चुनाव बाद हुई हिंसा के 1 साल पूरा होने पर बीजेपी ने लगाए कोलकाता में पोस्टर, कहा- नहीं मानेंगे हार, यूजर्स ने कही ये बात https://ift.tt/3a9QmRN

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को एक साल पूरे हो गये हैं। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी द्वारा कोलकाता में कई पोस्टर लगाए गये। जिसमें लिखा गया है, “जब तक न्याय नहीं मिलता, बीजेपी की लड़ाई जारी रहेगी।” बता दें कि इस तरह के पोस्टर कोलकाता के धर्मतला शहर में कई जगह लगाए गये हैं।

पोस्टर के जरिए भाजपा ने संदेश दिया है कि बंगाल को भयमुक्त होने तक हार नहीं मानेंगे। पोस्टर में लिखा गया है, ‘बीजेपी तब तक लड़ेगी जब तक हिंसा मुक्त राजनीति और भय मुक्त बंगाल नहीं हो जाता। दरअसल पिछले साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की। नतीजों के आने के बाद से ही राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क उठी थी।

ऐसे में भाजपा की तरफ से दावा किया गया है कि पिछले साल नतीजों के बाद टीएमसी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले शुरू किए थे। बीजेपी का आरोप है कि इस चुनावी हिंसा में पार्टी के कई कार्यकर्ताओं की जान गई और महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं भी हुई थीं। वहीं अब भाजपा ने बंगाल को भयमुक्त होने तक लड़ाई की बात कही है।

कोलकता के धर्मतला में लगाए गए इन पोस्टरों को लेकर सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। सुरभि गुप्ता(@surbhig186) नाम की एक यूजर ने लिखा, “बीजेपी नहीं लड़ेगी, सिर्फ उसके अनपढ़ कार्यकर्ता लड़ेंगे और ममता के गुंडों से खुद मार खाएंगे, बीजेपी सिर्फ राजनीति करेगी।”

यूजर जितेंद्र पासवान(@JitendraPas1) ने लिखा कि, इस तरह को पोस्टर वॉर मैंने 2007 और 2008 में देखा था। जब नंदीग्राम की घटना हुई थी। उसके बाद 2011 में ममता बनर्जी सत्ता में आई। मुझे लगता है कि बंगाल में इतिहास फिर से खुद को दोहराने जा रहा है। आप समझ रहे हैं कि मेरा क्या मतलब है।” एक यूजर हुसैन हबीब(@hushab72) ने लिखा, अगर बीजेपी बंगाल से दूर रहती है तो बंगाल बहुत सुरक्षित रहेगा।

वहीं भाजपा की तरफ से लगाए गये इन पोस्टरों को सत्ताधारी टीएमसी ने राजनीतिक रणनीति बताया है। टीएमसी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि बीजेपी ने भ्रम पैदा करने के लिए इस तरह के पोस्टर लगाए गए हैं।

बता दें कि पिछले साल 2 मई को बंगाल विधान सभा के चुनाव परिणाम आए थे। इस दौरान जमकर चुनावी हिंसा हुई थी। जिसका मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी गया। हालांकि इस हिंसा की जांच सीबीआई कर रही है।



Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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