गैवीनाथ धाम: जहाँ औरंगजेब ने शिवलिंग पर चलाई थी तलवार लेकिन सेना सहित जान बचाकर भागा, आज भी हैं निशान

June 05, 2021 0 Comments

गैवीनाथ धाम सतना

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भारत के कई ऐसे महान मंदिर रहे जो इस्लामिक आक्रान्ताओं का शिकार हुए। अयोध्या, काशी और मथुरा सहित देश के कई बड़े-छोटे मंदिरों को इस्लामिक कट्टरपंथी आक्रान्ताओं ने अपने मजहबी उन्माद की भेंट चढ़ा दिया लेकिन कई ऐसे दिव्य मंदिर भी थे, जहाँ ये आक्रांता अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सके। ऐसा ही एक त्रेताकालीन मंदिर पूर्वी मध्य प्रदेश में स्थित है, जहाँ मुगल आक्रांता औरंगजेब और उसकी सेना ने शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन उसे अपनी सेना सहित जान बचाकर भागना पड़ा।

त्रेताकालीन हैं भगवान गैवीनाथ

विंध्य समेत पूरे मध्य भारत में आस्था का केंद्र गैवीनाथ मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले से 35 किमी दूर बिरसिंहपुर नामक कस्बे में स्थित है। त्रेतायुग में यह स्थान देवपुर कहलाता था। इस स्थान और गैवीनाथ मंदिर का वर्णन पदम पुराण के पाताल खंड में मिलता है।

देवपुर में राजा वीर सिंह का राज्य हुआ करता था। राजा ठहरे महाकाल के अनन्य भक्त तो घोड़े पर सवार होते और पहुँच जाते महाकाल की नगरी उज्जैन। सालों तक ऐसा ही चलता रहा लेकिन जब राजा वृद्ध हुए तब उन्होंने महाकाल से अपनी व्यथा बताई। तब महाकाल ने राजा के स्वप्न में देवपुर में ही दर्शन देने की बात कही। उसी समय नगर के ही गैवी यादव नामक व्यक्ति के यहाँ चूल्हे से शिवलिंग निकला लेकिन गैवी की माँ उस शिवलिंग को दोबारा जमीन के अंदर कर देती।

गैवीनाथ धाम (फोटो : पत्रिका)

महाकाल एक दिन फिर से राजा वीर सिंह के स्वप्न में आए और बताया कि वह जमीन से निकलना चाहते हैं लेकिन गैवी की माँ उन्हें फिर जमीन में धकेल देती है। अंततः राजा गैवी के घर पहुँचे और जिस स्थान से शिवलिंग चूल्हे से बाहर आने का प्रयास कर रहा था, उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और महाकाल के आदेश के अनुसार भगवान शिव इस स्थान पर गैवीनाथ के रूप में प्रतिष्ठित हुए। गैवीनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग को भगवान महाकाल का ही रूप माना जाता है।

औरंगजेब भागा था अपनी जान बचाकर

बिरसिंहपुर स्थित गैवीनाथ धाम भी मुस्लिम आक्रान्ताओं की हिन्दू घृणा का शिकार हुआ था। यह अलग बात है कि आक्रांता न तो मंदिर का और न ही भगवान की मूर्ति का कुछ बिगाड़ सके। स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार आज से 317 साल पहले 1704 में मुगल आक्रांता औरंगजेब हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने के क्रम में इस स्थान पर पहुँचा था।

औरंगजेब के साथ उसकी सेना भी थी। औरंगजेब ने पहले अपनी तलवार से शिवलिंग पर प्रहार किया लेकिन उसे तोड़ने में असफल रहने पर उसने अपनी सेना को आदेश दिया, जिसके बाद शिवलिंग को हथौड़े और छेनी से तोड़ने का प्रयास किया गया। कहा जाता है कि शिवलिंग पर पाँच प्रहार किए गए थे। पहले प्रहार में शिवलिंग से दूध निकला, दूसरे प्रहार में शहद, तीसरे प्रहार में खून और चौथे प्रहार में गंगाजल। जैसे ही औरंगजेब के सैनिकों ने शिवलिंग पर पाँचवाँ प्रहार किया, लाखों की संख्या में भँवर (मधुमक्खी) निकली। औरंगजेब और उसकी पूरी सेना तितर-बितर हो गई और किसी तरह अपनी जान बचाकर भागी।

आज भी गैवीनाथ धाम में शिवलिंग पर तलवार के निशान हैं और खंडित शिवलिंग की ही पूजा होती है। हिन्दू धर्म में खंडित मूर्तियों की पूजा प्रतिबंधित है किन्तु गैवीनाथ धाम देश का इकलौता मंदिर है, जहाँ खंडित शिवलिंग ही पूजे जाते हैं और उनकी मान्यता पूरे हिन्दू धर्म में है।

बिरसिंहपुर के गैवीनाथ धाम स्थित शिवलिंग (फोटो सोर्स : सोशल मीडिया)

बिरसिंहपुर के निवासी कहते हैं कि इसी शिवलिंग के कारण न केवल मंदिर की अपितु उनके शहर और उनकी माँ-बेटियों की रक्षा भी हो सकी। यही कारण है कि पूरे विंध्य क्षेत्र में गैवीनाथ धाम का महत्व भारत के किसी भी बड़े मंदिर की भाँति ही है।

मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि जमीन के अंदर कितनी गहराई तक शिवलिंग है, इसके विषय में कोई नहीं जानता। स्थानीय मान्यता है कि चारधाम धाम यात्रा तभी पूरी मानी जाती है, जब चार धामों का जल भगवान गैवीनाथ को अर्पित किया जाए। वैसे तो यह मंदिर हमेशा से ही भक्तों से भरा रहता है लेकिन सावन महीने और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों में यहाँ भक्तों की संख्या लाखों तक पहुँच जाती है।

कैसे पहुँचे?

सतना जिले से नजदीकी हवाईअड्डा खजुराहो में स्थित है। गैवीनाथ धाम से खजुराहो हवाईअड्डे की दूरी लगभग 142 किमी है। इसके अलावा बिरसिंहपुर पहुँचने के लिए सतना तक ट्रेन से पहुँचा जा सकता है। सतना रेलवे स्टेशन पूर्वी मध्य प्रदेश का एक बड़ा और व्यस्त रेलवे स्टेशन है और यहाँ से बस, टैक्सी एवं निजी वाहन के माध्यम से बिरसिंहपुर स्थित गैवीनाथ धाम पहुँच सकते हैं। प्रयागराज और वाराणसी के लोग रीवा होते हुए इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं। रीवा से गैवीनाथ धाम की दूरी लगभग 58 किमी है।       



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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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