भिंड-मुरैना के लोग बागी विधायकों को समझ रहे डाकू, राकांपा नेता एंकर से बोले- इन्हें असंतुष्ट कहें, इज्जत तो बची रहे
महाराष्ट्र सरकार में चल रहे सियासी संकट के बीच एनसीपी नेता बृज मोहन श्रीवास्तव ने बगावती रुख अख्तियार कर गुवाहाटी पहुंचे शिवसेना के विधायकों के लिए बागी शब्द का इस्तेमाल ना करने को कहा है।
महाराष्ट्र संकट को लेकर हो रही एक डिबेट में एनसीपी नेता ने इन विधायकों पर तंज कसते हुए कहा कि इन्हें असंतुष्ट विधायक कहें क्योंकि बागी शब्द डाकुओं के लिए इस्तेमाल होता है, इससे उनकी थोड़ी बहुत जो इज्जत बची है वो रह जाएगी।
उन्होंने कहा, “उन 40 विधायकों के लिए बागी शब्द का इस्तेमाल ना करें क्योंकि मेरे पास भिंड और मुरैना से फोन आ रहा था कि वहां, डाकुओं को बागी बोला जाता है। तो आप बागी बोल रहे हो ये डाकू लोग हैं क्या? मैं ये चाहता हूं कि असंतुष्ट विधायक शब्द इस्तेमाल करें इससे जो थोड़ी बहुत इज्जत बची है वो तो रह जाए।”
उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा, “बागी विधायकों के आने-जाने, खाने और रहने पर जो खर्च हो रहा है, मैं सोचता हूं कि जो जिम्मेदार लोग हैं चालचरित्र चेहरे की बात करने वाली पार्टी है, जो कहती थी हम भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे। आज उनके सामने भी मौका आ गया कि ये जो खर्चा हुआ है ये देश के सामने लेकर आएं।”
वहीं, महाविकास अघाड़ी सरकार पर संकट गहराता जा रहा है। इस पर एनसीपी नेता ने कहा कि सरकार जाने वाली है या रुकने वाली है ये शायद इस रेस से बाहर है मामला। उन्होंने कहा, “अभी तो तय होना है कि माननीय उच्च न्यायालय इस पर क्या फैसला देगी। ये बात भी सच है कि पूरे हिंदुस्तान की नजर इस पर टिकी है क्योंकि महाराष्ट्र भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। हमारी संवैधानिक संस्थाएं भी दांव पर हैं, उनकी प्रतिषठा भी दांव पर और उनकी जो भूमिका है वो भी प्रश्नचिन्ह लेकर खड़ी है।”
बृज मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होगा उसके अनुसार ही विधानसभा में कार्रवाई होगी, अगर वो कहते हैं कि शक्तिपरीक्षण होना है तो करना होगा, लेकिन ये सच है कि 7-8 दिन की इस पूरी प्रक्रिया ने चर्चा का नया केंद्र खड़ा कर दिया है।
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