दीन-ए-इलाही और अकबर का जिक्र कर बोले बीजेपी पैनलिस्ट- जो चीज इस्लाम विरोधी है, उसके लिए क्यों लड़ रहे; देखें- फिर क्या हुआ?
ज्ञानवापी मामले पर बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि विपक्षी पैनलिस्ट कह रहे हैं कि ये दीन-ए-ईलाही का मरकज था। लेकिन इसे तो गैर इस्लामिक घोषित कर दिया था। मौलवियों के फैसले के बाद हम इस पर क्यों बहस कर रहे हैं।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 एक्ट को कभी चुनौती नहीं दी गई और ना ही किसी कोर्ट ने न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया। अयोध्या फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस पर सिर्फ टिप्पणी की थी। अब अगर इस पर अदालत सुनवाई करने जा रही है तो क्या गलत है। हम सभी को इसका स्वागत करना चाहिए।
IVF का हवाला देकर उन्होंने कहा कि तकनीक बदलने के साथ इस एक्ट पर भी फिर से विचार करना जरूरी है। 100 साल पहले ग्लूकोज चढ़ाना गलत नहीं था पर आज ब्लड टेस्ट हो सकता है तो शुगर पेशेंट को ग्लूकोज चढ़ाना आपराधिक कृत्य माना जाएगा। उनका कहना था कि तकनीक के साथ कानूनी मान्यताएं भी बदलनी जरूरी हैं। नहीं बदलेंगे तो नुकसान ही होगा। उन्होंने बाबरी विध्वंस पर हुई गोलीबारी को लेकर सपा प्रवक्ता पर तीखा निशाना साधकर उनसे ज्ञानवापी पर सवाल भी पूछा।
सपा प्रवक्ता राजीव राय ने कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 7वीं याचिका दाखिल की गई है। यह एक हफ्ते के अंदर दाखिल होनेवाली चौथी याचिका है। खास बात ये है कि सभी याचिकाओं में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया गया है। अदालत जो फैसला देगी वो सभी को मंजूर करना चाहिए।
उनका कहना था कि ये एक्ट 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को परिवर्तित करने पर रोक लगाता है। यह केंद्रीय कानून 1991 को पारित किया गया था। उनका कहना था कि अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले से चल रहा था। उस मामले में हम सभी लोगों ने इस फैसले को भी माना था।
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