कोविड-19: कोरोना के खिलाफ जंग में बड़ी कामयाबी, भारत बायोटेक की स्वदेशी ‘कोवैक्सिन’ को भी इमरजेंसी यूज के लिए मिला अप्रूवल

January 02, 2021 0 Comments

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत को नए साल के मौके पर शनिवार को दूसरी बड़ी कामयाबी मिली। कोरोना पर बनी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश की है। इसे बनाने वाली भारत बायोटेक कंपनी हैदराबाद में स्थित है। बता दें कि बीते दिन 1 जनवरी को सीरम इंस्टिट्यूट की ‘कोविशील्ड’ को इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल दिया गया था। अब दोनों वैक्सीन का मामला ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास है। किसी भी दिन दोनों वैक्सीन को फाइनल अप्रूवल मिल जाएगा और देश में वैक्सीनेशन शुरू हाे सकेगा।

केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 संबंधी एक विशेषज्ञ समिति ने शनिवार को ऑक्सफोर्ड के कोरोना वायरस रोधी टीके कोविशील्ड के भारत में सीमित आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने की सिफारिश की जो कुछ नियामक प्रावधानों पर निर्भर करेगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी कि ठीक इसी तरह अब भारत बायोटेक की वैक्सीन के लिए सिफारिश की गई है। 

कोवैक्सिन के फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल्स के नतीजे 23 दिसंबर को सामने आए थे। ट्रायल्स 380 सेहतमंद बच्चों और वयस्कों पर किए गए। 3 माइक्रोग्राम और 6 माइक्रोग्राम के दो फॉर्मूले तय किए गए। दो ग्रुप्स बनाए गए। उन्हें दो डोज चार हफ्तों के अंतर से लगाए गए। फेज-2 ट्रायल्स में कोवैक्सिन ने हाई लेवल एंटीबॉडी प्रोड्यूस की। दूसरे वैक्सीनेशन के 3 महीने बाद भी सभी वॉलंटियर्स में एंटीबॉडी की संख्या बढ़ी हुई दिखी।

इन नतीजों के आधार पर कंपनी का दावा है कि कोवैक्सिन की वजह से शरीर में बनी एंटीबॉडी 6 से 12 महीने तक कायम रहती है। एंटीबॉडी यानी शरीर में मौजूद वह प्रोटीन, जो वायरस, बैक्टीरिया, फंगी और पैरासाइट्स के हमले को बेअसर कर देता है। इस वैक्सीन के अभी देश में फेज-3 के ट्रायल्स चल रहे हैं।

अब तक तीन कंपनियों ने अप्रूवल मांगा, दो को मंजूरी मिल गई
भारत में अब तक तीन फार्मा कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल मांगा है। इनमें से कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को सशर्त मंजूरी मिल गई है। कोवीशील्ड या AZD1222 को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाया है। अदार पूनावाला का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसके भारत में ट्रायल्स कर रहा है। 1 जनवरी को सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इसे मंजूरी देने की सिफारिश की।



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Bharat Biotech's indigenous 'Covaxin' also gets approval for Emergency Use
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Amol Kote

Some say he’s half man half fish, others say he’s more of a seventy/thirty split. Either way he’s a fishy bastard.

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