समय आ गया है कि शरिया रूपी कैंसर का इलाज किया जाए- शोएब जमई का ट्वीट दिखा बोले गौरव भाटिया, वकील भी भड़के
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर हो रहे हंगामे के बीच भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मांग की है कि शरिया रूपी कैंसर का इलाज किया जाए। उन्होंने इस्लामिक स्कॉलर शोएब जमई का एक ट्वीट दिखाते हुए ये बात कही है।
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे फिलहाल रोक दिया गया है। तीन दिन तक चलने वाले इस सर्वे की सिर्फ एक ही दिन की प्रक्रिया हो सकी, भारी हंगामे के कारण इसे रोक दिया गया। इस मुद्दे पर टीवी चैनल आज तक पर चल रही एक डिबेटे के दौरान गौरव भाटिया ने शोएब जमई के एक ट्वीट का जिक्र करते हुए कहा कि शरिया रूपी कैंसर का इलाज किया जाना चाहिए।
गौरव भाटिया ने शोएब जमई पर निशाना साधते हुए कहा कि कई बार जो खुद को स्कॉलर बताते हैं वो असल में होते नहीं हैं, वे कुछ और ही काम करते हैं। सबसे पहले उन्हीं को एक्सपोज करते हैं। उन्होंने जमई के ट्वीट का जिक्र किया, जिसमें शोएब जमई ने लिखा है, “हागिया सोफिया भूल गए, घबराता क्यों है तू जालिम, अभी तो इश्क की शुरुआत हुई है। देखते हैं तुम मुझे कितना आजमाते हो, बाबरी मस्जिद। “
इस ट्वीट को लेकर गौरव भाटिया ने कहा, “ये लोग ना संविधान को मानते हैं और ना ही न्यायालय के आदेश को मानते हैं ये सिर्फ शरिया को मानते हैं। अब समय आ गया है कि संविधान शरिया पर भारी पड़े और जो शरिया का कैंसर है उसका इलाज किया जाए, क्योंकि हम लोगों ने अपने आपको संविधान दिया था। “
उन्होंने आगे कहा, “आप बताइए एक न्यायालय का फैसला आता है और उस फैसले को ये उच्च न्यायालय में चुनौती देते हैं। उच्च न्यायालय इनकी याचिका को निरस्त कर देता है। तो इनकी जिम्मेदारी नहीं है कि ये उस फैसले का पालन करें, बल्कि अंजुमन इंतेजामिया कमिटि क्या कहती है? हम घूसने नहीं देंगे टीम को यानी भीड़ तंत्र से डराएंगे। वे भूल गए हैं कानून और वर्दी की ताकत क्या है और 135 करोड़ की आबादी क्या है? दूसरा ऐसी अभद्र टिप्पणी कोर्ट के लिए करना कि अगर कोर्ट कहेगा गला काट दो, तो क्या गला काट देंगे। आप बताइए कोर्ट गला काटता है। गला तो वो काटते हैं जो खुद को इस्लामिक स्कॉलर बताते हैं और दंगों में सबसे अग्रणी भूमिका निभाते हैं।”
वहीं, जमई ने कहा कि सर्वे टीम को मस्जिद के अंदर जाने की इजाजत नहीं थी। इस पर वकील विष्णु जैन भड़क गए उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार, मस्जिद के अंदर जाने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि अगर मस्जिद के अंदर जाने की इजाजत नहीं थी तो अंजुमन इंतेजामिया उसका विरोध करने हाई कोर्ट क्यों गया?
उन्होंने आगे कहा कि जब टीम गेट नंबर चार से अंदर गई और मस्जिद परिसर का सर्वे किया गया और बैरिकेडिंग के अंदर जाने का ऑर्डर होते हुए भी भारी संख्या में मौजूद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने टीम का विरोध किया।
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