तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर: नींव नहीं फिर भी सब कुछ भव्य-विशाल, 200 फुट की ऊँचाई और 81000 किलो का पत्थर

May 24, 2021 0 Comments

तमिलनाडु का बृहदीश्वर मंदिर

--- तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर: नींव नहीं फिर भी सब कुछ भव्य-विशाल, 200 फुट की ऊँचाई और 81000 किलो का पत्थर लेख आप ऑपइंडिया वेबसाइट पे पढ़ सकते हैं ---

तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदीश्वर/बृहदेश्वर मंदिर अपने आप में एक अद्भुत और रहस्यमयी संरचना है। चोल साम्राज्य के ‘द ग्रेट लिविंग टेंपल्स’ में से एक भगवान शिव को समर्पित बृहदीश्वर मंदिर को महान चोल शासक राजराज चोल प्रथम ने बनवाया था। इसे पेरिया कोविल, राजराजेश्वर मंदिर या राजराजेश्वरम के नाम से भी जाना जाता है। द्रविड़ वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है बृहदीश्वर मंदिर जो कि भारत के कुछ विशाल मंदिरों में से एक है।

बृहदीश्वर मंदिर की पेंटिंग (फोटो : ब्रिटिश लाइब्रेरी)

कांचीपुरम स्थित पल्लव राजसिम्हा मंदिर को देखकर राजराज चोल के मन में भगवान शिव के लिए एक विशालकाय मंदिर के निर्माण की इच्छा जागृत हुई। इसके बाद सम्राट ने सन् 1002 में इस मंदिर की नींव रखी गई। आश्चर्य की बात है कि आज से हजारों साल पहले इतना विशाल मंदिर मात्र 5-6 सालों में बनकर तैयार हो गया था। मंदिर में उत्कीर्णित लेखों से यह प्रमाण मिलता है कि राजराज चोल ने अपने जीवन के 19वें साल (सन् 1004) में इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया और सम्राट के 25वें साल (सन् 1010) के 275वें दिन इस मंदिर का निर्माण समाप्त हुआ। 

बृहदीश्वर मंदिर की वास्तुकला और ज्यामिति

वैसे तो भारत के सभी मंदिरों की वास्तुकला अपने आप में सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन बृहदीश्वर मंदिर की वास्तुकला न केवल विज्ञान और ज्यामिति के नियमों का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, बल्कि इसकी संरचना कई रहस्य भी उत्पन्न करती है। मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुशैली के आधार पर हुआ है।

बृहदीश्वर मंदिर की वास्तुकला (फोटो : BYJU’s)

इस मंदिर के निर्माण में ‘ग्रेनाइट’ के चौकोर पत्थर के ब्लॉक्स को (आकार में घटते क्रम में) एक-दूसरे के ऊपर इस प्रकार जमाया गया कि वो आपस में फँसे रहें। इसे साधारण भाषा में ‘पजल टेक्निक (Puzzle Technique) कहा गया। मंदिर का मुख्य भाग (जो श्रीविमान कहलाता है) लगभग 216 फुट (66 मीटर) ऊँचा है। इसका मतलब हुआ कि पत्थर के ब्लॉक 216 फुट तक जमाए गए। ध्यान रखें कि यह सभी पत्थर मात्र एक-दूसरे के ऊपर रखे गए हैं न कि इन्हें किसी सीमेंट जैसे पदार्थ से (जैसा कि आजकल होता है) आपस में जोड़ा गया है। बृहदीश्वर मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसे बिना नींव के बनाया गया है।

फोटो साभार : हिस्ट्री टीवी

बृहदीश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है जो 8.7 मीटर ऊँचा है। इसके अलावा मंदिर में गणेश, सूर्य, दुर्गा, हरिहर, भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। 

फोटो साभार : thanjavur.info

मंदिर में श्रीविमान के अलावा अर्धमंडप, मुखमंडप, महामंडप और नंदीमंडप है। मंदिर परिसर में दो गोपुरम भी हैं। नंदीमंडप में भगवान शिव की सवारी नंदी की प्रतिमा है। इस प्रतिमा की खास बात यह है इसे भी एक ही पत्थर से बनाया गया है और यह लगभग 25 टन वजनी है।

फोटो साभार : thrillingtravel.in

मंदिर से जुड़ी रोचक बातें

इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं। पहली बात तो यह है कि मंदिर के 50 किमी के दायरे में भी ग्रेनाइट उपलब्ध नहीं है तो इतनी मात्रा में ग्रेनाइट जहाँ से भी लाया गया होगा, निश्चित रूप से उस प्रक्रिया में खर्च हुई मेहनत और लागत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

बृहदीश्वर मंदिर के श्रीविमान के ऊपर स्थित ‘कुंभम्’ किसी आश्चर्य से कम नहीं है। आश्चर्य इसलिए कि कुंभम् भी एक ही पत्थर से निर्मित है और उसका वजन है 81 टन अर्थात 81,000 किग्रा। अंदाजा लगाइए कि इतना वजनी पत्थर लगभग 200 फुट की ऊँचाई तक पहुँचा कैसे?

फोटो साभार : तमिलनाडु पर्यटन (सोशल मीडिया)

इसके लिए भी एक 6 किमी लंबा ‘रैम्प’ (जैसा कि नीचे फोटो में दिखाया गया है) बनाया गया था जिसकी सहायता से हजारों हाथी और घोड़ों ने कुंभम् को श्रीविमान के ऊपर स्थापित किया था। इस कुंभम् के ऊपर भी एक स्वर्ण कलश स्थापित किया गया है।

फोटो साभार : हिस्ट्री टीवी

कैसे पहुँचे?

तंजावुर स्थित बृहदीश्वर मंदिर तक पहुँचना बड़ा ही आसान है। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली है, जो मंदिर से लगभग 60 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा ट्रेन से पहुँचना सबसे आसान है, क्योंकि तंजावुर रेलवे स्टेशन से बृहदीश्वर मंदिर की दूरी मात्र 1.9 किमी है। तंजावुर में दो बस स्टैन्ड हैं- एक पुराना और एक नया। पुराने बस स्टैन्ड से मंदिर की दूरी 1 किमी है और नए बस स्टैन्ड से लगभग 5 किमी। त्रिची के सेंट्रल बस स्टैन्ड से भी बृहदीश्वर मंदिर जा सकते हैं, जिसकी दूरी मंदिर से लगभग 60 किमी है।



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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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