शिवलिंग के दावे के बाद ज्ञानवापी में वज़ू खाना बंद किए जाने पर भड़का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कहा- मुसलमान इसे बर्दाश्त नहीं करेगा; कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- न बदले स्वरूप

May 18, 2022 0 Comments

वाराणसी के काशी विश्वनाथ परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे और उसमें निकले नए तथ्यों पर ऑल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड ने कठोर रवैया अपनाया है। बोर्ड ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “ज्ञानवापी मस्जिद थी, है और ज्ञानवापी मस्जिद रहेगी।”

एक बयान जारी कर बोर्ड ने कहा कि “इसको मस्जिद करार देना सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की साजिश है। सर्वे का हुक्म और उसकी रिपोर्ट की बुनियाद पर वजुखाने को बंद करने की हिदायत सरासर नाइंसाफी है। मुसलमान इसे हर्गिज बर्दाश्त नहीं कर सकते। सरकार इस मामले में दखल दे और हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाए। सरकार 1991 के एक्ट के तहत तमाम इबादतगाहों की हिफाजत करे।”

बोर्ड ने चेतावनी देते हुए कहा है कि “केवल ख्याली दलीलों से इबादतगाहों की हैसियत बदल जाएगी तो मुल्क अफरातफरी का शिकार हो जाएगा, क्योंकि बहुत बड़े-बड़े मंदिर बौद्ध और जैन मंदिरों को बदलकर बनाए गए हैं। ये हिस्ट्री है। कहा कि मुसलमान इस तरह के जुल्म को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और आल इंडिया पर्सनल बोर्ड इस ज्यादती का मुकाबला करेगा।”

उधर, इस विवाद को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी विरोध जताया। कहा कि “ज्ञानवापी मामला कोर्ट में है, लेकिन 1947 में सभी मस्जिदों, मंदिरों, धार्मिक पूजा के अन्य स्थानों की स्थिति को बनाए रखना पड़ा। इसके संबंध में एक कानून – पूजा स्थल अधिनियम 1991- भी बनाया गया है। कुछ व्यक्ति लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।”

कर्नाटक में आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार के भाषणों को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किए जाने पर वे बोले “इतिहास में नाम दर्ज कराने के लिए RSS ने क्या किया? क्या उन्होंने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी? अर्थव्यवस्था के लिए काम? यह सब नेहरू और गांधी थे। वे जेल नहीं गए और न ही उन्हें फांसी दी गई।”

पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे के घरों पर छापे पर उन्होंने कहा कि “बीजेपी कांग्रेस के सदस्यों पर धावा बोलकर इसको कमजोर करने की कोशिश कर रही है। चिदंबरम एक अच्छे वकील और अर्थशास्त्री हैं। यह उनके भाषणों, बहसों का असर है। कांग्रेस में मुखर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। वे राज्य में निरंकुशता लाना चाहते हैं।”

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Amol Kote

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