विवाद की जड़ में अंग्रेज, हिंसा के पीछे बांग्लादेशी घुसपैठिए? असम-मिजोरम के बीच झड़प के बारे में जानें सब कुछ

July 27, 2021 0 Comments

असम, मिजोरम, सीमा विवाद, हिंसा

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बयान दिया कि मिजोरम के साथ उनके राज्य के चल रहे सीमा विवाद में असम के 6 पुलिसकर्मी बलिदान हो गए हैं। ये कई लोगों के लिए आश्चर्य भरा था, क्योंकि इस तरह से भारत के दो राज्यों की लड़ाई की खबर शायद ही पहले कभी आई हो। संवेदनशील उत्तर-पूर्व में ये सब तब हो रहा है, जब दोनों राज्यों में राजग की सरकार है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हाल ही में उत्तर-पूर्व के दौरे से लौटे हैं।

असम और मिजोरम के बीच संघर्ष व हिंसा

इससे पहले अक्टूबर 2020 में भी मिजोरम और असम के लोगों के बीच संघर्ष की घटनाएँ सामने आई थीं। उस दौरान भी 8 लोग घायल हो गए थे और कई घरों, झोंपड़ियों व दुकानों को जला डाला गया था। असल में असम से ही कभी मिजोरम अलग हुआ था। तभी से दोनों राज्यों के बीच सीमा-विवाद चल रहा है। आइए, इस विवाद को समझते हैं। असम के कछार जिले में स्थित है लैलापुर गाँव। इसी से सटा हुआ है कि मिजोरम के कोलासिब जिले का वैरेंगते गाँव।

अक्टूबर में इन्हीं दोनों गाँवों के लोग आपस में भिड़ गए थे। इसके अलावा असम का करीमगंज और मिजोरम का ममित जिले भी आपस में सटा हुआ है। इस घटना से कुछ दिन पहले इन दोनों जिलों के लोगों के बीच भी झड़प व हिंसा हुई थी। 9 अक्टूबर को एक मिजोरम के किसान की सुपारी की खेती और झोंपड़ी जला दी गई थी। वहीं कछार जिले के लोगों ने मिजोरम के पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की थी।

कोलासिब पुलिस का कहना था कि इस घटना के विरोध में मिजोरम के लोग आक्रोशित हो गए और उन्होंने असम के इन लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया। अब समझते हैं कि इस हिंसा का कारण क्या था? असम और मिजोरम की सरकारों के बीच कुछ वर्षों पहले एक करार हुआ था। इसमें इस पर सहमति बनी थी कि मिजोरम और असम के बीच की भूमि पर यथास्थिति बनाई रखी जाए। लैलापुर के लोगों पर आरोप है कि उन्होंने इस यथास्थिति का उल्लंघन करते हुए ‘नो मेंस लैंड’ में कुछ निर्माण कार्य कर लिए।

उन्होंने कुछ झोंपड़ियों का निर्माण कर दिया। हालाँकि, वो अस्थायी ही थे। इससे मिजोरम के लोग आक्रोशित हो गए और उन्होंने वहाँ जाकर आगजनी शुरू कर दी। वहीं इस बारे में असम का कुछ और ही दावा है। कछार प्रशासन ने कहा था कि ये भूमि असम की है। इसके लिए स्टेट रिकॉर्ड्स का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन, मिजोरम का कहना है कि असम जिस भूमि पर दावा कर रहा है, वहाँ वर्षों से मिजोरम के लोग खेती करते आ रहे हैं।

सीमा-विवाद के पीछे बांग्लादेश के घुसपैठिए?

करीमगंज प्रशासन भी मानता है कि उस भूमि पर इतिहास में मिजोरम के लोग खेती करते आ रहे थे, लेकिन साथ ही उसका ये भी कहना है कि कागज़ पर ये सिंगला फॉरेस्ट रिजर्व का हिस्सा है, जो करीमगंज जिले का हिस्सा है। असम की बराक घाटी की सीमा मिजोरम से लगती है। इन दोनों ही राज्यों की सीमाएँ बांग्लादेश से लगती हैं। मिजोरम की सिविल सोसाइटी के लोग इस विवाद के लिए बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों को जिम्मेदार ठहराते हैं।

उनका कहना है कि असम में बसे बांग्लादेश के घुसपैठिए ही सारी समस्या की जड़ हैं। उनका कहना है कि ये घुसपैठिए उनके क्षेत्र में घुस कर उनकी झोंपड़ियों को तोड़ डालते हैं, खेती बर्बाद कर देते हैं और उन्होंने ही पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की थी। मिजोरम के छात्र संघ ‘मिज़ो जीरलाई पॉल’ का यही मानना है। ये भी ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर-पूर्व में सभी राज्यों की सीमाएँ जटिल हैं।

अंग्रेजों के काल तक जाती है असम-मिजोरम सीमा विवाद की जड़ें

हालाँकि, असम और नागालैंड के बीच भी सीमा-विवाद चल रहा है और वहाँ इस तरह की घटनाएँ मिजोरम की सीमा से ज्यादा ही होती रही है। असम और मिजोरम के बीच 165 किलोमीटर की सीमा है। इस विवाद की जड़ें अंग्रेजों के काल में हैं। उस समय मिजोरम को लुशाई की पहाड़ियों के नाम से जाना जाता था, जो असम का ही एक जिला हुआ करता था। 1875 में एक अधिसूचना जारी कर के इसे कछार के मैदानों से अलग हिस्सा घोषित किया गया।

इसके बाद 1933 में एक और अधिसूचना जारी हुई, जिसमें लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा का बँटवारा किया गया। मिजोरम का कहना है कि 1875 के आदेश के हिसाब से सीमा विवाद सुलझाया जाना चाहिए, जबकि जो 1873 के ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (BEFR)’ से निकल कर सामने आया था। मिजोरम का कहना है कि 1933 में उससे कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया था, इसीलिए वो आदेश सही नहीं था।

मिजोरम का कहना है कि असम सरकार 1933 के बँटवारे के आदेश के हिसाब से चल रही है और यही सारे विवाद की जड़ है। जुलाई 2021 और अक्टूबर 2020 से पहले गरवारी 2018 में भी इसी तरह की हिंसा देखने को मिली थी। तब असम के पुलिस व फॉरेस्ट अधिकारियों पर मिजोरम द्वारा खेती के लिए बनाई गई एक संरचना को ध्वस्त करने के आरोप लगे थे। उस समय मिजोरम के एक पत्रकार की पिटाई हुई थी और असम पुलिस पर हमला हुआ था।



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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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