विश्व पृथ्वी दिवस: दुनिया को खतरे से बचाने के लिए मिट्टी से जुड़ने का आह्वान; ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु ने चेताया- धरती तेजी से खो रही अपनी जैविक सामग्री https://ift.tt/cHmpbEZ
जब दुनिया भर में प्रदूषण का जोर बढ़ता जा रहा है तब ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु ने लोगों से मिट्टी से जुड़ने की अपील की है। उनका कहना है कि मिट्टी ही शुद्ध जल, साफ हवा और जीवन है। बिना इसके जीवन किसी काम का नहीं है। उन्होंने कहा, “यह धरती ‘अगले 30-40 सालों में गंभीर संकट में आ सकती है।’
विश्व पृथ्वी दिवस पर भारत के 80 से अधिक शहरों के हजारों लोग सुबह-सुबह अपने घरों से #ConnectWithSoil के उद्देश्य को पूरा करने के लिए बाहर निकले और चमकीले रंग की, मुश्किल से छूटने वाली सेव सॉयल टी-शर्ट पहने, वाराणसी के अस्सी घाट, आगरा के सिकंदरा किला, गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई में मरीन ड्राइव, गोवा के मीरामार सर्कल, पटना के गंगा घाट, हैदराबाद के नेकलेस रोड, बैंगलोर के लाल बाग, चेन्नई के हवाई अड्डे जैसे स्थानों पर लोगों को जागरूक किया। सद्गुरु ने कहा कि यह वैश्विक आंदोलन है। उन्होंने मिट्टी को ठीक करने की तत्काल आवश्यकता के बारे में समझ पैदा करने पर जोर देते हुए कहा धरती अपनी जैविक सामग्री को तेजी से खो रही है।
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन (UNCCD) और खाद्य और कृषि संगठन (FAO) जैसी संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों ने चेतावनी दी है मिट्टी का विनाश भोजन और जल सुरक्षा के लिए एक वैश्विक खतरा खड़ा कर रहा है और इससे दुनिया में निर्मम गृह युद्ध छिड़ सकता है। इससे अभूतपूर्व पलायन शुरू हो सकता है जो हर देश के लिए सुरक्षा का खतरा बन सकता है।
पिछले महीने सद्गुरु ने मिट्टी को बचाने के लिए वैश्विक अभियान शुरू किया है। तत्काल नीतिगत सुधारों के लिए वैश्विक सहमति बनाने के लिए, उनकी यात्रा यूरोप, मध्य-एशिया, और मध्य-पूर्व से होकर जून में कावेरी नदी घाटी में समाप्त होगी। फिलहाल वे सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में हैं और वहीं से ‘सारे पृथ्वीवासियों को शुभकामनाएं’ देते हुए सद्गुरु ने कहा कि यही समय है कि हम इसके प्रति सचेत हों, अन्यथा मानव समाज और अन्य जीवों के लिए प्रकृति के साथ रह पाना असंभव हो जाएगा।
21 मार्च को लंदन से अपनी यात्रा शुरू करते हुए सद्गुरु अब तक कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। यूके, नीदरलैंड, जर्मनी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया, इटली सहित, स्लोवेनिया, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम, हंगरी, बुल्गारिया, रोमानिया और सर्बिया में वह लाखों लोगों से मिले। इसमें मशहूर हस्तियां और मीडिया के अलावा विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, व्यावसायिक और सांस्कृतिक नेताओं से भी बातचीत की।
मिट्टी के विलुप्त होने के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सद्गुरु ने कई शहरों में सार्वजनिक कार्यक्रम भी आयोजित किए। सद्गुरु की यात्रा इस साल जून में कावेरी नदी बेसिन में समाप्त होगी।
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