MBBS in Hindi: डॉक्‍टर बोले- पाठ्यक्रम की भाषा बदलना गैरजरूरी और नुकसानदायक

May 21, 2022 0 Comments

मध्य प्रदेश सरकार हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी में थी। शिवराज सरकार का दावा था कि हिंदी माध्यम में एमबीबीएस कोर्स ऑफर करने वाला पहला राज्य होगा। सरकार ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में अगले सत्र से हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए थे। एमबीबीएस हिंदी पाठ्यक्रम की कार्य योजना तैयार करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया। लेकिन NMC (नेशनल मेडिकल कमीशन) ने उसकी योजना पर ये कहकर पानी फेर दिया कि अंग्रेजी के सिवाय किसी और भाषा में मेडिकल कोर्स की पढ़ाई उसे स्वीकार नहीं है। वो शिवराज सरकार के प्रपोजल को खारिज करता है।

लेकिन अब फिर से ये बहस तब शुरू हो गई जब उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि उनकी सरकार जल्दी ही एमबीबीएस कोर्सेज को हिंदी में लॉन्च करने जा रही है। उनका दावा है कि इससे उन छात्रों को मदद मिलेगी जो हिंदी बैक ग्राउंड से आते हैं। उन्हें पढ़ाई करने में खासी सहूलियत मिलेगी। हालांकि चिकित्सक इसे गैर जरूरी मानते हैं। उनका कहना है कि मेडिकल कोर्सेज की भाषा बदलना सही कदम नहीं होगा।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉक्टर अरुण गुप्ता का कहना है कि एमबीबीएस की वोकेबलरी पूरी तरह से अंग्रेजी पर निर्भर है। आयुर्वेद भारतीय शब्दावली के अनुरूप है। पेशे से बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता का कहना है कि मॉडर्न मेडिकल एजुकेशन की तकरीबन सारी किताबें अंग्रेजी में लिखी गई हैं। पढ़ाई का माध्यम बदला जा सकता है। लेकिन एकेडमिक वोकेबलरी को बदलना नामुनमिक है। इसके अलावा जो रिसर्च पेपर और जर्नल लिखे गए हैं वो सारे अंग्रेजी में हैं।

AIIMS ऋषिकेश के प्रो. डॉ. अमित गुप्ता भी मानते हैं कि लेक्चररर्स को भी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कराने में परेशानी होगी। जब वो छात्र थे तो अंग्रेजी में ही पढ़ाई की। पूरे देश में कोई ऐसा कॉलेज नहीं है जो एमबीबीएस, बीडीएस, एमडी की पढ़ाई हिंदी या किसी दूसरी भाषा में करा रहा हो। सवाल है कि कोर्सेज को हिंदी में ट्रांसलेट कर भी दिया जाता है तो इसके लिए शिक्षकों को कैसे फिर से प्रशिक्षित किया जाएगा।

अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आलोक मुखर्जी का कहना है कि हिंदी में पढ़ाई करने वाले छात्रों को कोर्स के बाद भारी दिक्कत पेश आएगी। हिंदी को दूसरी भाषा के तौर पर शामिल किया जा सकता है लेकिन पूरे कोर्स को हिंदी में करना नासमझी भरा कदम होगा। बरेली के राजश्री अस्पताल के जूनियर रेजीडेंट डॉ. मोहित सिंह का कहना है कि मौजूदा समय में ये कदम ठीक नहीं कहा जा सकता। परिजात मिश्रा का कहना है कि अगर दो डॉक्टर जो तेलगु और तमिल में कोर्स करके आते हैं। उनके स्टाफ में नार्थ ईस्ट के लोग शामिल हैं और मरीज कर्नाटक से है तो वो आपस में कैसे बात करेंगे?

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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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