‘आरोग्यम् परमम् भाग्यम्’: PM मोदी ने कोरोना महामारी में योग का महत्व समझाया, संत तिरुवल्लुवर और गीता को किया उद्धृत

June 21, 2021 0 Comments

नरेंद्र मोदी, योग दिवस

--- ‘आरोग्यम् परमम् भाग्यम्’: PM मोदी ने कोरोना महामारी में योग का महत्व समझाया, संत तिरुवल्लुवर और गीता को किया उद्धृत लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (जून 21, 2021) को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के अवसर पर सम्बोधन दिया। सातवें योग दिवस के अवसर पर सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है तो योग उम्मीद की एक किरण भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जब कोरोना के अदृश्य वायरस ने दुनिया में दस्तक दी थी, तब कोई भी देश, साधनों से, सामर्थ्य से और मानसिक अवस्था से, इसके लिए तैयार नहीं था।

बकौल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हम सभी ने देखा है कि ऐसे कठिन समय में, योग आत्मबल का एक बड़ा माध्यम बना। योग ने लोगों को भरोसा जताया कि हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं। महान तमिल संत तिरुवल्लुवर के उद्धरण को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर कोई बीमारी है तो उसकी जड़ तक जाओ, बीमारी की वजह क्या है वो पता करो, फिर उसका इलाज शुरू करो। योग यही रास्ता दिखाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फिजिकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना जोर दिया गया है। जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था, तो उसके पीछे यही भावना थी कि ये योग विज्ञान पूरे विश्व के लिए सुलभ हो। आज इस दिशा में भारत ने UN, WHO के साथ मिलकर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सबको साथ लेकर चलने वाली मानवता की इस योग यात्रा को हमें ऐसे ही अनवरत आगे बढ़ना है। कोई भी स्थान हो, कोई भी परिस्थिति हो, कोई भी आयु हो, हर एक के लिए योग के पास कोई न कोई समाधान जरूर है। उन्होंने याद दिलाया कि हमारे ऋषियों-मुनियों ने योग के लिए “समत्वम् योग उच्यते” ये परिभाषा दी थी। उन्होंने सुख-दुःख में समान रहने, संयम को एक तरह से योग का पैरामीटर बनाया था।

7वें ‘योग दिवस’ के अवसर पर पीएम मोदी का सम्बोधन

पीएम मोदी ने कहा कि आज इस वैश्विक त्रासदी में योग ने इसे साबित करके दिखाया है। कोरोना के इन डेढ़ वर्षों में भारत समेत कितने ही देशों ने बड़े संकट का सामना किया है। प्रधानमंत्री ने ध्यान दिलाया कि दुनिया के अधिकांश देशों के लिए योग दिवस कोई उनका सदियों पुराना सांस्कृतिक पर्व नहीं है। इस मुश्किल समय में, इतनी परेशानी में लोग इसे आसानी से भूल सकते थे, इसकी उपेक्षा कर सकते थे। लेकिन इसके विपरीत, लोगों में योग का उत्साह और बढ़ा है, योग से प्रेम बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ सालों में दुनिया के कोने कोने में लाखों नए योग साधक बने हैं। योग का जो पहला पर्याय, संयम और अनुशासन को कहा गया है, सब उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज अस्पतालों से ऐसी कितनी ही तस्वीरें आती हैं जहां डॉक्टर्स, नर्सेस, मरीजों को योग सिखा रहे हैं, तो कहीं मरीज अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने पुरातन श्लोक को दोहराया:

व्यायामात् लभते स्वास्थ्यम्,
दीर्घ आयुष्यम् बलम् सुखम्।
आरोग्यम् परमम् भाग्यम्,
स्वास्थ्यम् सर्वार्थ साधनम्॥

इसका अर्थ समझाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। उन्होंने गीता के श्लोक ‘तं विद्याद् दुःख संयोग- वियोगं योग संज्ञितम्।’ का अर्थ समझाते हुए कहा कि दुखों से वियोग को, मुक्ति को ही योग कहते हैं। उन्होंने के मूलभूत तत्वज्ञान और सिद्धांत को बरकरार रखते हुए इसे जन-जन तक पहुँचाने की बात कही।



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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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