41वां दिन: कड़कड़ाती ठंड के बीच अर्ध-नग्न हालत में किसानों का प्रदर्शन, शरीर पर लिखा- No Farmer, No Food 

January 05, 2021 0 Comments

डिजिटल डेस्क ( भोपाल)। कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात है। आंदोलन का आज (5 जनवरी) 41वां दिन है। इस बीच सरकार और किसानों के बीच 8 बार बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला है। नौवें दौर की बातचीत 8 जनवरी को होने की संभावना है। वहीं, दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड में किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं और अब तक 60 से ज्यादा किसान अपनी जान गवां चुके हैं। 


 पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि सरकार जानबूझकर बातचीत को लंबा खींच रही है। सरकार के साथ किसान नेताओं की सातवें दौर की वार्ता सोमवार को बेनतीजा रहने के बाद अगली बैठक की तारीख आठ जनवरी को तय की गई है। मगर, किसान नेताओं ने पहले ही एलान किया था कि चार जनवरी की वार्ता विफल होने पर वे छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। किसान संगठनों की ओर से आंदोलन तेज करने की बावत और भी कार्यक्रमों का एलान किया गया था। हालांकि अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय हुई है ऐसे में किसान संगठनों के नेता तय कार्यक्रमों के समेत आगे की रणनीति पर मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक में चर्चा करेंगे।

हरिंदर सिंह ने बताया कि दोपहर दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से पहले वह पंजाब के संगठनों की बैठक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसान संगठनों की इस बैठक में आंदोलन तेज करने को लेकर आगे की रूपरेखा पर विचार-विमर्श होगा। उन्होंने कहा कि सोमवार की वार्ता में सरकार का रवैया बातचीत को और लंबा खींचने का था। हरिंदर सिंह ने बताया कि सरकार के साथ बैठक 2.00 बजे से शुरू होने वाली थी, लेकिन, मंत्री खुद ही समय पर नहीं पंहुंचे जिससे बैठक करीब 40 मिनट विलंब से शुरू हुई। बातचीत तीनों कृषि कानूनों को लेकर चल रही थी। सरकार की तरफ से कानून की खामियों को निकालने और संशोधन करने की बात कही जा रही थी, जबकि किसान प्रतिनिधियों ने कानून को रद्द करने की मांग की। इस बात पर तल्खी होने पर लंच ब्रेक हो गया।

लाखोवाल ने कहा कि लंच ब्रेक के बाद दोबारा जब बैठक शुरू हुई तो एमएसपी के मसले पर बातचीत करने की बात करने को कहा गया, मगर हमने कहा कि पहले तीनों कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पर बात करें। फिर कॉन्ट्रैक्ट फामिर्ंग पर बात होने लगी और मंत्री उसके फायदे गिनाने लगे। लेकिन हमने तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की, जिस पर मंत्रियों ने कहा कि उन्हें इस पर और लोगों से विचार विमर्श करना होगा। इसलिए कुछ समय चाहिए।

हरिंदर सिंह ने कहा, हमलोगों ने कहा कि ठीक है, आप समय ले लीजिए, लेकिन तीनों कानूनों को वापस लेने पर अगली बैठक में बातचीत होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि आज किसान संगठनों की बैठक में लिए जाने वाले फैसले के संबंध में शाम में एक प्रेस वार्ता भी की जाएगी। हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने बताया कि जब तक सरकार उनकी दो प्रमुख मांगे नहीं मान लेती है तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

किसान नेताओं के साथ यहां विज्ञान भवन में हुई सातवें दौर की वार्ता में कृषि मंत्री तोमर के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे। बैठक के बाद तोमर ने कहा कि वार्ता अच्छे माहौल में संपन्न हुई और यूनियनों की रजामंदी से वार्ता की अगली तारीख आठ जनवरी तय की गई। उन्होंने यह भी कहा कि यूनियनों के नेताओं के तीनों नये कृषि कानूनों का निरस्त करने की मांग पर अड़े रहने के कारण मसले का कोई रास्ता नहीं निकल पाया।

केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेर डाले हुए हैं। (इनपुट आईएएनएस)



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Farmers protest : Demonstration of farmers in semi-naked condition amidst bitter cold, says No Farmer, No Food 
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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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