Explainer: क़तर-सऊदी अरब की खत्म हुई 3 साल पुरानी अदावत, जानें प्रति व्यक्ति आय में नंबर वन देश के साथ रिश्ते बहाली की पूरी कहानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार पड़ोसी देश है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और कतर। चार में से तीन देश एक टीम में थे और क़तर से इनकी रार थी। तीन बरस पहले 5 जून, 2017 को इस झगड़े की शुरुआत हुई थी। इस दिन सऊदी, UAE और बहरीन ने मिलकर क़तर के साथ अपने कूटनीतिक रिश्ते ख़त्म कर दिए थे। कतर की सारी दिशाएं विरोधियों से घिरी हुईं है। ऐसे में इन देशों ने क़तर के साथ अपनी ज़मीनी, आसमानी और समुद्रीय सीमाएं बंद कर दीं।
इन देशों की कतर के साथ दोबारा रिश्ते बहाल करने के लिए 13 शर्ते थी। ये देश चाहते थे कि क़तर आतंकी संगठनों के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ दे। सऊदी अरब, UAE, मिस्र, बहरीन, अमेरिका और बाकी देशों द्वारा आतंकी माने जाने वालों की फंडिंग रोके। तुर्की के साथ संबंध तोड़े। उसका मिलिटरी बेस बंद करे। ईरान के साथ रिश्ते ख़त्म करे। वहां अपने दूतावास भी बंद करे। इसके अलावा न्यूज़ नेटवर्क अल-जज़ीरा को बंद करने और राजनैतिक, आर्थिक और सैन्य सहयोग के मामले में बाकी अरब देशों का साथ देने की शर्त तीन देशों की थी।
लेकिन कतर ने इन देशों की शर्तों को मानने के बजाय इसका दूसरा रास्ता निकाल लिया। क़तर ने ईरान से मदद मांगी। ईरान ने भी उसके लिए अपने रास्ते खोल दिए। क़तर की मदद के लिए उसका दोस्त तुर्की भी आगे आ गया। तुर्की और ईरान से मिली इस मदद के कारण क़तर को घुटनों पर लाने का सऊदी का प्लान पूरा नहीं हो सका। लेकिन अब इन देशों के बीच दोबारा से सुलह हो गई है। सऊदी विदेश मंत्री ने मंगलवार को सुलह की घोषणा की। ऐसे में आज हम आपको बताते जा रहे हैं कि आखिर सऊदी अरब और उसके साथी देशों का रुख अचानक क्यों बदल गया?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कतर की घेराबंदी अपने मकसद में नाकाम रही। कतर ने सऊदी अरब और उसके साथी देशों की किसी शर्त का पालन नहीं किया। ब्लॉकेड के बाद कतर ने अपने को और ज्यादा मजबूत बना लिया। जैसे कतर पहले सारा दूध बाहर से मंगवाता था। ब्लॉकेड के बाद उसने रूसी कार्गो विमान की मदद से हज़ारों यूरोपियन गायें एयरलिफ़्ट करवा लीं। अब वहां इतनी गायें हैं कि हर दिन 30 से 50 गायें बच्चे देती हैं। अब उसे बाहर से दूध बुलवाने की जरुरत नहीं पड़ती।
ब्लॉकेड के समय उसकी GDP ग्रोथ 1.7 पर्सेंट थी। 2019 में ये बढ़कर हो 2.2 पर्सेंट हो गई। प्रति व्यक्ति आय में भी कतर दुनिया का नंबर एक देश है। क़तर में 2022 का फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप होने वाला है। ऐसे में बदले हालात को देखते हुए सऊदी अरब ने मेल-मिलाप करना ही उचित समझा। जानकारों ने यह भी कहा कि अमेरिकी सत्ता में परिवर्तन की भूमिका भी सऊदी रुख में बदलाव के पीछे अहम रही है।
पश्चिम एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा सैनिक अड्डा कतर में है। ऐसे में कतर के साथ अमेरिकी प्रशासन की सहानुभूति का अनुमान लगाया गया है। ट्रंप प्रशासन भी हाल में कतर की घेराबंदी खत्म कराने में जुट गया था। जो बाइडन के दौर में ऐसी कोशिशें और तेजी होंगी। इसलिए खाड़ी देशों ने पहले ही इस संकट को खत्म करने का फैसला किया।
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from दैनिक भास्कर हिंदी
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