पैगंबर विवादः नूपुर शर्मा मामले से पल्ला झाड़ बोले शाही इमाम- जामा मस्जिद के बाहर नहीं दी गई थी प्रदर्शन की इजाजत, अगर कोई पत्थर फेंक देता तो…
दिल्ली की जामा मस्जिद के बाहर जुमे की नमाज के बाद लोगों ने नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन किया। लेकिन जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी का कहना है कि मस्जिद की तरफ से इस तरफ के विरोध प्रदर्शन का आह्वान नहीं किया गया था। शाही इमाम अहमद बुखारी ने कहा कि मस्जिद कमेटी की ओर से विरोध का कोई आह्वान नहीं किया गया था। वो नहीं जानते कि विरोध करने वाले कौन थे।
पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादास्पद टिप्पणी के मामले में निलंबित बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर यहां जुमे की नमाज के बाद लोगों ने जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया था। जामा मस्जिद परिसर में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए जिनमें से कुछ ने तख्तियां ले रखी थीं। जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन करने वालों ने नारेबाजी की थी।
इंडियन एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में बुखारी ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद हमारे लिए बहुत अहम हैं। हम उनके लिए अपनी जान भी दे सकते हैं। लेकिन हमाका धर्म हमें इजाजत नहीं देता कि मासूम लोगों की जान दांव पर लगाई जाए। प्रदर्शन की इजाजत उनकी तरफ से नहीं दीगई थी। कोई उनका नेतृत्व भी नहीं कर रहा था। उनका सवाल था कि भीड़ से कोई पत्थर चल जाता और रांची की तरह से कोई मारा जाता तो वो मरने वाले निर्दोष बच्चे की मां को कैसे सांत्वना देते।
हालांकि ये पहली बार है कि जब शाही इमाम ने पैगंबर पर चल रहे विवाद और उसके इर्द गिर्द हो रही राजनीति से खुद को दूर कर लिया है। लेकिन पहले के वाकये देखे जाए तो बुखारी खुद आगे बढ़कर राजनीति में दख देते रहे हैं। 2014 चुनाव से पहले सोनिया गांधी ने उन्हें बुलाया तो बीजेपी ने तीखे आरोप जड़े। 2015 के चुनाव में जब शाही इमाम ने अरविंद केजरीवाल के समर्थन में फतवा जारी किया तो उन्होंने ये कहते हुए इसे नकार दिया कि वो जाति व सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ हैं।
जब शरीफ को बुलाया पर मोदी को नहीं
इमाम बुखारी ने अपने छोटे बेटे सय्यद शाबान बुखारी (19) को उत्तराधिकारी चुना था तो उस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कई मेहमानों को न्योता दिया गया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी न्योता दिया गया था। लेकिन कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों की लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं था। ताजपोशी के कार्यक्रम में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत चार अन्य नेताओं को आमंत्रित किया गया था। तब उन्होंने कहा था कि देश का मुसलमान अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ नहीं पाया है।
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