विष्णुपद मंदिर: जहाँ हैं भगवान के पदचिह्नों वाली धर्मशिला, जाने क्यों गया में पिंडदान से पितरों को मिलती है मुक्ति

June 29, 2021 0 Comments

गया, विष्णुपद मंदिर

--- विष्णुपद मंदिर: जहाँ हैं भगवान के पदचिह्नों वाली धर्मशिला, जाने क्यों गया में पिंडदान से पितरों को मिलती है मुक्ति लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी पर तीन ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें पिंडदान के लिए सबसे उत्तम माना गया है। ये हैं: बद्रीनाथ का ब्रह्मकपाल क्षेत्र, हरिद्वार का नारायणी शिला क्षेत्र और बिहार का गया क्षेत्र। तीनों स्थान ही पितरों की मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण स्थान हैं। लेकिन इनमें गया क्षेत्र का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ स्थित हैं कुछ ऐसे दिव्य स्थान जहाँ पिंडदान करने से पूर्वजों को साक्षात भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें मुक्ति मिलती है। इसी गया क्षेत्र में स्थित है अतिप्राचीन विष्णुपद मंदिर जो सनातन के अनुयायियों में सबसे पवित्र माना गया है। इस मंदिर में स्थित हैं भगवान विष्णु के चरणचिह्न जिनके स्पर्श मात्र से ही मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है।

सतयुग काल से ही अंकित हैं पदचिह्न

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित जिस शिला (पत्थर) पर भगवान शिव के पदचिह्न अंकित हैं, उसे धर्मशिला कहा जाता है। गया महात्म्य के अनुसार इसे स्वर्ग से लाया गया था। पुराणों के अनुसार गयासुर नामक एक असुर ने तपस्या कर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त किया। लेकिन इसका दुरुपयोग करते हुए उसने देवताओं को ही तंग करना शुरू कर दिया। इससे त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने अपनी गदा से गयासुर का वध कर दिया।

बाद में भगवान विष्णु ने गयासुर के सिर पर एक पत्थर रखकर उसे अपने पैरों से दबा दिया। यह पत्थर वही धर्मशिला थी जिसे स्वर्ग से लाया गया था। पैरों से इस पत्थर को दबाने के कारण उस पर भगवान विष्णु के चरण के निशान अंकित हो गए और गयासुर को मोक्ष की प्राप्ति हुई। गयासुर ने भी भगवान से यह वरदान माँगा कि जितनी भूमि पर गयासुर का शरीर है वह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाए और यहाँ पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो। तब से ही गया क्षेत्र पितरों की मुक्ति के लिए पवित्रतम पिंडदान क्षेत्र माना जाने लगा।

मंदिर इसलिए भी विशेष हो जाता है क्योंकि यहाँ भगवान श्री राम और माता सीता भी यहाँ आए थे। यह वही स्थान है, जहाँ माता सीता ने महाराज दशरथ को पवित्र फल्गु नदी के किनारे बालू से बना पिंड अर्पित किया था। इसके बाद से इस स्थान पर बालू के पिंडदान की प्रथा है।

18वीं शताब्दी में हुआ था जीर्णोद्धार

हालाँकि मंदिर में कई युगों से भगवान विष्णु के चरणचिह्न अंकित हैं और पौराणिक काल से ही यहाँ तर्पण एवं पिंडदान का कार्य होता आ रहा है। लेकिन मंदिर का वर्तमान स्वरूप इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा दिया गया है। इस मंदिर का निर्माण जयपुर के कारीगरों ने काले ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर किया है। मंदिर के गुंबद की जमीन से ऊँचाई लगभग 100 फुट है। इसके अलावा मंदिर का प्रवेश और निकास द्वार भी चाँदी का ही है।

विष्णुपद मंदिर के शिखर पर 50 किलोग्राम सोने का कलश स्थापित किया गया है। इसके अलावा मंदिर में 50 किग्रा सोने से बनी ध्वजा भी स्थापित है। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह में 50 किग्रा चाँदी का छत्र और 50 किग्रा चाँदी का अष्टपहल है।   

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान विष्णु के चरणचिह्नों में गदा, शंख और चक्र अंकित है। प्रतिदिन इन पदचिह्नों का श्रृंगार रक्त चंदन से किया जाता है। गया क्षेत्र में स्थित 54 वेदियों में से 19 वेदियाँ विष्णुपद मंदिर में ही स्थित हैं जहाँ पूर्वजों की मुक्ति के लिए पिंडदान किया जाता है। इन 19 वेदियों में से 16 वेदियाँ अलग हैं और तीन वेदियाँ रुद्रपद, ब्रह्मपद और विष्णुपद हैं जहाँ खीर से पिंडदान का विधान है।

कैसे पहुँचे?

गया में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा स्थित है। चूँकि गया एक बौद्ध क्षेत्र भी है इसलिए यहाँ श्रीलंका, थाईलैंड, सिंगापुर और भूटान जैसे देशों से भी फ्लाइट आती रहती हैं। इसके अलावा बिहार का दूसरा सबसे व्यस्त हवाईअड्डा गया, दिल्ली, वाराणसी और कोलकाता जैसे शहरों से भी जुड़ा हुआ है। गया जंक्शन दिल्ली और हावड़ा रेललाइन पर स्थित है। यहाँ से कई बड़े शहरों के लिए ट्रेनें चलती हैं। यहाँ तक कि बिहार और झारखंड में गया ही एकमात्र उन 66 रेलवे स्टेशनों में शामिल है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाए जाने की योजना है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी गया, बिहार और देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। कोलकाता से दिल्ली तक जाने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड गया से 30 किमी दूर स्थित दोभी से गुजरती है। गया से पटना 105 किमी, वाराणसी 252 किमी और कोलकाता 495 किमी की दूरी पर स्थित है।



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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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