जुटा हुआ था, जिसे वो जैविक हथियारों के सहारे लड़ने वाला था। इस खुलासे ने चीन की पोल-पट्टी दुनिया के सामने खोलकर रख दी है।
चीन की मशहूर वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ ली मेंग येन ने अमेरिकन रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए कहा है कि ‘चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस को दुनिया में फैलाया है।’ न्यूज 18 से बात करते हुए चीन की महामारी विशेषज्ञ ली मेंग येन ने कहा, “ये खुफिया दस्तावेज पूरी तरह से सही हैं और चीन की साजिशों का पोल खोलने के लिए काफी है।”
न्यूज 18 से बात करते हुए चीन की मशहूर वायरोलॉजिस्ट ली मेंग येन ने कहा, “हाँ, ये दस्तावेज ये साबित करने के लिए काफी है कि चीन काफी लंबे वक्त से जैविक हथियार तैयार कर रहा था, ताकि वो युद्ध में इसका इस्तेमाल कर सके और जैविक हथियार के जरिए चीन पूरी दुनिया पर जीत हासिल करना चाहता था।”
ली मेंग येन ने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा, “हाँ, आपने जिस डॉक्यूमेंट का हवाला दिया है और मैंने मार्च महीने में जिस डॉक्यूमेंट को दुनिया के सामने रखा था, वो यही कहता है कि चीन पारंपरिक युद्ध से हटकर जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने की कोशिश में था। इसके साथ ही चीन ने दुनिया के सामने कोरोना वायरस को लेकर गलत जानकारियाँ दी हैं, ताकि दुनिया को अँधेरे में रखा जा सके कि चीनी लैब से कोरोना वायरस नहीं निकला है।”
न्यूज 18 ने चीनी वैज्ञानिक से सवाल पूछा, “आपने कहा है कि इस वायरस को जानबूझकर रिलीज किया गया और ये हादसा नहीं था तो क्या इसे जानबूझकर फैलाया गया ताकि दुनिया का हेल्थ सिस्टम बर्बाद हो सके?” इस सवाल के जवाब में चीनी वैज्ञानिक ने कहा, “हाँ, इस वायरस का एक टार्गेट दुनिया के मेडिकल सिस्टम को बर्बाद करना भी था। दरअसल, 5-6 साल पहले चीनी अधिकारियों ने कहा था कि इस वायरस से मृत्यु दर काफी कम है लेकिन ये हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह से तोड़ने में सक्षम है, ये समाज को काफी नुकसान पहुँचा सकता है।”’
उन्होंने कहा कि पिछले साल वुहान में इस वायरस का ट्रायल किया गया था, जिससे वुहान की स्थिति काफी खराब हो गई थी। बातचीत को समाप्त करते हुए, डॉ यान ने बताया कि चीन अब देशों को अपने सस्ते टीके खरीदने के लिए धमका रहा है।
बता दें कि डेली मेल ने शनिवार (29 मई 2021) को इसे लेकर सनसनीखेज खुलासा किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन के वैज्ञानिकों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) में कोविड-19 वायरस को तैयार किया है। वैज्ञानिकों को कोविड-19 सैंपल पर फिंगरप्रिंट मिले हैं। इसके अलावा दावा किया गया कि चीनी वैज्ञानिकों (Chinese Scientist) ने कोरोना वायरस को तैयार करने के बाद इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन डब्ल्यूएचओ (WHO) पर इस मामले की जाँच के लिए दबाव बना रहे हैं।
बता दें कि महिला वीरोलॉजिस्ट डॉ. ली-मेंग यान ने इससे पहले भी कोरोना वायरस के मानव निर्मित होने का दावा किया था। डॉ. ली-मेंग ने दावा किया था कि कोरोना वायरस को एक सरकार के नियंत्रण वाले प्रयोगशाला में तैयार किया गया था और उनके पास अपने दावे को साबित करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण हैं। जिसे वह जल्द पेश करेंगी। हॉन्गकॉन्ग में काम करने वाली शीर्ष वैज्ञानिक ने दावा किया कि उन्होंने अपनी जाँच के दौरान एक कवर-अप ऑपरेशन का पता लगाया और कहा कि चीन की सरकार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से पहले ही वायरस के प्रसार की जानकारी थी।
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर ली मेंग यान ने हॉन्कॉन्ग छोड़ दिया है। वे हॉन्गकॉन्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में कार्यरत थीं। WHO से सम्बद्ध लैब की को-डायरेक्टर ली मेंग यान ने चीन के डर से यह कदम उठाया। उन्होंने कोरोना से जुड़े खुलासे को लेकर अपनी जान को खतरा बताया था। यान ने आरोप लगाया था कि चीन को कोरोना वायरस संक्रमण और उससे उपजने वाले खतरों के बारे में पहले से पता था। ‘वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन’ के एडवाइजर प्रोफेसर मलिक पेरिस के पास भी इसकी जानकारी होने और कुछ नहीं करने की बात भी उन्होंने कही थी।
Dainik Bhaskar Hindi - bhaskarhindi.com, नई दिल्ली।
ही गोष्ट आहे साल १९७९ ची. संध्याकाळचे सहा वाजले होते. एक शेतकरी ईटावा जिल्ह्याच्या उसराहार पोलीस स्टेशनमध्ये मळलेला कुर्ता आणि चुरगळलेले धोतर घालून आला होता. त्याला त्याच्या हरवलेल्या बैलाची तक्रार नोंदवायची होती.
त्याने इन्स्पेक्टरला हरवलेल्या बैलाची तक्रार लिहून घेण्यासाठी विनंती केली. इन्स्पेक्टरने शेतकऱ्याला तीन-चार इकडचे तिकडचे प्रश्न विचारले आणि रिपोर्ट न लिहिताच जायला सांगितले. शेतकरी काहीच बोलला नाही तो खुर्चीवरून उठला आणि स्टेशनच्या बाहेर निघाला.
इतक्यात त्यातील एक हवालदार शेतकऱ्याला म्हणाला, बाबा रिपोर्ट लिहून घेतो पण काही पैसे द्यावे लागतील. शेवटी ३५ रुपयांमध्ये इन्स्पेक्टर तक्रार नोंदवायला तयार झाला. त्याकाळी ३५ रुपयांची किंमतही खूप होती. लेखापालने तक्रार लिहून घेतली आणि शेतकऱ्याला विचारले की, बाबा सही करणार की अंगठा लावणार?
शेतकरी म्हणाला सही करणार. मग लेखापालने शेतकऱ्याला रिपोर्टचा कागद दिला. रिपोर्टचा कागद घेतल्यानंतर शेतकऱ्याने पेनसोबत स्टॅम्प पॅडपण उचलले. हे पाहिल्यानंतर लेखापाल विचारात पडला की, ह्याला जर सही करायची आहे मग स्टॅम्प पॅडची याला काय गरज आहे?
शेतकऱ्याने सही करताना नाव लिहिले ‘चौधरी चरण सिंह’ आणि मळलेल्या कुर्त्याच्या खिशातून एक स्टॅम्प काढला आणि त्या निकालाच्या कागदावर मारला. स्टॅम्पवर लिहिले होते की, ‘प्रधानमंत्री भारत सरकार’. हा सगळा प्रकार पाहून पूर्ण पोलीस स्टेशन हादरले होते.
कारण जो माणूस मळलेला कुर्ता घालून पोलीस स्टेशनमध्ये बैल हरवल्याची तक्रार नोंदवायला आला होता ते दुसरे तिसरे कोणी नसून शेतकरी नेते आणि त्याकाळचे भारताचे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह होते. त्यावेळी ते पोलीस स्टेशनमध्ये पाहणी करायला आले होते. आपल्या गाड्यांचा ताफा त्यांनी पोलीस स्टेशनपासून लांब उभा केला होता.
त्यांनी येताना आपल्या कुर्त्यावर माती लावली होती. जेणेकरून त्यांना कोणी ओळखू शकले नाही. त्यांनी त्या वेळेस उसराहारचे पूर्ण पोलीस स्टेशन सस्पेंड केले होते. शेतकरी आजही त्यांना मानतात. आज देशाला त्यांच्यासारख्या नेत्यांची गरज आहे.
--- ज्योति और नियाज अंसारी लिव-इन रिलेशनशिप में रहते थे… टोंटी पर सिर पटक-पटक कर मार डाला लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---
महाराष्ट्र में मुंबई पुलिस ने शुक्रवार (28 मई 2021) को 24 घंटे के भीतर एक महिला की हत्या का मामला सुलझा लिय। ज्योति गावडे की हत्या के मामले में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले 19 वर्षीय आरोपित नियाज अली अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार (27 मई 2021) को अंधेरी (ईस्ट) में मेट्रो रेल स्टेशन के नीचे स्थित एक सार्वजनिक शौचालय के अंदर नियाज अली अंसारी ने ज्योति गावडे (24) को खींच लिया और अंदर से दरवाजा बंद करने के बाद बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। महिला के सिर पर गहरी चोट आई थी।
महिला की हत्या करने के बाद आरोपित नियाज अली अंसारी कोलकाता भागने की फिराक में था। इसीलिए वो ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहा था, उसी दौरान जोगेश्वरी से पुलिस ने उसे दबोच लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपित ने महिला को पीटने के बाद पानी के नल पर उसका सिर कई बार पटक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। घटना का खुलासा उस वक्त हुआ, जब सार्वजनिक शौचालय में काम करने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस को इस बात की सूचना दी। घटना शाम करीब 7.15 बजे घटी।
ज्योति गावडे के साथ आरोपित नियाज अली अंसारी मीरा रोड के नया नगर में सड़क किनारे रहते थे और कूड़ा उठाने के लिए रोजाना शहर जाते थे। 27 मई 2021 की शाम को भी करीब 7 बजे अंधेरी (ईस्ट) पहुँचने से पहले दोनों ने अलग-अलग स्थान की यात्रा की। इस दौरान उनके साथ एक और कपल भी था, जिनका सीसीटीवी के जरिए पुलिस ने पता लगा लिया।
वारदात के बारे में जानकारी देते हुए अंधेरी पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर विजय बेलगे ने कहा, “सीसीटीवी फुटेज की मदद से पहले हमें उस कपल के बारे में जानकारी मिली, जिसके आधार पर हमने अंसारी को जल्द पकड़ लिया। ऐसा माना जा रहा है कि आरोपित अंसारी ने शौचालय में पानी के नल पर गावडे के सिर को पटक कर उसकी हत्या की है।”
पुलिस ने केस को बड़ा ही चैलेन्जिंग बताते हुए कहा कि पीड़ित और आरोपित के बारे में पहले से किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी। हालाँकि बाद में टेक्निकल इंटेलीजेंस की मदद से उन्हें ट्रैक कर लिया गया।
Dainik Bhaskar Hindi - bhaskarhindi.com, नई दिल्ली। देश में कोरोनावायरस संक्रमण का असर कम हुआ है। बीते कुछ दिनों से लगातार नए केस में कमी दर्ज की जा रही है। रिकवरी रेट पहले से बेहतर हुआ है। वहीं, एक्टिव केस में कमी आई है। देश में बीते 24 घंटे में कोरोनावायरस के 1 लाख 65 हजार 144 मामले दर्ज की गए हैं। वहीं, 2 लाख 64 हजार 342 मरीज ठीक हुए हैं। कोरोना संक्रमण से अब तक 3 हजार 463 लोगों की मौत हो चुकी है।
देश में अब तक कोरोना संक्रमण से 2 करोड़ 78 लाख 93 हजार 472 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, 2 करोड़ 54 लाख 46 हजार 820 मरीज स्वस्थ हो गए हैं। कोरोना से अब तक 3 लाख 25 हजार 998 लोगों की जान जा चुकी है। फिलहाल देश की अलग-अलग अस्पतालों में 21 लाख 9 हजार 497 कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। ये सभी आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में पिछले 46 दिन में आज कोरोना वायरस के सबसे कम नए मामले आए हैं। आज देश में लगातार 17वें दिन कोरोना वायरस के नए मामलों से ज़्यादा रिकवरी हुई हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मुताबिक, भारत में कल कोरोना वायरस के लिए 20 लाख 63 हजार 839 सैंपल टेस्ट किए गए, कल तक कुल 34 करोड़ 31 लाख 83 हजार 748 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस की 30 लाख 35 हजार 749 वैक्सीन लगाई गईं, जिसके बाद कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 21 करोड़ 20 लाख 66 हजार 614 हुआ।
कोरोनावायरस की स्थिति
भारत में कोरोना से होने वाली मौतों पर नहीं लग पा रही है रोकथाम
देश में कोरोना की दूसरी खत्म होने की कगार पर है, लेकिन मरने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं हो रही है। मई में हर रोज औसतन 3,500 मौतें हुई हैं। ये पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। दुनिया में अब तक सिर्फ तीन देशों में कोरोना से 3 लाख से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ा है। इनमें अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे नंबर पर है। वहीं, भारत तीसरे नंबर पर बना हुआ है। एक दिन में दुनिया में सबसे ज्यादा मौते भी भारत में हुई थी। यहां 18 मई को 4529 लोगों की जान गई थी।
1 जून से मध्य प्रदेश होगा अनलॉक
कोरोनावायरस के मामले कम होने के साथ ही मध्य प्रदेश 1 जून से अनलॉक होने जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रदेश में 1 जून से आवश्यक सेवाओं का संचालन किया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्येक रविवार को जनता कर्फ्यू रहेगा। वहीं, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। सीएम शिवराज ने कहा, मध्य प्रदेश के 18 ज़िलों में पॉजिटिविटी 1% से कम हो गई है। सीएम शिवराज ने कहा, आज मैं ये कह सकता हूं कि संक्रमण अभी हमारे काबू में है। हमें अब अनलॉक की दिशा में जाना है, कोरोना कर्फ्यू को धीरे-धीरे हटाना है और ये आप तय करेंगे। ज़िले में क्या करना है ज़िले का क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बैठकर तय करेगा।
इन राज्यों में लॉकडाउन
देश के 19 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी शामिल हैं। यहां पिछले लॉकडाउन जैसे ही कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।
इन राज्यों में सख्त पाबंदी
देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंशिक लॉकडाउन है। यानी यहां पाबंदियां तो हैं, लेकिन छूट भी है। इनमें पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और गुजरात शामिल हैं।
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