किसान नेता की आंखों में आंसू देख फिर पलटा आंदोलन का रुख, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मिलने पहुंचे, भाजपा समर्थक शिअद ने कहा सरकार की दादागिरी नहीं चलेगी

January 29, 2021 0 Comments

डिजिटल डेस्क ( भोपाल)।  कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 65वें दिन भी जारी है। फिलहाल बॉर्डर पर किसान फिर से लौटने लगे हैं, वहीं किसान नेता राकेश टिकैत के समर्थन में आसपास के इलाकों से भी लोग आने लगे हैं। गुरुवार को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने किसानों के धरना स्थल की बिजली काट दी थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी से बिजली-पानी की व्यवस्था करने की गुहार लगाई थी। शुक्रवार सुबह दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शनस्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा, "किसान नेताओं ने सीएम से पानी, बिजली और टॉयलेट्स की सुविधा के लिए निवेदन किया था। रात को ही यहां व्यवस्था कर दी गई थी। मैं निरीक्षण करने आया हूं कि कोई दिक्कत तो नहीं आ रही।" 

भाजपा समर्थक शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने लगाए सरकार पर गंभीर आरोप...

 शिरोमणि अकाली दल  के नेता और पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि 'पिछले 6 महीने से आंदोलन कर रहे कम से कम 200-300 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। अब तक भारत सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, अब दादागिरी के साथ उनके संघर्ष को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए सभी विपक्षी पार्टियां एकमत हैं कि देश के किसानों के साथ ज़ुल्म हो रहा है। 

सिंघु बॉर्डर से किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि सरकार जो भी करे हम सिंघु बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे। जब तक कानून रद्द नहीं हो जाते और MSP पर नया कानून नहीं बन जाता हम यहां से नहीं जाएंगे। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज कहा कि 'हम प्रदर्शन स्थल खाली नहीं करेंगे, हम पहले अपने मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेंगे'।  

बिहार : किसान आंदोलन के समर्थन में पप्पू यादव उपवास पर बैठे

किसान आंदोलन के समर्थन के मुद्दे पर बिहार में भी राजनीति तेज हो गई है। जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव जहां शुक्रवार की सुबह छह बजे से ही गांधी मैदान में महात्मा गांधी मूर्ति के सामने उपवास पर बैठ गए हैं, वहीं विपक्षी दलों का महागठबंधन शनिवार को मानव श्रंखला बनाने की तैयारी में जुटा है। जन अधिकारी पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव शुक्रवार को सुबह छह बजे गांधी मैदान पहुंचे और समर्थकों के साथ महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने उपवास पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में और गाजीपुर बॉर्डर पर हुए जुल्म के खिलाफ सुबह 6 बजे से मैं गांधी मैदान पटना में उपवास पर एक दिन के लिए बैठा हूं।

उन्होंने विपक्ष को एकजुट होकर देश में किसानों के पक्ष में सड़कों पर उतरने का आह्वान करते हुए कहा कि दिल्ली जन अधिकार पार्टी के सभी साथी किसानों की लड़ाई में साथ देने गाजीपुर बॉर्डर पहुंचें। पप्पू यादव ने कहा देश और प्रदेश की गूंगी-बहरी सरकार को किसानों की तकलीफ व उनका दर्द दिखाई नहीं पड़ रहा है।

इधर, विपक्षी दलों का महागठबंधन भी तीन कृषि कानूनों के विरोध में तथा किसान आंदोलन के समर्थन में राज्य भर में मानव श्रृंखला बनाने की तैयारी में जुटा है। राजद के नेता तेजस्वी यादव भी दिल्ली से पटना पहुंच गए हैं। उन्होंने पटना पहुंचने के बाद कहा कि सरकार किसानों पर अपनी बात थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसान आंदेालन को पहले दिन से ही बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

राकेश टिकैत की आंखों में आंसू देख फिर पलटा किसान आंदोलन का रुख

गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के बाद से जहां एक तरफ बॉर्डर पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी, वहीं अब धीरे धीरे फिर से किसानों में एक नया जोश पैदा हो गया है। गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर 26 जनवरी की घटना के बाद से प्रशासन द्वारा भारी पुलिस फोर्स तैनात किया गया, जिसके बाद से किसानों में डर बैठा और बॉर्डर से धीरे धीरे किसान वापस अपने गांव जाने लगे। गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार शाम तक किसानों की संख्या में कमी देखने को मिली तो शुक्रवार होते ही किसानों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है।

गुरुवार शाम भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की आंखों में आए आंसू ने आंदोलन को एक नई धार दे दी है। बॉर्डर पर किसानों में इस बात का आक्रोश है कि हमारे नेता की आंखों में आंसू प्रशासन के कारण आए हैं। उनका कहना है कि भले ही जान चली जाए लेकिन अब ये आंदोलन खत्म नहीं होगा।

गुरुवार शाम गाजियाबाद प्रशासन गाजीपुर बॉर्डर पहुंच कर राकेश टिकैत से धरना स्थल खाली करने को कहा, लेकिन बातचीत के दौरान टिकैत को पता लगा कि यहां एक बड़ी साजिश रची जा रही है जिसके बाद उन्होंने मंच से ही प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगा दिए।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टिकैत के मंच के भाषण के बाद से किसानों के अंदर आक्रोश दिखा और जो किसान बॉर्डर से वापस जा रहे थे, वो अचानक वापसी का प्लान बनाने लगे। दूसरी ओर नरेश टिकैत ने भी जहां एक तरफ गुरुवार को नरम रुख दिखाया तो दूसरी ओर गुरुवार शाम तक उनके रुख में एक बड़ा बदलाव दिखा और महापंचायत करने का फैसला ले लिया।

गाजियाबाद प्रशासन देर रात तक बॉर्डर पर बना रहा, लेकिन किसानों का रवैया देख, प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और बॉर्डर पर तैनात की गई फोर्स को देर रात वापस बुलाना पड़ा। शुक्रवार सुबह बॉर्डर पर पुलिस बल कम दिखाई दे रहा है, वहीं किसानों की संख्या में फिर से इजाफा होने लगा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि राकेश टिकैत के स्टेज पर निकले आंसू ने किसानों के दिल में गहरी जगह बना ली है।



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 Farmers protest updates and Rakesh Tikaits Bharatiya Kisan Union
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from दैनिक भास्कर हिंदी

Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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