चिल्कुर का ‘वीजा बालाजी’ मंदिर: जब भक्त के लिए जंगल में प्रकट हो गए भगवान वेंकटेश्वर

August 23, 2021 0 Comments

तेलंगाना का चिल्कुर बालाजी मंदिर

--- चिल्कुर का ‘वीजा बालाजी’ मंदिर: जब भक्त के लिए जंगल में प्रकट हो गए भगवान वेंकटेश्वर लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

आस्था और भक्ति के पीछे कोई कारण नहीं होता, यह मात्र एक भाव है जो भक्तों को अपने भगवान, अपने आराध्य से बाँधे रखता है। भक्तों के यही भाव कई देवस्थानों को सबसे अद्वितीय बनाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर तेलंगाना में हैदराबाद से लगभग 28 किलोमीटर (किमी) दूर रंगारेड्डी जिले में उस्मान सागर के किनारे स्थित है। चिल्कुर बालाजी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहाँ भक्तों की ‘वीजा’ प्राप्त करने की इच्छा पूरी होती है और यही कारण है कि इस मंदिर को ‘वीजा बालाजी’ मंदिर भी कहा जाता है।

इतिहास

भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित चिल्कुर बालाजी मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है। कहा जाता है कि बीते समय में भगवान वेंकटेश्वर के एक ऐसे भक्त हुए थे जो पैदल ही भगवान के दर्शनों के लिए तिरुपति चले जाया करते थे। काफी समय बीत जाने के बाद जब बालाजी के भक्त असहाय हो गए और भगवान के दर्शन के लिए नहीं जा सके तो खुद बालाजी ने उनकी सहायता की।

भगवान वेंकटेश्वर अपने भक्त के सपने में आए और कहा कि उन्हें अब पैदल तिरुपति आने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि अब वो खुद अपने भक्त के पास जंगल में रहते हैं। भगवान की बताई जगह पर जब लोग पहुँचे तो वहाँ उभरी हुई भूमि दिखाई दी। इसके बाद आकशवाणी हुई और भगवान के आदेशानुसार उस भूमि को दूध से नहलाकर वहाँ भगवान बालाजी की प्रतिमा स्थापित की गई।

द्रविड़ वास्तुशैली में बने इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा स्थापित है। काले पत्थर से निर्मित की गई यह प्रतिमा, तिरुपति में स्थित बालाजी भगवान की ही प्रतिरूप नजर आती है। तिरुपति बालाजी मंदिर के समान ही यहाँ भी कई उत्सवों का आयोजन किया जाता है। अनाकोटा, ब्रह्मोत्सवम और पूलंगी यहाँ के प्रमुख त्योहार हैं।

नौकरी के लिए आते हैं भक्त

किसी के भी जीवन में कुछ सपने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। कुछ लोग अच्छी नौकरी की इच्छा रखते हैं, कुछ लोगों को राजनीति में अपना बेहतर भविष्य चाहिए तो कई लोग ऊँची तनख्वाह के चलते विदेश जाना चाहते हैं। ऐसे लोग रंगारेड्डी के इस मंदिर जरूर पहुँचते हैं। माना जाता है कि यहाँ भगवान बालाजी के दर्शन करने और उनसे आशीर्वाद माँगने के बाद आसानी से वीजा मिल जाता है। यही कारण है कि चिल्कुर बालाजी मंदिर को वीजा बालाजी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर में लोगों की आस्था इतनी है कि लोग यहाँ अपने पासपोर्ट तक लेकर पहुँचते हैं और बालाजी भगवान की 11 परिक्रमा करते हुए एक चिट में संख्या अंकित करते जाते हैं। इसके बाद जब उन्हें वीजा मिल जाता है तब वापस आकर भगवान की 108 परिक्रमा करते हैं। हालाँकि न केवल वीजा बल्कि सरकारी नौकरी, ऊँचे पदों और ऐसी ही दूसरी अन्य इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी भक्त चिल्कुर बालाजी मंदिर पहुँचते हैं।

कैसे पहुँचे?

हैदराबाद का राजीव गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 29 किमी दूर है। रंगारेड्डी और हैदराबाद के रेलवे स्टेशन चिल्कुर बालाजी मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे आसान रेल यातायात के केंद्र हैं। मंदिर से सिकन्दराबाद जंक्शन की दूरी मात्र 32 किमी है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी मंदिर पहुँचना बहुत आसान है, क्योंकि हैदराबाद और रंगारेड्डी, दोनों ही कई राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े हुए हैं।



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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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