मुस्लिमों को 80% छात्रवृत्ति, ईसाइयों को सिर्फ 20%: केरल सरकार को HC ने कहा – ‘रद्द करो, असंवैधानिक है’

May 29, 2021 0 Comments

मुस्लिम छात्रवृत्ति केरल

--- मुस्लिमों को 80% छात्रवृत्ति, ईसाइयों को सिर्फ 20%: केरल सरकार को HC ने कहा – ‘रद्द करो, असंवैधानिक है’ लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (मई 28, 2021) को राज्य के मुस्लिम और लैटिन कैथोलिक/धर्मांतरित ईसाइयों को 80:20 के अनुपात में छात्रवृत्ति देने की घोषणा वाले आदेश को रद्द कर दिया। जस्टिस शाजी पी चाली और चीफ जस्टिस मणिकुमार की पीठ ने कहा कि यह आदेश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है। इसलिए राज्य में अधिसूचित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को योग्यता-सह-साधन (Merit-cum-Means) स्कॉलरशिप मिले।

कोर्ट ने फैसले में कहा, “हम राज्य सरकार को राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पास उपलब्ध नवीनतम जनसंख्या जनगणना के अनुसार राज्य के भीतर अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को समान रूप से योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए आवश्यक और उचित सरकारी आदेश पारित करने का निर्देश देते हैं।”

केरल सरकार दे रही मुस्लिम अल्पसंख्यकों को वरीयता

बता दें कि इस संबंध में वकील जस्टिन पल्लीवाथुकल की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार राज्य में अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के मुकाबले मुस्लिम समुदाय को अनुचित वरीयता दे रही है। इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार द्वारा समुदाय के कमजोर वर्गों को सुविधाएँ प्रदान करने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन जब अधिसूचित अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार करने की बात आती है, तो उन्हें उनके साथ समान बर्ताव करना होगा।

फैसले में कहा गया है कि सरकार को अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का कोई अधिकार नहीं था। लेकिन यह एक ऐसा मामला है, जिसमें राज्य के भीतर ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के जनसंख्या अनुपात से उपलब्ध अधिकार को ध्यान में रखे बिना, राज्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को 80% छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है। कोर्ट के अनुसार, यह असंवैधानिक है और किसी भी कानून द्वारा समर्थित नहीं है।

अदालत ने कहा कि तथ्यों, परिस्थितियों और कानूनों के आधार पर, मुस्लिम समुदाय को 80% और लैटिन कैथोलिक ईसाइयों और धर्मांतरित ईसाइयों को 20% योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करके अल्पसंख्यकों को उप-वर्गीकृत करने में राज्य सरकार की कार्रवाई कानूनी रूप से नहीं टिक सकती। इसलिए कोर्ट सभी अधिसूचित अल्पसंख्यकों को समान रूप से योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करने का आग्रह करते हुए याचिका को अनुमति देता है।

क्या है स्कॉलरशिप से जुड़ा पूरा विवाद?

उल्लेखनीय है कि पूरा विवाद राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के लिए छात्रवृत्ति योजना घोषणा करने के संबंध में है। योजना की घोषणा 11 सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के अनुसार की गई थी। इस समिति को केरल में जस्टिस राजिंदर सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने का काम सौंपा गया था। यह सच्चर समिति भारत में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक स्थिति पर रिपोर्ट करने के लिए गठित एक उच्च स्तरीय समिति थी।

योजना में राज्य सरकार ने डिग्री और स्नातकोत्तर करने वाले मुस्लिम छात्राओं को 5000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की थीं। फिर साल 2011 के फरवरी में इसे लैटिन कैथोलिक और परिवर्तित ईसाई समुदायों के छात्रों तक बढ़ा दिया गया। मगर 2015 में एक सरकारी आदेश में, कहा गया कि मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बीच आरक्षण 80:20 के अनुपात में होगा। यानी मुसलमानों के लिए 80%, लैटिन कैथोलिक ईसाइयों और अन्य समुदायों के लिए सिर्फ 20 फीसदी।

इस बाबत याचिका दायर करके इस बात को उठाया गया कि राज्य सरकार की योजना केंद्र सरकार द्वारा साल 2006 में घोषित योजना से अलग है। याचिकाकर्ता ने बताया कि इस योजना में कहीं भी ये बात नहीं कही गई कि किसी एक अल्पसंख्यक को दूसरे अल्पसंख्यक से ज्यादा तवज्जो दी जाए। इसलिए उनकी ये माँग थी कि सभी समुदायों को बिन भेदभाव के स्कॉलरशिप दी जाए।



IFTTT

Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

0 Comments: