शिवभक्तों के लिए इस दिन खुलेंगे केदारनाथ के कपाट, अभी जान लें तारीख

March 27, 2024 0 Comments

केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही लाखों की संख्या में भक्तों का तांता मंदिर में लगने लगता है। हिंदू धर्म के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। भारी बर्फबारी और दुर्गम रास्तों के कारण साल के 6 महीनों केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहते हैं। साल 2024 में केदारनाथ धाम के कपाट कब खुलने वाले हैं, कब से भक्त केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकल सकते हैं, इसकी पूरी जानकारी आज हम आपको देंगे। 



2024 में इस दिन खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट





केदारनाथ धाम के कपाट हर वर्ष भाई दूज के दिन बंद किये जाते हैं और 6 महीने के बाद अक्षय तृतीया के दिन केदारनाथ धाम के कपाट खोलने का विधान है। केदारनाथ धाम के कपाट खोलने से पहले केदारनाथ की पंचमुखी भोग मूर्ति की पूजा की जाती है जो कि साल 2024 में 5 मई को होगी। यह पूजा ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में की जाएगी। मूर्ति की पूजा के बाद इसे 9 मई की शाम को केदारनाथ धाम पहुंचाया जाएगा और इसके बाद 10 मई को विधि-विधान के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।



हालांकि केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की जो प्रक्रिया है उसका आरंभ 6 मई से ही हो जाएगा लेकिन कपाट अक्षय तृतीया के दिन ही खुलेंगे। 10 मई यानि शुक्रवार के दिन अक्षय तृतीया है और इसी दिन केदानाथ के कपाट खोले जाते हैं। जबकि कपाट खोलने की तारीख की घोषणा हर साल  महाशिवरात्रि के दिन की जाती है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा करवाया जाता है। यानि साल 2024 में भक्त 10 मई से केदारनाथ धाम की यात्रा पर जा सकते हैं। 



केदारनाथ धाम से जुड़ी प्रचलित कथा





ऐसा माना जाता है कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव बहुत शोक में थे। उनपर भाईयों की हत्या करने का पाप था। इस पाप से उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ही मुक्ति दिला सकता था, लेकिन भगवान शिव पांडवों से नाखुश थे। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें आसानी से दर्शन नहीं दिए। लेकिन पांडवों ने भी हार नहीं मानी और अंत में वो शंकर जी की तलाश में केदार खंड पहुंचे। शिव जी ने पांडवों को आता देख खुद का रूप बदल लिया और बैल का रूप धारण कर दिया इसके बाद वो वहां मौजूद पशुओं के साथ जा मिले। 



इसके बाद भीम ने विशाल रूप लिया और अपने पैर फैला दिये जिसके नीचे से अन्य सभी पशु गुजरने लगे। लेकिन बैल रूपी शिव उनके पैरों के नीचे से गुजरने के लिए तैयार नहीं हुए, पांडव समझ चुके थे कि ये भगवान शिव ही हैं। इसलिए भीम ने बैल रूपी शिवजी को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन बैल भूमि में अदृश्य होने लगा, भीम ने अपने बल का पूरा प्रयोग किया और बैल के ऊपरी भाग को पकड़ लिया और उसे जमीन में नहीं धंसने दिया। पांडवों की इस भक्ति को देखकर महादेव बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भ्रातृहत्या के पाप से पांडवों को मुक्त कर दिया। ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर के जिस भाग को भीम ने पकड़ा था वही आज केदारनाथ में पिंड रूप में स्थापित है और उसी की पूजा अर्चना आज भक्तों के द्वारा की जाती है। 



(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)



ये भी पढ़ें-





Chaitra Navratri 2024 नवरात्रि के दिन कलश को स्थापित करने से पहले जान लें इसका महत्व और स्थापना विधि



Sun In Astrology कुंडली के इन 4 भावों में हो सूर्य तो राजा की तरह जियेंगे जीवन, देखें आपके किस भाव में है सूर्य


http://dlvr.it/T4hSWv

Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

0 Comments: