अलर्ट! WhatsApp Support वाला अकाउंट हो सकता है फेक, सिर्फ एक गलती और अकाउंट हो सकता है खाली https://ift.tt/oCGRaqt

WhatsApp के तहत एक बड़ी जानकारी सामने आई है। WhatsApp Support असली व्‍हाट्सऐप सपोर्ट की आड़ में सामने आया है। यह लोगों की व्‍यक्तिगत जानकारी और अन्‍य विवरण जैसे डेटा चोरी करना आदि ले सकता है। अगर आपने इसे असली समझकर भरोसा कर लिया और इसके द्वारा मांगी गई जानकारियां साझा की तो आपका अकाउंट भी खाली हो सकता है।

व्हाट्सएप सपोर्ट होने का दिखावा करने वाले साइबर फ्रॉड एक त्वरित संदेश भेजते हैं और लोग आमतौर पर यह पता नहीं लगा पाते हैं कि यह असली है या नकली और इस तरह उनके साथ बहुमूल्य जानकारी साझा कर देते हैं। अगर आपको ऐसे संदेश मिल रहे हैं तो सबसे पहले आपको इन संदेशों की जांच करनी चाहिए और संदेश संदिग्‍ध मिलने पर तुरंत रिपोर्ट और अकाउंट को ब्‍लॉक करना चाहिए।

सत्‍यापित टिक के साथ प्रोफाइल तस्‍वीर का इस्‍तेमाल
साइबर अपराधियों द्वारा सत्‍यापित टिक के साथ अपनी प्रोफाइल तस्‍वीर में व्‍हाट्सऐप लोगो सेट करते हैं। जिस कारण आम उपयोगकर्ताओ के लिए नकली और असली में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। यहां हम आपको बताते हैं कि कैसे सत्यापित किया जाए कि व्हाट्सएप सपोर्ट असली है या नकली।

कैसे असली नकली में करें पहचान?
WABetaInfo के अनुसार, जब आप एक सत्यापित संपर्क के साथ चैट कर रहे होते हैं, तो वार्तालाप स्क्रीन में नाम और उनकी चैट जानकारी के आगे एक प्रमाणित बैज होता है। इसके अलावा अगर आप किसी अन्‍य जगह जैसे प्रोफाइल फोटो पर बैज देखते हैं तो यह फेक हो सकता है। साथ ही अगर वे आपसे कोई व्‍यक्तिगत जानकारी जैसे- क्रेडिट कार्ड का विवरण, व्‍हाट्सऐप यूपीआई और पिन या सीवीवी की जानकारी मांगते हैं तो आपका खाता खाली हो सकता है।

मैसेजिंग ऐप कोई भी गोपनीय जानकारी नहीं मांगता है
व्हाट्सऐप कभी भी आपके क्रेडिट कार्ड और आपके 6 अंकों के कोड या दो-चरणीय सत्यापन पिन जैसी जानकारी के बारे में विवरण नहीं मांगता है। इसके अलावा व्हाट्ऐप अकाउंट बंद करने से बचने के लिए पैसे या गोपनीय जानकारी भी नहीं मांगता है। अगर कोई यह जानकारी प्राप्त करना चाहता है, तो इसका मतलब है कि यह एक नकली खाता है जो आपको घोटाला करने की कोशिश कर रहा है।



Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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