किसान आंदोलनः महिला दिवस पर गाजीपुर बॉर्डर पहुंची महिलाओं ने इंकलाबी मेहंदी लगाकर दिखाई ताकत 

March 08, 2021 0 Comments

डिजिटल डेस्क (भोपाल)।  कृषि कानूनों के खिलाफ गाज़ीपुर बॉर्डर पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होने गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंची महिलाएं एक-दूसरे को मेहंदी लगाकर आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता दिखा रही हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने इस मेहंदी को इंकलाबी मेहंदी नाम दिया है। उल्लेखनीय है कि तीन नए खेती कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से ही राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन को 100 दिन से अधिक हो चुके हैं। 

अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन की कमान संभालने के लिए महिलाएं टीकरी बॉर्डर पहुंची हैं। पटियाला से आईं एक प्रदर्शनकारी महिला ने बताया, "सरकार कानून रद्द करे। हम अपने छोटे-छोटे बच्चे छोड़ कर आए हैं।

इससे पहले कृषि कानूनों के खिलाफ यहां प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रविवार को केरल दिवस मनाया। केरल से आए संयुक्त किसान जत्थों ने आंदोलनरत किसानों को अपना समर्थन दिया। आंदोलन स्थल पर केरल से आए किसानों ने परंपरागत रूप चंडा बजाते हुए मार्च निकाला। इस दौरान आंदोलन स्थल का नजारा कुछ अलग ही मिजाज का नजर आया। चंडे की थाप पर उत्तर भारतीय किसान भी झूमते नजर आए। किसानों ने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर ने आज मिनी भारत की शक्ल ले ली है। यहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने चंडा बजाकर केरल दिवस की शुरुआत की।

केरल से आए राष्ट्रीय किसान समन्वयक विंसेंट फिलिप ने कहा, केरल के संयुक्त किसानों को हमारे उत्पादों के मूल्य निर्धारण के बारे में हमारे मुद्दों को सामने लाने का एक बड़ा अवसर मिला है। दिल्ली-मलियाली संघ की ओर से आंदोलन स्थल पर पहुंचीं डॉ. रमा ने विस्तार से तीन नए कृषि कानूनों की चर्चा की और सरकार के उस सवाल का जबाव देने का प्रयास किया, जिसमें कहा जा रहा है कि इन कानूनों में काला क्या है?

डॉ. रमा ने मंच से अपने संबोधन में कहा, जमाखोरी होते ही प्याज इस देश में सौ रुपये के भाव बिक जाती है। एक अर्से पहले सरकार ने यह समझ लिया था कि जमाखोरी के खिलाफ कानूनन जरूरी है। इसीलिए उस समय आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था।

उन्होंने कहा, नए कानून लागू होने के बाद देश में जिसके पास पैसा हो, वह कितना भी अनाज, दाल या तिलहन, मायने कुछ भी, खरीदकर अपने गोदाम में जमा कर सकेगा। यानी जमाखोरी को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। ऐसे कानून बनाने वाली मोदी सरकार पूछती है कि इसमें काला क्या है?



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FarmersProtests on women's day: update news in hindi
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from दैनिक भास्कर हिंदी

Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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